गरीबी के दिनों में ट्रेन के फर्श पर लेटकर की यात्रा, बड़े होकर बने तबला के किंग, लगातार 3 साल जीता ग्रैमी अवॉर्ड
तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन की रविवार को हालत गंभीर है। 18 से ज्यादा फिल्मों में अपनी कला का जादू बिखेर चुके जाकिर हुसैन को 73 साल की उम्र में इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण अवॉर्ड से सम्मानित हो चुके जाकिर हुसैन ने लगातार 3 बार और कुल 5 ग्रैमी अवॉर्ड जीते थे।
गरीबी के दिनों में ट्रेन के फर्श पर लेटकर की यात्रा, बड़े होकर बने तबला के किंग, लगातार 3 साल जीता ग्रैमी अवॉर्ड
यह एक प्रेरणादायक कहानी है एक ऐसे व्यक्ति की जिसने अपने संघर्षों को पार करते हुए महान ऊंचाइयों को छुआ। यह कहानी है एक ऐसे तबला वादक की, जिसने गरीबी में जीवन बिताया, लेकिन कभी हार नहीं मानी। इस यात्रा ने उन्हें ना केवल संगीत की ओर अग्रसर किया, बल्कि उन्हें तबला के किंग के रूप में भी स्थापित किया।
बचपन की कठिनाईयों का सामना
अपने बचपन के दिनों में, जब आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी, वह अक्सर ट्रेन के फर्श पर लेटकर यात्रा करते थे। यह समय उनके लिए कठिन था, लेकिन इस अनुभव ने उन्हें सिखाया कि कठिनाइयों का सामना करना कैसे करना है। उन्होंने इस समय को अपनी ताकत बनाया और संगीत में अपना करियर बनाने का सपना देखा।
तबला वादक के रूप में सफलता
वह अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता की ओर बढ़ते गए और तबला वादन में अपनी एक खास पहचान बनाई। उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें संगीत की दुनिया में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया। उनके द्वारा गाए गए संगीत को न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया।
ग्रैमी अवॉर्ड की लगातार जीत
उनकी मेहनत का नतीजा यह हुआ कि उन्होंने लगातार तीन वर्षों तक ग्रैमी अवॉर्ड जीते। यह न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का पल था। उनकी यह उपलब्धियां भारतीय संगीत के प्रति वैश्विक सराहना को दर्शाती हैं और उन्हें एक प्रेरणा स्रोत बनाती हैं।
इस प्रकार, एक साधारण सी ज़िंदगी से लेकर एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के कलाकार बनने का सफर अद्भुत है। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर मन में जज़्बा और मेहनत हो तो कोई भी कठिनाई आपको रोक नहीं सकती।
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