India TV 'She' Conclave: VLCC की फाउंडर वंदना लूथरा ने की महिलाओं पर चर्चा, जो कहा उसे हर किसी को सुनना चाहिए
VLCC की संस्थापक और मालकिन वंदना लूथरा आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। भारत समेत दुनिया के विभिन्न देशों में वंदना लूथरा की कंपनी अपना कारोबार कर रही है। आज VLCC ब्यूटी एंड वेलनेस के क्षेत्र में सबसे बड़ा नाम है। सिर्फ 2000 रुपये से कंपनी को शुरू करने वाली वंदना ने आज VLCC को आसमान की ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया है।

India TV 'She' Conclave: VLCC की फाउंडर वंदना लूथरा ने की महिलाओं पर चर्चा, जो कहा उसे हर किसी को सुनना चाहिए
AVP Ganga
लेखक: साक्षी वर्मा, टीम नेटानागरी
परिचय
भारत ने हमेशा महिलाओं के अधिकारों और उनके सशक्तिकरण के लिए प्रयास किए हैं। इसी संदर्भ में, हाल ही में आयोजित इंडिया टीवी 'शी' कॉन्क्लेव में VLCC की फाउंडर वंदना लूथरा ने महिलाओं की भूमिका पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए। उनकी बातों में गहराई और समुदाय के प्रति सच्ची चिंता है, जिससे हर किसी को प्रेरित होना चाहिए।
महिलाओं के सशक्तिकरण की आवश्यकता
वंदना लूथरा ने अपने संबोधन में महिलाओं के सशक्तिकरण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा, आत्मनिर्भरता और आर्थिक स्वतंत्रता किसी भी समाज की प्रगति के लिए आवश्यक हैं। महिलाएं जब आत्मनिर्भर होंगी, तभी वे समाज में अपनी पूरी ताकत के साथ योगदान कर पाएंगी। यह एक ऐसा संदेश है जिसे हर व्यक्ति को सुनना और समझना चाहिए।
समाज में महिलाओं का योगदान
कॉन्क्लेव में उपस्थित अन्य वक्ताओं ने भी इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल कर रही हैं। विज्ञान, तकनीकी, व्यवसाय, खेल और कला के क्षेत्र में महिलाओं ने अपनी पहचान बनाई है। वंदना लूथरा का कहना है कि हमें महिलाओं के योगदान को पहचानने और उसे मान्यता देने की जरूरत है, ताकि वे और अधिक प्रेरित हो सकें।
सकारात्मक बदलाव की दिशा में कदम
वंदना लूथरा ने कहा कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए सभी को एकजुट होकर काम करना चाहिए। उन्होंने सच्चे उदाहरण प्रस्तुत किए कि कैसे VLCC ने महिला कर्मचारियों को अवसर प्रदान किए और उन्हें सशक्त किया। उनके नेतृत्व में, कई महिलाओं ने न केवल अपने जीवन को बदला, बल्कि अपने समुदायों को भी प्रभावित किया।
निष्कर्ष
संक्षेप में, वंदना लूथरा की बातें न केवल महिलाओं के अधिकारों के लिए एक प्ररेणा स्रोत हैं, बल्कि यह समाज के सभी वर्गों के लिए एक सीख भी है। अगर हम समृद्ध और सशक्त समाज की कल्पना करते हैं, तो हमें महिलाओं को उनके वास्तविक स्थान पर मान्यता देना होगा। एवीपी गंगा के इस कॉन्क्लेव ने सभी को यह सोचने पर मजबूर किया कि क्या हम सभी ने अपनी जिम्मेदारियों को सही से निभाया है।
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