अधिक महंगाई से निपटने के लिए रेपो दर कमी की जरुरत: विशेषज्ञ AVPGanga
सितंबर तिमाही में उम्मीद से कम वृद्धि के बावजूद, लगातार 11वीं बार रेपो दर को अपरिवर्तित रखने का आरबीआई का फैसला मुद्रास्फीति पर चिंताओं को दर्शाता है। सीआरआर दर में कटौती से रियल एस्टेट क्षेत्र को बढ़ावा मिल सकता था।
अधिक महंगाई से निपटने के लिए रेपो दर कमी की जरुरत: विशेषज्ञ
महंगाई का बढ़ता स्तर हमेशा से आर्थिक स्थिरता और विकास के लिए एक चुनौती बने रहा है। हाल ही में, कई विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि महंगाई पर नियंत्रण पाने के लिए रेपो दर में कमी की आवश्यकता है। इस लेख में हम इस पहलू पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
महंगाई क्या है?
महंगाई का मतलब है वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में निरंतर वृद्धि। यह आर्थिक स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण संकेतक होता है। जब महंगाई दर अधिक होती है, तो इसका प्रभाव उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति पर पड़ता है, जिससे वे अपने दैनिक जीवन की आवश्यक चीजें खरीदने में कठिनाई महसूस करते हैं।
रेपो दर का महत्व
रेपो दर वह दर होती है जिस पर रिजर्व बैंक अपने बैंकों को धन उधार देता है। इसे प्रशासन करने के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग किया जाता है। जब रेपो दर घटती है, तो बैंकों को धन उपलब्ध होने लगता है जिससे वे ग्राहकों को उधार देने में सक्षम होते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि बाजार में धन की उपलब्धता बढ़ती है, जिससे उपभोक्ताओं और व्यवसायों की खरीदारी में वृद्धि होती है।
महंगाई पर नियंत्रण के उपाय
विशेषज्ञों का मानना है कि रेपो दर में कमी महंगाई को नियंत्रित करने का एक उचित उपाय हो सकता है। जब सरकार बैंकों के लिए उधारी की शर्तों को आसान बनाती है, तो इससे निवेश और खर्च में बढ़ोतरी होती है। यह न केवल महंगाई के स्तर को स्थिर करता है, बल्कि आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहित करता है।
विशेषज्ञों की राय
कई प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों का मानना है कि वर्तमान महंगाई स्तर को देखते हुए रेपो दर में कमी अनिवार्य है। उनका कहना है कि यदि रेपो दर को कम किया जाता है, तो इससे बाजार में तरलता बढ़ेगी और महंगाई दर में भी नियंत्रण संभव हो जाएगा।
महंगाई पर नियंत्रण पाने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं, लेकिन रेपो दर में कमी एक प्रभावी तरीका साबित हो सकता है।
इसके अतिरिक्त, यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता के लिए संतुलित नजरिया जरूरी है।
अंत में, हमें उम्मीद है कि सरकार और संबंधित संस्थाएं इस दिशा में सही कदम उठाएँगी।
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