The Filmy Hustle: सेंसर सर्टिफिकेट के बाद भी होता है हल्ला, सेंसरशिप पर क्या बोले प्रोड्यूसर्स

बॉलीवुड निर्माता मुराद खेतानी और सिद्धार्थ रॉय कपूर ने इंडिया टीवी के पॉडकास्ट 'द फिल्मी हसल' पर फिल्मों के बनने के पीछे की कहानियां बताईं। इसमें दोनों प्रोड्यूसर्स ने बताया कैसे सेंसरशिप के बाद होने वाले विवादों को रोकना चाहिए।

Apr 6, 2025 - 20:33
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The Filmy Hustle: सेंसर सर्टिफिकेट के बाद भी होता है हल्ला, सेंसरशिप पर क्या बोले प्रोड्यूसर्स
The Filmy Hustle: सेंसर सर्टिफिकेट के बाद भी होता है हल्ला, सेंसरशिप पर क्या बोले प्रोड्यूसर्स

The Filmy Hustle: सेंसर सर्टिफिकेट के बाद भी होता है हल्ला, सेंसरशिप पर क्या बोले प्रोड्यूसर्स

AVP Ganga

लेखिका: प्रिया शर्मा, टीम नेतानागरी

परिचय

भारतीय फिल्म उद्योग में नजर आने वाली सेंसरशिप हमेशा से एक चर्चित विषय रही है। सेंसर सर्टिफिकेट मिलने के बाद भी अगर फिल्में विवादों में फंसती हैं, तो यह कुछ सवाल खड़े करता है। हाल ही में कई प्रोड्यूसर्स ने इस मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त की, जिससे समाज में सेंसरशिप के मायने पर विचार विमर्श हुआ।

सेंसर की प्रक्रिया और उसका महत्व

सेंसर सर्टिफिकेट की प्रक्रिया भारतीय फिल्म उद्योग के लिए एक आवश्यक हिस्सा है। यह फिल्म को वैधता प्रदान करता है, लेकिन कई बार इसके बाद भी विवाद उठते हैं। प्रोड्यूसर्स का कहना है कि सेंसर बोर्ड के पास ऐसा अधिकार नहीं होना चाहिए कि वह स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार को सीमित करे। यह मुद्दा केवल एक फिल्म का नहीं, बल्कि समस्त सिनेमा और उसके दर्शकों का है।

प्रोड्यूसर्स की राय

अनेक प्रोड्यूसर्स ने कहा है कि जब एक फिल्म को सेंसर सर्टिफिकेट मिल जाता है, तो उसके बाद फिर से विवाद उठाना अनुचित है। प्रोड्यूसर कर्ण जौहर ने इस विषय पर खूब चर्चा की है, जहाँ उन्होंने कहा, "हमारा काम समाज को एक नया दृष्टिकोण देना है, और हमें अपनी आवाज़ उठाने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।" वहीं, प्रोड्यूसर विपुल अमृतलाल शाह ने कहा, "सेंसरशिप का उपयोग केवल देखने में कमी लाने का कारण नहीं होना चाहिए।"

सेंसरशिप का असर

सेंसरशिप का न केवल फिल्मों पर असर होता है, बल्कि यह समाज के विचारधाराओं पर भी प्रभाव डालता है। कई बार लोग इस प्रवृत्ति को लेकर अपने विचारों में ठहराव महसूस करते हैं। दर्शकों के मन में फिल्म के प्रति उत्सुकता बनी रहती है, लेकिन कुछ बातों को लेकर विवाद और हल्ला दर्शकों के अनुभव को खराब कर सकता है।

निष्कर्ष

फिल्मों में सेंसरशिप का मुद्दा जटिल और विभिन्न दृष्टिकोणों से भरा हुआ है। प्रोड्यूसर्स की राय सुनने के बाद यह समझ में आता है कि सिनेमा केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सेंसर सर्टिफिकेट के बाद भी होने वाले विवाद दर्शाते हैं कि हमें इस विषय पर एक ठोस संवाद की आवश्यकता है।

कम शब्दों में कहें तो, सेंसरशिप पर प्रोड्यूसर्स के विचारों ने इस विषय पर महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं।

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