गुरुग्राम में BS4 कार को रजिस्टर करने से मना:रिटायर्ड कर्नल-ब्रिगेडियर कोर्ट पहुंचे, बोले- अधिकारियों ने फौजियों से धोखा किया, SDM को नोटिस

गुरुग्राम में BS4 स्टेज की कार का रजिस्ट्रेशन करने से मना किए जाने पर रिटायर्ड कर्नल, ब्रिगेडियर और वरिष्ठ एडवोकेट ने कोर्ट का रुख किया है। कर्नल की शिकायत पर कोर्ट ने एसडीएम और संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। इस मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर 2025 को होगी। शिकायतकर्ता एडवोकेट मुकेश कुल्थिया ने बताया कि रिटायर्ड कर्नल सर्वदमन ओबेरॉय के बेटे, जो कैप्टन हैं, ने गोवा से एक कार खरीदी थी। गुरुग्राम में इस कार का रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए उन्होंने आवेदन दिया, लेकिन एसडीएम ने इसे मना कर दिया और कहा कि यहां केवल BS6 कारों का रजिस्ट्रेशन होता है। जब कर्नल ने आदेश की कॉपी मांगी, तो एसडीएम ने ट्रांसपोर्ट कमिश्नर का पत्र दिखाया। पांच साल पुरानी कार है उन्होंने बताया कि अधिकारी सरकार या सुप्रीम कोर्ट का कोई आदेश नहीं दिखा पाएं। जबकि यह केवल पांच साल पुरानी कार थी और दिल्ली एनसीआर में डीजल की 10 साल और पेट्रोल की 15 साल पुरानी कार चलाने पर रोक है। फौजियों के साथ धोखाधड़ी का आरोप एडवोकेट मुकेश ने बताया कि डिप्टी कमिश्नर और एसडीएम के खिलाफ देश के फौजियों के साथ चोरी धोखाधड़ी करने, विश्वासघात, लोक कर्तव्य का उल्लंघन, कानून का उल्लंघन, शक्ति का दुरुपयोग करने के आरोप हैं। कोर्ट में इनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा संख्या COMI-474/2025 कराया गया है। उन्होंने बताया कि अधिकारियों ने लोक सेवक होकर भी नेवी के कैप्टेन एवं उनके पूर्व सेनाधिकारी पिता के साथ चोरी, धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक विश्वासघात किया है एवं उनको नुकसान पहुंचाया है। कोर्ट ने तीन महीने का समय दिया हालांकि कोर्ट द्वारा फिलहाल संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। साथ ही शिकायतकर्ताओं से कहा कि वे संबंधित अथॉरिटी से अधिकारियों के खिलाफ केस चलाने के लिए अनुमति प्राप्त करें। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए तीन महीने का समय दिया है।

Aug 17, 2025 - 18:33
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गुरुग्राम में BS4 कार को रजिस्टर करने से मना:रिटायर्ड कर्नल-ब्रिगेडियर कोर्ट पहुंचे, बोले- अधिकारियों ने फौजियों से धोखा किया, SDM को नोटिस
गुरुग्राम में BS4 कार को रजिस्टर करने से मना:रिटायर्ड कर्नल-ब्रिगेडियर कोर्ट पहुंचे, बोले- अधिकारि�

गुरुग्राम में BS4 कार को रजिस्ट्रेशन से मना: रिटायर्ड कर्नल-ब्रिगेडियर ने कोर्ट का रुख किया

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गुरुग्राम में BS4 स्टेज की कार का रजिस्ट्रेशन करने से मना किए जाने पर रिटायर्ड कर्नल और ब्रिगेडियर ने कोर्ट का रुख किया है। इस मामले में कर्नल सर्वदमन ओबेरॉय ने अधिकारियों पर देश के फौजियों के साथ धोखा करने का आरोप लगाया है। कोर्ट ने इस संदर्भ में एसडीएम और अन्य संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। इस मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर 2025 को होगी।

क्या है पूरा मामला?

एडवोकेट मुकेश कुल्थिया ने बताया कि रिटायर्ड कर्नल ओबेरॉय के बेटे, जो एक कैप्टन हैं, ने गोवा से एक BS4 कार खरीदी थी। जब उन्होंने गुरुग्राम में अपनी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन कराने का प्रयास किया, तो एसडीएम ने इसे मना कर दिया। उनका कहना था कि यहां केवल BS6 कारों का रजिस्ट्रेशन होगा। जब कर्नल ने इस आदेश की प्रतिलिपि मांगी, तो एसडीएम ने ट्रांसपोर्ट कमिश्नर का पत्र दिखाकर उन्हें संतुष्ट करने का प्रयास किया।

अधिकारियों की दलीलें और जानकारियाँ

कर्नल ओबेरॉय ने आरोप लगाया है कि अधिकारियों ने न तो किसी सरकारी या सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दिखाया, और न ही यह स्पष्ट किया कि केवल पांच साल पुरानी कार को रजिस्टर करने से मना करने का क्या आधार है। जबकि, दिल्ली एनसीआर में डीजल की 10 साल और पेट्रोल की 15 साल पुरानी कार चलाने पर कोई रोक नहीं है। कर्नल ने कहा कि यह केवल फौजियों के साथ धोखाधड़ी का मामला नहीं बल्कि कानून का भी उल्लंघन है।

फौजियों के अधिकारों की रक्षा

एडवोकेट मुकेश कुल्थिया ने बताया कि उन्होंने डिप्टी कमिश्नर और एसडीएम के खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज करवाई है। उन पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने देश के फौजियों के साथ विश्वासघात किया है, लोक कर्तव्य का उल्लंघन करने के साथ-साथ शक्ति का दुरुपयोग किया है। कोर्ट में उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा संख्या COMI-474/2025 दायर किया गया है।

कोर्ट का निर्णय और आगे की प्रक्रिया

कोर्ट ने फिलहाल एसडीएम और संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया है।

इसके अतिरिक्त, शिकायतकर्ताओं को सलाह दी गई है कि वे संबंधित अथॉरिटी से अधिकारियों के खिलाफ केस चलाने के लिए अनुमति प्राप्त करें। कोर्ट ने अगले सुनवाई के लिए तीन महीने का समय दिया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि मामला कितना गंभीर है। यह न केवल प्रशासनिक प्रक्रिया का प्रश्न है, बल्कि यह उस सामाजिक न्याय का प्रश्न भी है जो हमारे फौजियों को मिलना चाहिए।

निष्कर्ष

यह मामला केवल एक कार के रजिस्ट्रेशन का नहीं, बल्कि उन सभी फौजियों की प्रतिष्ठा और अधिकार का है जिनका प्रशासन में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। कोर्ट की कार्यवाही का परिणाम क्या होगा यह समय बताएगा, लेकिन यह स्पष्ट है कि इस दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है। आशा है कि यह मामला समस्त फौजियों की रक्षा में एक मजबूत उदाहरण बनेगा और प्रशासनिक अधिकारियों को फौजियों के साथ न्याय करने की प्रेरणा देगा।

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