भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते में क्या था डॉ. मनमोहन सिंह का रोल, बाइडेन ने सराहा
भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते में डॉ. मनमोहन सिंह का अहम रोल था। उन्होंने इसके जरिये भारत-अमेरिका के बीच रिश्तों की एक नई शुरुआत की थी और इसके लिए अपने राजनीतिक भविष्य तक को दांव पर लगा दिया। यह कहना है अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री कोंडोलीजा राइस का।
भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते में क्या था डॉ. मनमोहन सिंह का रोल, बाइडेन ने सराहा
भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता, जिसे 2008 में अनुमोदित किया गया था, भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक सहयोग को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण कदम था। इस समझौते में डॉ. मनमोहन सिंह की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण रही है। उनकी दूरदर्शिता और राजनीतिक नेतृत्व ने इस समझौते को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
डॉ. मनमोहन सिंह का योगदान
डॉ. मनमोहन सिंह, जो उस समय भारत के प्रधान मंत्री थे, ने इस समझौते को लागू करने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। उनका लक्ष्य था भारत को एक प्रमुख वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करना और विश्व मंच पर उसकी स्थिति मजबूत करना। इसके लिए उन्होंने अमेरिकी नेतृत्व के साथ विभिन्न वार्ताओं और चर्चा में सक्रिय भूमिका निभाई।
बाइडेन के सराहना
हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस समझौते की सराहना की है, जिसमें उन्होंने डॉ. मनमोहन सिंह के योगदान को विशेष रूप से उल्लेख किया। बाइडेन ने बताया कि कैसे यह समझौता न केवल भारत और अमेरिका के रिश्ते को मजबूत करता है, बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी आवश्यक है। यह बयान इस बात का प्रमाण है कि किस प्रकार पूर्व नेताओं के दृष्टिकोण आज भी महत्वपूर्ण हैं।
समझौते के महत्व
भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता दोनों देशों के बीच ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग के साथ-साथ रक्षा और तकनीकी क्षेत्रों में भी सहयोग को बढ़ावा देता है। यह समझौता भारत को विभिन्न स्रोतों से स्वच्छ और विश्वसनीय ऊर्जा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है, जो विकास और उद्योगों के लिए आवश्यक है।
निष्कर्ष
डॉ. मनमोहन सिंह की दूरदर्शिता और बाइडेन का समर्थन यह दर्शाता है कि यह समझौता सिर्फ इतिहास की एक घटना नहीं है, बल्कि यह वर्तमान और भविष्य में भी अपने महत्व को बनाए रखेगा। इस समझौते के कारण भारत और अमेरिका के बीच के संबंध मजबूत हो रहे हैं, जिससे दोनों देशों के नागरिकों को लाभ मिलेगा।
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