Trade war: नहले पर दहला, अमेरिका को बिजली निर्यात पर 25% अतिरिक्त शुल्क वसूलेगा कनाडा, भारत ने ये कहा
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने सोमवार को एक संसदीय समिति को बताया कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार शुल्क पर अभी तक कोई समझौता नहीं हुआ है और इस दिशा में बातचीत अब भी जारी है।

Trade war: नहले पर दहला, अमेरिका को बिजली निर्यात पर 25% अतिरिक्त शुल्क वसूलेगा कनाडा, भारत ने ये कहा
AVP Ganga
लेखक: प्रियंका शर्मा, टीम नीतानागरी
परिचय
अंतरराष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि और जटिलताओं के बीच, कनाडा ने अमेरिका पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाने का निर्णय लिया है। यह कदम कनाडा द्वारा बिजली निर्यात के क्षेत्र में उठाया गया है और इसके पीछे एक खास रणनीति छिपी हुई है। इस लेख में हम देखेंगे कि यह निर्णय क्या परिणाम लाएगा और भारत की इस पर क्या प्रतिक्रियाएँ हैं।
कनाडा का निर्णय और इसके प्रभाव
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने हाल में घोषणा की कि अमेरिका को बिजली निर्यात पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाने का निर्णय लिया गया है। यह शुल्क अमेरिका के विभिन्न क्षेत्रों में ऊर्जा की बढ़ती मांग को देखते हुए लागू किया जाएगा। इस निर्णय को लेकर ट्रूडो ने कहा, "हमें अपनी ऊर्जा संरचना को मजबूत करने और घरेलू उद्योगों की रक्षा करने की आवश्यकता है।"
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम अमेरिकी कंपनियों के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है, जो कनाडा की सस्ती बिजली पर अधिक निर्भर हैं। यह न केवल अमेरिका की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा, बल्कि उत्तर अमेरिका के ऊर्जा बाजार में व्यापक परिवर्तन भी ला सकता है।
भारत की प्रतिक्रिया
इस विषय पर भारत का रुख भी काफी दिलचस्प है। भारतीय सरकार ने इस निर्णय का समर्थन करते हुए कहा है कि ऊर्जा निर्यात पर नियंत्रण आवश्यक है। भारत के ऊर्जा मंत्री ने कहा, "कनाडा का यह कदम वैश्विक व्यापार में संतुलन स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हमें इस प्रकार की नीतियों का स्वागत करना चाहिए।"
इसके अलावा, भारत ने सुझाव दिया है कि अन्य देशों को भी अमेरिका पर निर्भरता कम करने के लिए अपने ऊर्जा स्रोतों की विविधता बढ़ानी चाहिए। इस क्षेत्र में भारत की महत्वाकांक्षा और उसके विकास की क्षमता को देखते हुए, यह कदम निश्चित रूप से महत्वपूर्ण हो सकता है।
निष्कर्ष
किसी भी देश की ऊर्जा नीति उसके आर्थिक भविष्य को आकार देती है। कनाडा का यह निर्णय अमेरिका को ताकतवर संकेत दे रहा है, जो न केवल द्विपक्षीय रिश्तों को प्रभावित कर सकता है, बल्कि वैश्विक व्यापार संतुलन को भी बदल सकता है। भारत का समर्थन इस बात का संकेत है कि वैश्विक बाजार में ऊर्जा के मुद्दे पर सामूहिकता आवश्यक है।
कनाडा और अमेरिका के बीच इस व्यापारिक युद्ध के परिणामों का अवलोकन करना आवश्यक है, क्योंकि यह ऊर्जा बाजार को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
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