अब नहीं तोड़ी जाती चूड़ियां-मंगलसूत्र, 7000 गांवों में विधवाओं के साथ भेदभाव खत्म, महाराष्ट्र में बदलाव की लहर

महाराष्ट्र के अधिकतर गांवों में विधवाओं के साथ होने वाले भेदभाव खत्म कर दिया गया है। अब विधवा महिलाओं को सम्मान की नजर से देखा जाता है। गणपति पूजा और झंडारोहण कार्यक्रमों में भी विधवा महिलाओं को शामिल किया जाता है।

Apr 6, 2025 - 13:33
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अब नहीं तोड़ी जाती चूड़ियां-मंगलसूत्र, 7000 गांवों में विधवाओं के साथ भेदभाव खत्म, महाराष्ट्र में बदलाव की लहर
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अब नहीं तोड़ी जाती चूड़ियां-मंगलसूत्र, 7000 गांवों में विधवाओं के साथ भेदभाव खत्म, महाराष्ट्र में बदलाव की लहर

AVP Ganga

लेखिका: सारा शर्मा, टीम नेतानागरी

परिचय

महाराष्ट्र में एक नई सामाजिक पहल के चलते अब 7000 गांवों में विधवाओं के साथ भेदभाव को समाप्त करने के लिए कई कोशिशें हो रही हैं। चूड़ियां और मंगलसूत्र जैसी सांस्कृतिक प्रतीक अब विधवाओं के जीवन का हिस्सा बने रहेंगे, जिससे समाज में बदलाव की एक नई लहर उठी है। इस समाचार में हम जानेंगे कि कैसे यह पहल विधवाओं के जीवन को बदल रही है और समाज में संवेदनशीलता बढ़ा रही है।

भेदभाव का इतिहास

विधवाओं के प्रति भेदभाव का मामला भारत में कई दशकों से महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है। कई परिवारों में आज भी प्रथा के तहत विधवाओं को चूड़ियां तोड़ने और मंगलसूत्र निकालने के लिए मजबूर किया जाता है, जिसके चलते वे सामाजिक भेदभाव का सामना करती हैं। ऐसा किया जाता था क्योंकि ये प्रतीक माना जाता था कि विधवाएं अब 'निषिद्ध' हैं।

नया बदलाव और इसके प्रभाव

महाराष्ट्र सरकार ने इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मुख्यमंत्री द्वारा शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य विधवाओं को उनके अधिकार वापस दिलाना है। अब 7000 गांवों में विधवाएं अपनी चूड़ियां और मंगलसूत्र पहन सकेंगी। इस कदम से उनके आत्मसम्मान और समाज में स्थान को मजबूत करने का प्रयास किया गया है।

सामाजिक जागरूकता

सरकार के इस निर्णय का असर गांवों में भी जल्द दिखने लगा है। स्थानीय संगठनों और एनजीओ ने विधवाओं के साथ चलने वाले भेदभाव के खिलाफ जागरूकता फैलाना शुरू कर दिया है। महिलाएं अब खुलकर अपनी बात रख पा रही हैं और समाज में उनके अधिकारों के प्रति एक सकारात्मक सोच विकसित हुई है।

संभव हो रहे उदाहरण

कई गांवों में, विधवाएं अब अपनी साड़ियों के साथ चूड़ियां और मंगलसूत्र पहन रही हैं। यह उन्हें न केवल आर्थिक सुरक्षा देता है, बल्कि सामाजिक सम्मान भी। ऐसे कई उदाहरण हैं जहां विधवाओं ने अपने अनुभव साझा किए हैं और कहा है कि वे अब पहले से ज्यादा आत्मविश्वास महसूस कर रही हैं।

समापन विचार

इस बदलाव की लहर ने विद्या, आत्माज़ और शक्ति का परिचय दिया है। यह न केवल विधवाओं के लिए एक नई सुबह है, बल्कि हमारी सोच और समाज में बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। यदि हम सभी मिलकर आगे बढ़ें तो यह बदलाव और भी व्यापक हो सकता है।
भविष्य के लिए उम्मीद करते हैं कि इस तरह के कदम अन्य राज्यों में भी उठाए जाएंगे।

अधिक अपडेट के लिए, देखें avpganga.com.

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