कर्नाटक में परीक्षा के दौरान जनेऊ और कलावा उतरवाने के मामले में बड़ा एक्शन, एग्जाम अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज

कर्नाटक के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. एमसी सुधाकर ने कहा, "यह घटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। यह केवल शिवमोग्गा में ही नहीं बल्कि बीदर में भी हुआ। दो केंद्रों को छोड़कर बाकी सभी जगहों पर प्रक्रिया सुचारू रूप से चली।'

Apr 19, 2025 - 09:33
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कर्नाटक में परीक्षा के दौरान जनेऊ और कलावा उतरवाने के मामले में बड़ा एक्शन, एग्जाम अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज
कर्नाटक में परीक्षा के दौरान जनेऊ और कलावा उतरवाने के मामले में बड़ा एक्शन, एग्जाम अधिकारियों के

कर्नाटक में परीक्षा के दौरान जनेऊ और कलावा उतरवाने के मामले में बड़ा एक्शन, एग्जाम अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज

AVP Ganga

लेखिका: अंजली शर्मा, टीम नेटानागरी

परिचय

कर्नाटक में हाल ही में आयोजित एक परीक्षा के दौरान छात्रों से जनेऊ और कलावा उतरवाने के मामले ने बड़ा बवाल मचा दिया है। इस मामले में परीक्षा के अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है, जिससे छात्रों और अभिभावकों में आक्रोश की लहर दौड़ गई है।

घटना का विवरण

परीक्षा के दौरान कुछ छात्रों को परीक्षा भवन में प्रवेश करने से पहले जनेऊ और कलावा उतारने का आदेश दिया गया था। यह कार्रवाई विवादास्पद रही, और छात्रों ने इसका विरोध किया। यह घटना कर्नाटक के विभिन्न केंद्रों पर हुई थी और इसके बाद सामाजिक मीडिया पर भी काफी चर्चा हुई।

सोशल मीडिया पर बवाल

इस घटना के बारे में जैसे ही वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, छात्रों और उनके अभिभावकों ने इसके खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी। उन्होंने इसे धर्मनिरपेक्षता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन माना। कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर #SaveYourIdentity जैसे हैशटैग भी ट्रेंड करने लगे।

सरकारी प्रतिक्रिया

कर्नाटक सरकार ने इस मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए एक जांच समिति का गठन किया है। सरकार ने कहा है कि इस मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा और उचित कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, शिक्षा मंत्री ने इस घटना को अत्यंत गंभीर माना है और इस पर विचार करने का आश्वासन दिया।

छात्रों का पक्ष

छात्रों का कहना है कि परीक्षा के दौरान इस तरह के आदेश देने का कोई मतलब नहीं है। उनका कहना है कि ये आदेश उनके व्यक्तिगत अधिकारों का उल्लंघन करते हैं और इससे छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

निष्कर्ष

इस मामले ने कर्नाटक समेत देशभर में शिक्षा के अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता पर महत्वपूर्ण चर्चाएं शुरू कर दी हैं। यह घटना एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है, जिसमें छात्रों को उनके अधिकारों का संरक्षण करने का प्रयास करना होगा।

एकत्रित जानकारी से यह साफ है कि हमें एक सशक्त, समावेशी और धर्मनिरपेक्ष शिक्षा प्रणाली की आवश्यकता है। भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है।

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