क्या कर्मचारियों को अपना खाना ऑर्डर करने के लिए मजबूर करता है जोमैटो? दीपिंदर गोयल का आया बयान

गोयल ने स्पष्ट किया कि कंपनी न तो बाजार हिस्सेदारी खो रही है और न ही कर्मचारियों को जोमैटो से ऑर्डर करने के लिए मजबूर कर रही है, क्योंकि वे पसंद की स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं।

Apr 27, 2025 - 19:33
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क्या कर्मचारियों को अपना खाना ऑर्डर करने के लिए मजबूर करता है जोमैटो? दीपिंदर गोयल का आया बयान
क्या कर्मचारियों को अपना खाना ऑर्डर करने के लिए मजबूर करता है जोमैटो? दीपिंदर गोयल का आया बयान

क्या कर्मचारियों को अपना खाना ऑर्डर करने के लिए मजबूर करता है जोमैटो? दीपिंदर गोयल का आया बयान

AVP Ganga

लेखिका: साक्षी शर्मा, टीम नेटानागरी

हाल ही में जोमैटो के CEO दीपिंदर गोयल ने एक विवादास्पद बयान दिया है, जिससे कर्मियों की खाना ऑर्डर करने की प्रक्रिया पर चर्चा शुरू हो गई है। क्या जोमैटो अपने कर्मचारियों को अपने खाने के ऑर्डर पर नियंत्रित करता है? इस लेख में हम इस बयान की गहराई तक जाकर जानेंगे।

दीपिंदर गोयल का बयान

दीपिंदर गोयल ने कहा है कि कंपनी अपने कर्मचारियों को यह बताती है कि खाना ऑर्डर करने की प्रक्रिया को कैसे संभालना चाहिए। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर नहीं किया जाता है। गोयल का यह बयान कर्मचारियों के बीच एक नई बहस का कारण बन गया है।

कर्मचारियों की प्रतिक्रिया

जोमैटो के कुछ कर्मचारियों ने कहा है कि कभी-कभी कंपनी का इस तरह का मार्गदर्शन उनके लिए अनिवार्य जैसा महसूस होता है। जबकि अन्य कर्मचारियों ने इसे सुविधा के रूप में देखा है। यह स्पष्ट नहीं है कि सभी कर्मचारी इस दिशा-निर्देश से सहमत हैं या नहीं, लेकिन चर्चा का विषय जरूर बना हुआ है।

जोमैटो का वर्क कल्चर

जोमैटो ने हमेशा अपने कर्मचारियों के लिए एक अनोखा वर्क कल्चर प्रदान किया है। कंपनी में एक मजबूत टीम भावना को बढ़ावा दिया जाता है, और अधिकारियों के अनुसार, खाना ऑर्डर करना समूह को एकजुट करने का एक तरीका हो सकता है।

क्या यह सही है?

यहां प्रश्न उठता है कि क्या किसी कंपनी को अपने कर्मचारियों के खाने के विकल्पों में हस्तक्षेप करने का अधिकार है? इस विषय पर कई विशेषज्ञों के विचार अलग-अलग हैं। कुछ का मानना है कि यह कर्मचारियों के अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है, जबकि अन्य इसे एक सकारात्मक पहल मानते हैं जो कंपनी की संस्कृति को बढ़ावा देती है।

अंतिम विचार

दीपिंदर गोयल का बयान जोमैटो के कर्मचारियों के लिए एक नई बहस का कारण बन गया है। कर्मचारियों की खाद्य प्राथमिकताओं को लेकर इस तरह की बातचीत निश्चित ही सामने आनी चाहिए। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि कंपनी अपने कर्मचारियों के लिए और क्या कदम उठाती है।

निष्कर्ष के तौर पर, कर्मचारियों को अपने खाने के विकल्पों के बारे में जानने का पूरा अधिकार है, और उनके विचारों को सुनना भी अति आवश्यक है।

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