कंस्ट्रक्शन कॉस्ट 1 साल में सिर्फ 4% बढ़ी लेकिन डेवलपर्स ने घरों की कीमत 49% तक बढ़ा दिया, समझें कैसे हुआ ये खेल!
सीबीआरई की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2024 में सीमेंट, इस्पात और एल्युमीनियम की लागत में वार्षिक आधार पर क्रमशः 6-8 प्रतिशत, 3-5 प्रतिशत और 0-2 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि पेंट की लागत स्थिर रही।

कंस्ट्रक्शन कॉस्ट 1 साल में सिर्फ 4% बढ़ी लेकिन डेवलपर्स ने घरों की कीमत 49% तक बढ़ा दिया, समझें कैसे हुआ ये खेल!
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लेखिका: प्रियंका शर्मा, टीम नेटानागरी
परिचय
हाल ही में भारत की रियल एस्टेट मार्केट में एक अजीब स्थिति उत्पन्न हुई है। एक ओर जहां कंस्ट्रक्शन कॉस्ट महज 4% के दर से बढ़ी है, वहीं दूसरी ओर डेवलपर्स ने घरों की कीमतों में ताबड़तोड़ इजाफा कर दिया है। वर्तमान में, घरों की कीमतें 49% तक बढ़ गई हैं। यह लेख इस पर चर्चा करेगा कि कैसे यह खेल संभव हुआ और इसके पीछे के प्रमुख कारण क्या हैं।
कंस्ट्रक्शन कॉस्ट का आंकड़ा
कंस्ट्रक्शन कॉस्ट में वृद्धि का औसत आंकड़ा विचारणीय है। पिछले एक साल में, कई वजहों से जैसे कि निर्माण सामग्री की कीमतों में संशोधन और श्रम की कमी, कॉस्ट में केवल 4% का इजाफा देखा गया। उदाहरण के लिए, सीमेंट और स्टील की कीमतें अपेक्षाकृत स्थिर रहीं, जो इस वृद्धि को नियंत्रित करती हैं।
डेवलपर्स की मूल्य वृद्धि का रहस्य
बदले में, डेवलपर्स ने कैसे घरों की कीमतें इतनी बढ़ा दीं? इसके पीछे कई कारण हैं:
- उच्च मांग: महामारी के बाद रियल एस्टेट में मांग तेजी से बढ़ी है। आजकल लोग अपने स्वयं के घर की तलाश में हैं, जिससे डेवलपर्स को कीमतें बढ़ाने का मौका मिला।
- सामाजिक बदलाव: कामकाजी लोगों की नयी जीवनशैली ने घरों की जरुरत को बढ़ाया है। अधिक लोग अब घर खरीदने के बजाय किराए पर रहने को तैयार नहीं हैं।
- ऋण की सहज उपलब्धता: बैंकों द्वारा दी जाने वाली कम ब्याज दरें नए घर खरीदने के लिए सुविधाजनक बनाती हैं, जिससे डेवलपर्स कीमतें बढ़ाने में सक्षम होते हैं।
क्या है इसका प्रभाव?
घर की कीमतों की इतनी तेज़ी से वृद्धि ने आम आदमी को प्रभावित किया है। नए आवास खरीदने की भावना कमजोर हो गई है और कई लोग अपना सपना देखने से दूर हो गए हैं। यह स्थिति सामाजिक और आर्थिक असमानता को बढ़ा रही है।
कौन है जिम्मेदार?
इस स्थिति के लिए डेवलपर्स, रियल एस्टेट कंपनियाँ और सरकार सभी को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। सरकार को इस पर ध्यान देने और उचित नीतियाँ लागू करने की आवश्यकता है ताकि आम जनता को इस स्थिति का सामना न करना पड़े।
निष्कर्ष
कंस्ट्रक्शन कॉस्ट में मामूली वृद्धि होते हुए भी घरों की कीमतों में इतनी बड़ी छलांग यह दिखाती है कि रियल एस्टेट क्षेत्र में कुछ गड़बड़ है। उपभोक्ताओं का हित हमेशा प्राथमिकता होनी चाहिए। सरकार और डेवलपर्स को मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना होगा, ताकि सभी के लिए आवास सुलभ हो सके।
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