नहीं रहे तबला वादक जाकिर हुसैन, राजनीतिक जगत ने जताया शोक
तबला वादक जाकिर हुसैन का 73 साल की उम्र में निधन हो गया है। उनके निधन पर राजनीतिक जगत की ओर से शोक संदेश सामने आ रहे हैं।
नहीं रहे तबला वादक जाकिर हुसैन, राजनीतिक जगत ने जताया शोक
तबला वादक जाकिर हुसैन के निधन ने संगीत और राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौड़ा दी है। वह एक महान संगीतकार थे, जिन्होंने अपनी कला से न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व में अपनी छाप छोड़ी। उनकी तबला बजाने की अद्भुत शैली और उन्नत तकनीक ने उन्हें एक अद्वितीय समुदाय में स्थापित किया। उनकी कृतियों ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को एक नई ऊँचाई पर पहुँचाया।
जाकिर हुसैन का योगदान
जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को हुआ था। उन्होंने अपने पिता, मशहूर तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा खान से संगीत का प्रशिक्षण लिया। हुसैन ने संगीत की दुनिया में कई प्रतिष्ठित्व प्राप्त किए, जिनमें ग्रैमी पुरस्कार भी शामिल हैं। उनकी प्रस्तुतियाँ हमेशा दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती थीं और वे विश्वभर में संगीत महोत्सवों का अभिन्न हिस्सा बन गए थे।
राजनीतिक जगत की प्रतिक्रिया
जाकिर हुसैन के निधन के बाद, भारत के कई प्रमुख नेताओं और राजनीतिक व्यक्तित्वों ने शोक व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनकी संगीत क्षमता और संवेदनशीलता अनन्य थी। इसके अतिरिक्त, कई अन्य नेताओं ने भी उनके योगदान को याद किया और उनकी याद में शोक व्यक्त किया।
फिल्म इंडस्ट्री का सम्मान
संगीत और कला की दुनिया में उनके योगदान को याद करते हुए फिल्म इंडस्ट्री के कई मशहूर सितारों ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने कहा कि जाकिर हुसैन एक ऐसे कलाकार थे, जिनका काम हमेशा याद रखा जाएगा। उनकी रचनाएं हमेशा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेंगी।
जाकिर हुसैन की याद में हम सभी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। उनके संगीत की गूंज हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगी। उनके काम और विरासत को आगे बढ़ाने के लिए हमें अपनी संस्कृति को संजोए रखना होगा।
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