'नमाज के दौरान काली पट्टी बांधना जरूरी नहीं', AIMPLB की अपील पर मौलाना के अलग सुर

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की काली पट्टी बांधने की अपील का मुसलमानों पर खास असर नहीं पड़ा। दिल्ली और मेरठ की मस्जिदों में नमाजियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया, और विरोध के लिए काली पट्टी बांधना जरूरी नहीं माना।

Mar 28, 2025 - 13:33
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'नमाज के दौरान काली पट्टी बांधना जरूरी नहीं', AIMPLB की अपील पर मौलाना के अलग सुर
'नमाज के दौरान काली पट्टी बांधना जरूरी नहीं', AIMPLB की अपील पर मौलाना के अलग सुर

नमाज के दौरान काली पट्टी बांधना जरूरी नहीं, AIMPLB की अपील पर मौलाना के अलग सुर

AVP Ganga

लेखक: सुष्मिता शर्मा, टीम नेटानागरी

परिचय

हाल ही में आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने यह सलाह दी है कि नमाज के दौरान काली पट्टी बांधना अनिवार्य नहीं है। इस बयान पर मौलाना का एक अलग नजरिया सामने आया है, जो इस मुद्दे को लेकर बहस छेड़ता है।

AIMPLB का रुख

AIMPLB ने नमाज के दौरान काली पट्टी पहनने को लेकर अपने विचार व्यक्त किए हैं। बोर्ड का मानना है कि यह प्रथा धार्मिक दृष्टिकोण से आवश्यक नहीं है और मुसलमानों को इस बात की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए कि वे इसे अपनाना चाहते हैं या नहीं। AIMPLB के प्रवक्ता ने कहा, "नमाज एक अद्भुत इबादत है और इसका पालन करना ही मुख्य उद्देश्य होना चाहिए, न कि किसी बाह्य पहचान को अपनाना।"

मौलाना का दृष्टिकोण

वहीं, कुछ मौलानाओं का मत है कि काली पट्टी बांधने से शोक और समर्पण का प्रतीक का पता चलता है। उन्होंने कहा, "शोक प्रकट करना एक व्यक्तिगत और धार्मिक अधिकार है। हम यह नहीं कह सकते कि यह अनिवार्य नहीं है, क्योंकि हर एक का अपना दृष्टिकोण है।"

सामाजिक प्रतिक्रिया

इस मुद्दे पर सामाजिक मीडिया में भी विभिन्न प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग AIMPLB के रुख का स्वागत कर रहे हैं, जबकि अन्य मौलानाओं के समर्थन में खड़े हैं। एक उपयोगकर्ता ने ट्वीट किया, "क्यों नहीं हम अपने असली धर्म पर ध्यान केंद्रित करते हैं, बजाय इसके कि इन बाहरी प्रथाओं में उलझ जाएँ?"

निष्कर्ष

यह स्पष्ट है कि नमाज के दौरान काली पट्टी बांधने की प्रथा पर विचार अलग-अलग तरह से किया जा रहा है। AIMPLB और मौलानों के बीच की इस बहस ने यह दिखा दिया है कि इस मुद्दे पर समाज में विभिन्न विचारधारा का समावेश है। कुछ इसे जरूरी मानते हैं, तो कुछ इसका विरोध करते हैं। अंततः, यह व्यक्तिगत विकल्प और धार्मिक विश्वास का मामला है।

Keywords

AIMPLB, black ribbon, namaz, Islamic traditions, Muslim opinions, religious practices, personal choice

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