‘मेरी शिकायत पर आरोपी नंबर 1 बने सिद्धारमैया’, RTI कार्यकर्ता ने केंद्र सरकार से मांगी सुरक्षा

RTI कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्ण ने प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री शाह से सुरक्षा सहायता की अपील की है, क्योंकि कर्नाटक सरकार ने उन्हें और उनके परिवार को कथित तौर पर सुरक्षा देने से इनकार कर दिया है। कृष्ण ने MUDA घोटाले में शिकायत दर्ज कराई थी।

Dec 27, 2024 - 20:03
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‘मेरी शिकायत पर आरोपी नंबर 1 बने सिद्धारमैया’, RTI कार्यकर्ता ने केंद्र सरकार से मांगी सुरक्षा
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‘मेरी शिकायत पर आरोपी नंबर 1 बने सिद्धारमैया’, RTI कार्यकर्ता ने केंद्र सरकार से मांगी सुरक्षा

हाल ही में, एक RTI कार्यकर्ता ने अपनी सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार से गुहार लगाई है। उनका आरोप है कि कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया उनकी शिकायत के कारण उनकी छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं। यह मामला उस समय चर्चा में आया जब कार्यकर्ता ने सिद्धारमैया को 'आरोपी नंबर 1' घोषित कर दिया। इस मामले ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है।

RTI कार्यकर्ता की शिकायत का संदर्भ

RTI कार्यकर्ता ने बताया कि उनके द्वारा किए गए कई दावों ने उन्हें सिद्धारमैया के आगे लाकर रख दिया है। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं, जिससे उनकी जन जीवन में काफी परेशानी हो रही है। कार्यकर्ता ने उल्लेख किया कि उन्हें अब सुरक्षा की आवश्यकता है क्योंकि उन्हें किसी तरह की प्रतिकूलता का सामना करने का डर है।

सिद्धारमैया का रुख

इस मामले में सिद्धारमैया ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि ये सभी आरोप बेबुनियाद हैं और वे किसी भी प्रकार की सुरक्षा या सहायता के लिए सरकारी तंत्र की पूरी मदद करेंगे। सिद्धारमैया का कहना है कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण उन्हें इस तरह के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है।

केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया

केंद्र सरकार ने भी इस मुद्दे पर संज्ञान लिया है। सूत्रों के अनुसार, सरकार मामले की गंभीरता को समझते हुए कार्यकर्ता की सुरक्षा को लेकर उचित कदम उठाने की योजना बना रही है।

इस संदर्भ में रुचि रखने वाले सभी नागरिकों से निवेदन है कि वे अपने विचार व्यक्त करें और इस मुद्दे पर चर्चा करें। भविष्य में ऐसे मुद्दों को निवारण करने के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी पहचान बेहद आवश्यक है।

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कुल मिलाकर, यह मामला न्यायपालिका और सरकारी तंत्र की पारदर्शिता पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। क्या RTI कार्यकर्ता की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाएगा? इससे आगे मामले की सुनवाई के दौरान क्या नए पहलुओं का उभरना संभव है?

सीखने के लिए महत्वपूर्ण तथ्य

यह घटना हमें यह भी बताती है कि कैसे बिना ठोस साक्ष्य के आरोप लगाना न केवल एक व्यक्ति के जीवन को प्रभावित कर सकता है, बल्कि इसके राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर भी दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

अंत में

कानूनी और राजनीतिक पक्ष दोनों की सुनवाई के साथ ही आम जन की राय भी महत्वपूर्ण होती है। इस कारण कार्यकर्ता और पूर्व मुख्यमंत्री के बीच की इस कश्मकश को समझना आवश्यक है।

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