World Hindi Day: UN में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने दिया था पहली बार हिंदी में भाषण, जानें क्या कहा था
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न और विदेश मंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी ने पहली बार संयुक्त राष्ट्र के मंच पर 1977 में हिंदी में भाषण दिया था। ऐसा करने वाले वह पहले भारतीय नेता थे।
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World Hindi Day: UN में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने दिया था पहली बार हिंदी में भाषण, जानें क्या कहा था
AVP Ganga द्वारा - लेखिका: सुषमा शर्मा, टीम नेटानागरी
हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य हिंदी भाषा को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देना है। इस दिन विशेष रूप से भारतीय संस्कृति और हिंदी के महत्व को उजागर किया जाता है। एक खास घटना के रूप में, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र (UN) में पहली बार हिंदी में भाषण दिया था, जो न केवल एक ऐतिहासिक क्षण था, बल्कि हिंदी भाषा के लिए गर्व की बात भी थी।
अटल बिहारी वाजपेयी का UN में हिंदी में भाषण
अटल बिहारी वाजपेयी ने 1977 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में भाषण दिया था। यह भाषण भारतीय भाषाओं के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बन गया। वाजपेयी जी ने अपने संबोधन में हिंदी को अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्थापित किया और इसे हमारे देश की आत्मा का प्रतीक बताया। उनका यह कदम न केवल हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में सहायक था, बल्कि अन्य भाषाओं के प्रति सम्मान भी दर्शाता था।
भाषण के प्रमुख बिंदु
वाजपेयी ने अपने भाषण में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संवाद के लिए भाषा महत्वपूर्ण है और हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि एक संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने भारतीय महाद्वीप के विविधता और उसकी खूबसूरती का जिक्र किया। इसके साथ ही उन्होंने वैश्विक शांति और सहिष्णुता के संदेश को भी प्रमुखता दी।
इस भाषण के साथ ही उन्होंने हिंदी को अंतरराष्ट्रीय श्रेणी में लाने की आवश्यकता भी बताई। वाजपेयी जी के विचारों ने अनेक देशों में हिंदी को एक प्रमुख भाषा के रूप में स्वीकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की।
हिंदी का वैश्विक महत्व
विश्व हिंदी दिवस पर मनाए जाने वाले समारोहों में न केवल भारत बल्कि अन्य देशों में भी हिंदी के महत्व को बताया जाता है। हिंदी अब केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विश्वभर में मातृभाषा के रूप में प्रचलित है। ऐसे में वाजपेयी जी का यह भाषण हिंदी भाषा के लिए एक प्रेरणा स्रोत है जो हमें यह याद दिलाता है कि हमें अपनी भाषा और संस्कृति का गर्व रखना चाहिए।
निष्कर्ष
इस तरह से अटल बिहारी वाजपेयी ने UN में हिंदी में भाषण देकर ना केवल हिंदी भाषा का मान बढ़ाया, बल्कि सभी भारतीयों में अपने और अपनी भाषा के प्रति गर्व का अनुभव कराया। विश्व हिंदी दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हमें अपनी भाषा, संस्कृति और धरोहर का सम्मान करते रहना चाहिए।
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