हाई सिक्योरिटी सेल में पांच बार नमाज पढ़ता है तहव्वुर राणा, रखी मांग-'मुझे कुरान, कलम और कॉपी दे दो'

मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को दिल्ली में हाई सिक्योरिटी सेल में रखा गया है। वह पांच बार नमाज पढ़ता है और सेल में उसने तीन चीजें मांगी हैं-कुरान, कॉपी और कलम। पूछताछ में उसने कई राज खोले हैं।

Apr 13, 2025 - 10:33
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हाई सिक्योरिटी सेल में पांच बार नमाज पढ़ता है तहव्वुर राणा, रखी मांग-'मुझे कुरान, कलम और कॉपी दे दो'
हाई सिक्योरिटी सेल में पांच बार नमाज पढ़ता है तहव्वुर राणा, रखी मांग-'मुझे कुरान, कलम और कॉपी दे दो'

हाई सिक्योरिटी सेल में पांच बार नमाज पढ़ता है तहव्वुर राणा, रखी मांग-'मुझे कुरान, कलम और कॉपी दे दो'

AVP Ganga

भारत के हाई सिक्योरिटी सेल में कैद तहव्वुर राणा ने हाल ही में एक अद्भुत मांग रखी है, जिसमें उसने अपने धार्मिक कर्तव्यों के लिए कुरान, कलम और कॉपी देने की इच्छा जताई है। जानिए इस सब के पीछे का पूरा मामला और तहव्वुर राणा के इन अनुरोधों का क्या महत्व है।

तहव्वुर राणा का परिचय

तहव्वुर राणा, जिनका नाम हाल के दिनों में काफी सुर्खियों में रहा है, एक विवादास्पद व्यक्तित्व हैं। उन्हें भारत में आतंकवाद से संबंधित मामलों में पकड़ा गया था, और वर्तमान में वह एक हाई सिक्योरिटी सेल में बंद हैं। इस प्रकार के वातावरण में रहकर भी वह अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करना चाह रहे हैं, जो एक चिंता का विषय है।

नमाज के माध्यम से कायम रखते हैं आस्था

राणा ने बताया कि वह प्रत्येक दिन पांच बार नमाज पढ़ते हैं। इस धार्मिक आस्था के लिए उनका अनुरोध कुरान, कलम और कॉपी को लेकर है ताकि वह अपनी प्रार्थना और धार्मिक विचारों को लिख सकें। यह उनके लिए न केवल आध्यात्मिकता का स्रोत है, बल्कि मनोबल बनाए रखने का भी एक तरीका है।

तहव्वुर की मांग: धार्मिक स्वतंत्रता या सुरक्षा का मामला?

इस मांग को लेकर कई सवाल उठते हैं। क्या एक कैदी को धार्मिक सामग्री उपलब्ध कराई जा सकती है? क्या यह सुरक्षा का उल्लंघन नहीं होगा? विशेषज्ञ इस पर अलग-अलग राय रख रहे हैं। कुछ का मानना है कि कैदियों को अपने धार्मिक अधिकारों का पालन करने दिया जाना चाहिए, जबकि दूसरों का कहना है कि इससे सुरक्षा खतरे में पड़ सकता है।

सरकारी प्रतिक्रिया

सरकारी अधिकारियों ने इस मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ी है और कहा है कि उनकी प्राथमिकता सुरक्षा है। यदि किसी कैदी की मांग धार्मिक कारणों से हो रही है, तो इसके प्रति संवेदनशीलता दिखाई जाएगी, लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से प्रत्येक निर्णय लिया जाएगा। इस पर सवाल उठता है कि क्या तहव्वुर राणा को उनकी मांगों पर सकारात्मक उत्तर मिलेगा या नहीं।

निष्कर्ष

तहव्वुर राणा की कहानी हमें यह याद दिलाती है कि संघर्ष के बीच भी आस्था को बनाए रखना संभव है। चाहे वह धार्मिक अधिकारों की मांग हो या सुरक्षा सफलताएँ, यह ऐसा मुद्दा है जो समाज के कई पहलुओं को छूता है। हम सभी को इस मामले पर नजर रखनी चाहिए और देखना चाहिए कि आगे क्या परिणाम निकलता है।

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