पूर्व पीएम हसीना के पीछे पड़े बांग्लादेशी छात्र, एनसीपी ने की आवामी लीग पर बैन की मांग

बांग्लादेशी छात्री पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी पार्टी के पीछे पड़ गए हैं। छात्रों के नए राजनीतिक संगठन एनसीपी ने शेख हसीना की आवामी लीग पार्टी पर बैन लगाने की मांग की है। ताकि उनकी पार्टी चुनावों में हिस्सा नहीं ले सके।

Mar 23, 2025 - 12:33
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पूर्व पीएम हसीना के पीछे पड़े बांग्लादेशी छात्र, एनसीपी ने की आवामी लीग पर बैन की मांग
पूर्व पीएम हसीना के पीछे पड़े बांग्लादेशी छात्र, एनसीपी ने की आवामी लीग पर बैन की मांग

पूर्व पीएम हसीना के पीछे पड़े बांग्लादेशी छात्र, एनसीपी ने की आवामी लीग पर बैन की मांग

लेखक: सुमित्रा पतंजलि, टीम नेतनागरी

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ हाल के दिनों में छात्रों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। एनसीपी (राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी) ने आवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है, जिससे देश का राजनीतिक माहौल गरमा गया है।

घटनाक्रम का पृष्ठभूमि

बांग्लादेश में सभी छात्र संगठनों का एक संयुक्त मोर्चा बनाकर शेख हसीना के कार्यकाल में युवाओं के साथ हो रही अन्यायपूर्ण नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई जा रही है। विभिन्न विश्वविद्यालयों में छात्रों ने रैलियां और प्रदर्शन आयोजित किए हैं, जिसमें वे अपनी मांगें रख रहे हैं। उनके आरोप हैं कि वर्तमान सरकार ने शिक्षा प्रणाली को कमजोर किया है और बेरोजगारी की दर में वृद्धि की है।

एनसीपी की मांग

एनसीपी ने कहा है कि आवामी लीग के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए, क्योंकि यह दल युवाओं की आवाज को दबा रहा है। एनसीपी के नेताओं ने कहा कि इसके चलते बांग्लादेश का युवा वर्ग निराश हो गया है और छात्रों की भावनाओं को अनदेखा किया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप, एनसीपी ने आवामी लीग पर बैन की मांग की है, ताकि छात्रों को अपनी मांगों के लिए शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने का अवसर मिल सके।

छात्रों की प्रतिक्रिया

छात्रों ने आवामी लीग की नीतियों का विरोध करते हुए अपनी एकजुटता दिखाई है। “हमारे भविष्य से खेलने का अधिकार किसी को नहीं है,” एक छात्र नेता ने कहा। उन्हें उम्मीद है कि उनकी आवाज सुनी जाएगी। पिछले कुछ हफ्तों में संक्रमण रैलियों और सामूहिक आंदोलनों की आयोजन से यह स्पष्ट हो गया है कि छात्र समाज इस मुद्दे पर गंभीर है।

राजनीतिक स्थिति

बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति पहले से ही काफी संवेदनशील है। शेख हसीना की सरकार ने पिछले चुनावों में बहुमत से जीत हासिल की थी, लेकिन उनकी नीतियों के खिलाफ असंतोष बढ़ता जा रहा है। एनसीपी का यह कदम किसी भी राजनीतिक भूचाल का संकेत कर सकता है।

निष्कर्ष

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेशी छात्रों की बढ़ती हुई आवाज़ और एनसीपी की आवामी लीग पर प्रतिबंध की मांग ने देश के राजनीतिक परिदृश्य में हलचल मचा दी है। क्या इस आंदोलन से छात्रों की मांग सुनवाई पाएगी, यह तो भविष्य ही बताएगा।

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