चॉल में बीता बचपन, पहली फिल्म के लिए घिसनी पड़ी एड़ियां, हीरो बनने के लिए चुकानी पड़ी थी ये कीमत

बॉलीवुड के जंपिंग जैक के नाम से मशहूर जितेंद्र आज अपना 83वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं। आज बॉलीवुड में जितेंद्र का परिवार एक अलग मुकाम रखता है, लेकिन एक समय ऐसा था जब दिग्गज अभिनेता मुंबई के चॉल में रहते थे। चलिए उनके जन्मदिन पर आपको उनसे जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से सुनाते हैं।

Apr 7, 2025 - 11:33
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चॉल में बीता बचपन, पहली फिल्म के लिए घिसनी पड़ी एड़ियां, हीरो बनने के लिए चुकानी पड़ी थी ये कीमत
चॉल में बीता बचपन, पहली फिल्म के लिए घिसनी पड़ी एड़ियां, हीरो बनने के लिए चुकानी पड़ी थी ये कीमत

चॉल में बीता बचपन, पहली फिल्म के लिए घिसनी पड़ी एड़ियां, हीरो बनने के लिए चुकानी पड़ी थी ये कीमत

AVP Ganga
लेखिका: साक्षी शर्मा, टीम नीतानगरी

परिचय

बॉलीवुड की दुनिया में कदम रखना कभी आसान नहीं होता। यह एक ऐसी जगह है जहाँ सपनों को साकार करने में कड़ी मेहनत और संघर्ष की आवश्यकता होती है। आज हम बात करेंगे एक ऐसे कलाकार की कहानी की, जिसने चॉल में अपने बचपन बिताए और अपनी पहली फिल्म के लिए एड़ियों को घिसने से लेकर हीरो बनने तक के सफर में कई कीमत चुकाई। यह कहानी प्रेरणा का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

चॉल में बीता बचपन

हमारी नायिका का बचपन मुंबई की एक चॉल में बीता। चॉल की संकीर्ण गलियों में खेलते हुए, उन्होंने अनेकों कठिनाइयों का सामना किया। यहाँ पर आर्थिक तंगी और जीवन की कठिनाइयाँ आम थीं, लेकिन उनके सपने बड़े थे। बचपन से ही वह फिल्म इंडस्ट्री में अपने करियर को लेकर गंभीर थीं।

पहली फिल्म के लिए घिसनी पड़ी एड़ियां

जब वह अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रही थीं, तब उन्हें एक अद्भुत अवसर मिला। उन्हें पहली फिल्म में काम करने का प्रस्ताव मिला। लेकिन इस फिल्म के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की, यहां तक कि उनकी एड़ियों को घिसना पड़ा। उन्होंने ऑडिशन के दौरान अपनी परफॉर्मेंस को सुधारने के लिए घंटे-घंटे तक अभ्यास किया।

हीरो बनने की कीमत

लेकिन यह सफर इतना सरल नहीं था। एक हीरो बनने के लिए उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। परिवार से समर्थन प्राप्त करने में कठिनाई हुई, और अनेक बार ऐसा भी हुआ जब फिल्में असफल हुईं। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से ना केवल खुद को साबित किया, बल्कि अपने परिवार को भी गर्वित किया।

संघर्ष और सफलता की कहानी

वे एक सच्ची प्रेरणा हैं, न केवल उन लोगों के लिए जो फिल्म उद्योग में करियर बनाना चाहते हैं, बल्कि सभी उन लोगों के लिए जो जीवन में अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनकी कहानी यह बताती है कि कठिनाइयाँ अस्थायी होती हैं, लेकिन एक जुनून स्थायी होता है।

निष्कर्ष

इस प्रकार, चॉल से लेकर फिल्मी दुनिया तक का सफर, संघर्ष और समर्पण का प्रतीक है। अगर आपके पास सपने हैं तो उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत करें। किसी भी प्रकार की कठिनाई आपके कदमों को रोक नहीं सकती।

इस प्रेरणादायक कहानी को पढ़कर हमें यह सीखना चाहिए कि सफलता कभी आसान नहीं होती, लेकिन जो मेहनत करता है, वह सफलता अवश्य पाता है।

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