साधु-संतों की हुंकार, सनातन बोर्ड के गठन की मांग पर धर्म संसद में छाई उत्सुकता AVP Ganga
देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में पशुओं की चर्बी के मिलने का मसला बड़ा मुद्दा है ,ये घटना दुबारा न हो सके इसलिए हमें " सनातनी बोर्ड" चाहिए,हम इस मंच से मांग करते हैं।
साधु-संतों की हुंकार: सनातन बोर्ड के गठन की मांग
धर्म संसद में साधु-संतों द्वारा उठाई गई आवाज ने पूरे देश में हलचल मचा दी है। 'सनातन बोर्ड' के गठन की मांग को लेकर साधु-संतों में एक नई जान डाल दी है। इस ऐतिहासिक अवसर पर जब साधु-संत अपने विचार प्रस्तुत कर रहे थे, दर्शकों में उत्सुकता का माहौल छाया हुआ था। यह निर्णय न केवल धार्मिक समुदाय के लिए, बल्कि देश की संस्कृति और परंपराओं के लिए भी महत्वपूर्ण है।
धर्म संसद का महत्व
धर्म संसद एक ऐसा मंच है जहां देश के विभिन्न हिस्सों से संत और धार्मिक नेता एकत्रित होते हैं। यहाँ बैठकों में न केवल धार्मिक मुद्दों पर चर्चा होती है, बल्कि सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक पहलुओं पर भी विचार विमर्श होता है। साधु-संतों ने इस बार 'सनातन बोर्ड' की स्थापना पर जोर देते हुए कहा कि यह निर्णय धार्मिक अनुशासन और एकता की आवश्यकता को दर्शाता है।
सनातन बोर्ड के गठन की आवश्यकता
संतों का मानना है कि 'सनातन बोर्ड' का गठन करने से भारतीय संस्कृति और धर्म को सुगठित रूप से आगे बढ़ाने में सहायता मिलेगी। इससे धर्म को संरक्षित करने के साथ ही, नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का अवसर मिल सकेगा। समर्थ साधु-संतों का कहना है कि इस बोर्ड के माध्यम से वे धार्मिक शिक्षा, संस्कार और संस्कृति को बढ़ावा देने में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
साधु-संतों की एकता
साधु-संतों की एकता इस मांग को और भी मजबूत बनाती है। अब यह देखना महत्त्वपूर्ण होगा कि क्या सरकार इस मांग पर ध्यान देगी और सनातन बोर्ड के गठन को वास्तविकता में बदल सकेगी। देशभर के साधु-संतों का एकजुट होना एक नई शुरुआत, एक नई उम्मीद की ओर इशारा करता है।
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