उर्दू लिपी में अपने हिंदी के भाषण लिखते थे मनमोहन सिंह, जानें क्या था इसका कारण
पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह का गुरुवार को दिल्ली के AIIMS में निधन हो गया। अर्थशात्र के विद्वान रहे मनमोहन अपने हिंदी भाषण उर्दू लिपि में लिखते थे और इसकी एक खास वजह थी।
उर्दू लिपी में अपने हिंदी के भाषण लिखते थे मनमोहन सिंह
News by AVPGANGA.com
मनमोहन सिंह का भाषण लेखन और उर्दू लिपी
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को उनकी सादगी और बुद्धिमानी के लिए जाना जाता है। एक दिलचस्प तथ्य यह है कि वे अपने हिंदी भाषणों को उर्दू लिपी में लिखते थे। इससे साफ जाहिर होता है कि उन्होंने भारतीय भाषाओं और संस्कृतियों के प्रति गहरी समझ और राग-रागिणी को अपनाया था।
इसका कारण क्या था?
मनमोहन सिंह का उर्दू लिपी में भाषण लिखने का मुख्य कारण उनकी व्यक्तिगत जुड़ाव और प्रदर्शनी का तरीका था। उर्दू लिपी, जोकि एक बेहद खूबसूरत लिखाई प्रणाली है, उनके लिए एक अद्वितीय और सांस्कृतिक दृष्टिकोण प्रदान करती थी। वे अपने भाषणों में भावनाओं को बेहतर ढंग से व्यक्त करने के लिए इसे चुनते थे। इसके अलावा, यह उनकी शिक्षा और पृष्ठभूमि से संबंधित था, जिसने उन्हें उर्दू सिखाने का मौका दिया।
सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक
मनमोहन सिंह का यह कदम देश की सांस्कृतिक विविधता और भाषाई सौंदर्य का प्रतीक था। उन्होंने यह साबित किया कि भाषा और लिपि के चुनाव से विचारों की गहराई और संप्रेषण पर कोई रोक नहीं होती। उनका यह विशेष तरीका आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
निष्कर्ष
इस प्रकार, मनमोहन सिंह का उर्दू लिपी में हिंदी भाषण लिखने का निर्णय उनकी संस्कृतिकारे प्रवृत्ति और भाषाई समावेशिता को दर्शाता है। उनके भाषणों ने लोगों के दिलों को छूने का काम किया और उनका स्मरण आज भी किया जाता है।
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