हाईकोर्ट ने विजीलेंस हल्द्वानी की कार्यप्रणाली पर उठाए गंभीर सवाल, झूठे हलफनामे और SOP उल्लंघन से कोर्ट नाराज़

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मामले में विजीलेंस सेक्टर हल्द्वानी की जांच प्रक्रिया पर गंभीर असंतोष और संदेह व्यक्त किया है। माननीय न्यायमूर्ति श्री राकेश थपलियाल ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि विजीलेंस द्वारा की गई कार्रवाई न केवल प्रक्रिया के विपरीत है बल्कि इससे न्याय की संपूर्ण प्रणाली पर खतरा उत्पन्न होता है।

Mar 27, 2025 - 03:03
Mar 27, 2025 - 03:12
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हाईकोर्ट ने विजीलेंस हल्द्वानी की कार्यप्रणाली पर उठाए गंभीर सवाल, झूठे हलफनामे और SOP उल्लंघन से कोर्ट नाराज़
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मामले में विजीलेंस सेक्टर हल्द्वानी की जांच प्रक्रिया पर गंभीर असंतोष और संदेह व्यक्त किया है। माननीय न्यायमूर्ति श्री राकेश थपलियाल ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि विजीलेंस द्वारा की गई कार्रवाई न केवल प्रक्रिया के विपरीत है बल्कि इससे न्याय की संपूर्ण प्रणाली पर खतरा उत्पन्न होता है।

"Vigilance Haldwani कानून नहीं, अहंकार चला रही है" – हाईकोर्ट ने की तीखी टिप्पणी, कोर्ट में IO ने कहा ‘Sorry’, लेकिन न्यायालय ने दिखाई उदारता

उत्तराखंड हाईकोर्ट में चल रही भ्रष्टाचार से संबंधित सुनवाई के दौरान विजीलेंस हल्द्वानी की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हुए। FIR संख्या 0018/2024 के तहत आरोपी बनाई गई राजपत्रित महिला अधिकारी संति भंडारी की ज़मानत याचिका पर सुनवाई करते हुए माननीय न्यायमूर्ति श्री राकेश थपलियाल ने विजीलेंस की जांच पर आश्चर्य और असंतोष व्यक्त किया। कोर्ट ने पाया कि Trap कार्रवाई की वीडियोग्राफी न तो जांच के रिकॉर्ड में है, न चार्जशीट के साथ है, और न ही FSL रिपोर्ट मौजूद है, फिर भी IO ने बिना पूरी जांच के चार्जशीट दाखिल कर दी।

सुनवाई के दौरान IO विनोद यादव को VC के ज़रिए अदालत में पेश किया गया। कोर्ट द्वारा प्रश्न पूछे जाने पर उन्होंने शर्मिंदगी जताते हुए "Sorry" कहा। लेकिन इस पर न्यायाधीश ने दयालुता और न्यायिक मर्यादा दिखाते हुए इस क्षमा-प्रार्थना को रिकॉर्ड में अंकित नहीं किया। यह न्यायपालिका के उस संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाता है, जहाँ भावना और कानून का अद्भुत संतुलन रखा जाता है।

कोर्ट ने यह भी मौखिक आदेश दिए कि IO के साथ-साथ विजीलेंस निदेशक को भी तीन दिन के भीतर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करना होगा, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि जब Trap की वीडियो रिपोर्ट ही उपलब्ध नहीं थी तो चार्जशीट कैसे दाखिल की गई।

सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि सुनवाई के दौरान कोर्ट को एक और पूर्व मामले की जानकारी दी गई, जिसमें इसी IO और Trap Leader ने कोर्ट में झूठा हलफनामा दायर किया था कि Trap की वीडियो रिकॉर्डिंग की गई है, लेकिन जब कोर्ट ने वीडियो मंगाई, तो कोई रिकॉर्ड ही नहीं था। यह सीधा-सीधा अदालत को गुमराह करने का प्रयास था।

AVP GANGA की पड़ताल में यह तथ्य भी सामने आया है कि विजीलेंस हल्द्वानी अब अदालत के विचार से पूर्व ही अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित कर "रेड कार्रवाई" की खबरें चला रही है – यह कानून के मूल सिद्धांत "जब तक दोष सिद्ध न हो, हर व्यक्ति निर्दोष है (presumption of innocence)" की खुल्लम-खुल्ला अवहेलना है। न्यायालय ने मौखिक रूप से इस प्रवृत्ति पर असहमति जताई और पूछा कि “कौन-से SOP में लिखा है कि रेड की खबरें ट्रायल से पहले ही प्रचारित की जाएं? क्या आप किसी को न्यायालय द्वारा दोष सिद्ध किए बिना ही अपराधी घोषित कर सकते हैं?”

इस पूरे परिप्रेक्ष्य में एक और दिल दहला देने वाली घटना का ज़िक्र भी अदालत में आया — रेलवे विभाग के ईमानदार अधिकारी श्री बलूनी, जिन्हें विजीलेंस द्वारा झूठे मामले में फँसाया गया था, उन्होंने मानसिक उत्पीड़न से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी। यह घटना सिर्फ एक चेतावनी नहीं, बल्कि व्यवस्था के विकार का सजीव उदाहरण है।

 कोर्ट का रुख:

  • Trap की वीडियो रिपोर्ट लंबित है, जांच अधूरी है — फिर भी चार्जशीट दाखिल की गई।

  • IO और Vigilance Director से हलफनामा मांगा गया है।

  • संति भंडारी को अंतरिम ज़मानत दी गई है, अगली सुनवाई 4 अप्रैल 2025 को होगी।

  • अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि SOP का उल्लंघन और प्रेस में पूर्व-प्रचार न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करता है

AVP GANGA की माँगें:

  1. Vigilance हल्द्वानी की समस्त कार्रवाई की स्वतंत्र न्यायिक जांच हो।

  2. झूठा हलफनामा देने वाले अधिकारियों पर IPC 191, 193 के तहत फौजदारी कार्रवाई हो।

  3. SOP का उल्लंघन रोकने हेतु नए दिशा-निर्देश तैयार किए जाएँ।

  4. मीडिया को ट्रायल से पूर्व "गुनहगार साबित" करने वाले विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाया जाए।

अगर देश में न्याय व्यवस्था को जिंदा रखना है, तो जांच एजेंसियों को कानून से नहीं, सच्चाई और प्रमाणों से चलना होगा। अन्यथा ईमानदार अधिकारियों को बलूनी जैसी त्रासदी का शिकार होना पड़ेगा और आम नागरिक का कानून से भरोसा उठ जाएगा।

AVP GANGA संकल्प करता है कि वह ऐसी हर व्यवस्था के खिलाफ आवाज़ उठाएगा, जहाँ सत्ता, संस्थान और सिस्टम — सच्चाई से बड़ा बनने की कोशिश करते हैं।

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