बेंगलुरु मेट्रो बनी लाइफसेवर,ऑर्गन ट्रांसपोर्ट कर मरीजों की जान बचाई:41 मिनट में दिल और 68 मिनट में फेफड़े हॉस्पिटल पहुंचाए

बेंगलुरु के स्पर्श हॉस्पिटल की मेडिकल टीम और मेट्रो रेल (BMRCL) ने मिलकर एक ऐसा ऑपरेशन किया, जो किसी फिल्मी सीन से कम नहीं था। शहर की लाइफलाइन कही जाने वाली मेट्रो ने गुरुवार को ट्रांसप्लांट के लिए ले जाए जा रहे इंसानी दिल (हार्ट) और फेफड़े तेजी से ट्रांसपोर्ट किए। BMRCL ने बयान जारी कर कहा कि डॉक्टर्स की टीम हार्ट को सुबह 9:34 बजे गोरगुंटेपल्या मेट्रो स्टेशन लाई और जिसे 10:15 बजे बनशनकरी स्टेशन पहुंचा दिया गया। इस दौरान हार्ट ने 17 स्टेशन सिर्फ 41 मिनट में पार किए। वहीं, फेफड़े सुबह 10:05 बजे गोरगुंटेपल्या स्टेशन लाए गए और 11:13 बजे बोम्मसंद्रा स्टेशन पहुंचाए गए। इसमें RV रोड स्टेशन पर इंटरचेंज हुआ और 31 स्टेशन सिर्फ 1 घंटे 8 मिनट (68 मिनट) में पार किए गए। इसके बाद दोनों अंगों को मरीजों में ट्रांसप्लांट किए जा सके। हार्ट को किसी इंसान की मौत के 6 घंटे के भीतर ट्रांसप्लांट करना होता है। हार्ट और फेंफड़े हॉस्पिटल पहुंचाने से जुड़ी 3 तस्वीरें... बेंगलुरु मेट्रो ने कहा- आगे भी ऐसे मिशन करेंगे BMRCL ने बयान में कहा कि मेट्रो के सुरक्षा अधिकारी, स्टेशन स्टाफ और मेडिकल टीम ने बिना किसी रुकावट और कम समय में दोनों ऑर्गन एस्टर RV हॉस्पिटल और नारायण हेल्थ सिटी तक पहुंचाए। BMRCL ने कहा कि वह आगे भी ऐसे जीवन-रक्षक मिशनों में सहयोग देती रहेगी। नारायण हेल्थ सिटी ने कहा कि बेंगलुरु मेट्रो के कारण शहर भर में तेज, बिना भीड़-भाड़ के ट्रांसपोर्ट मुमकिन हुआ, जिससे ऑर्गन से मरीजों की जान बचाई जा सकी। हर अंग का एक निश्चित समय होता है, जिसके भीतर उसे ट्रांसप्लांट किया जाना जरूरी होता है। आइए समझते हैं कि कौन-सा अंग कितने समय में ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। ऑर्गन डोनेशन के बारे में जानें जब हमारे शरीर का कोई अंग खराब हो जाता है और वो काम करना बंद कर देता है, तब उस अंग की जगह किसी दूसरे व्यक्ति का स्वस्थ अंग लगाया जाता है। इसे ऑर्गन ट्रांसप्लांट कहते हैं। अगर कोई व्यक्ति अपने शरीर का अंग किसी जरूरतमंद को देता है तो उसे अंगदान (ऑर्गन डोनेशन) कहते हैं। भारत में हर साल लाखों लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें लिवर, किडनी, हार्ट या आंखों जैसे अंगों की सख्त जरूरत होती है, लेकिन समय पर डोनर न मिलने के कारण उनकी जान चली जाती है। जबकि एक ब्रेन डेड व्यक्ति के अंग करीब 8 लोगों की जान बचा सकते हैं। भारत में मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 जैसे कानून बनाए गए हैं। सरकार की ओर से समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं, ताकि इस नेक काम को लेकर फैली भ्रांतियों को दूर किया जा सके। ऑर्गन और टिश्यू डोनेशन में अंतर आम तौर पर शरीर के ऑर्गन और टिश्यूस दोनों को डोनेट किया जा सकता है। ऑर्गन यानी शरीर का बड़ा और पूरा अंग, जिसके सही तरीके से काम करने पर हमारी जिंदगी टिकी होती है। इनमें खराबी आ जाए तो इंसान की जान खतरे में पड़ सकती है और इन्हें बदलने के लिए ऑर्गन ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है। डोनेट करने वाले ऑर्गन - लंग्स, हार्ट, लिवर, किडनी, छोटी आंत, पेंक्रियाज होते हैं। टिश्यू यानी ऊतक, जो किसी अंग का छोटा-सा हिस्सा या परत होते हैं। ये कई कोशिकाओं से मिलकर बने होते हैं और शरीर को खास काम करने में मदद करते हैं। वहीं डोनेट करने वाले टिश्यू- आंख, हड्डी, स्किन, नसें, हार्ट वॉल्व होते हैं। ऑर्गन डोनेट करने के लिए जरूरी शर्तें ऑर्गन डोनेशन एक सेंसिटिव और कानूनी प्रक्रिया है। इसे करते समय न सिर्फ मेडिकल जांच जरूरी होती है, बल्कि कानूनी और नैतिक शर्तों का भी पालन करना होता है। ताकि डोनेशन पारदर्शिता और सुरक्षा के साथ हो सके। --------------------------------- ये खबर भी पढ़ें... गर्लफ्रेंड को मारा, अंग निकालकर बेचे, बॉडी पार्ट्स की सबसे ज्यादा कीमत ब्लैक मार्केट में, हार्ट-लिवर 16 करोड़, तो हड्डी 40 हजार की अंगदान महादान कहा जाता है। मगर इस दान से लोग कतराते हैं। वहीं, हडि्डयों के दान में तो लोग और भी पीछे हट जाते हैं क्योंकि लोग सामाजिक-धार्मिक वजहों से यह मानते हैं कि इससे मरने वाले व्यक्ति का शरीर खराब हो जाता है। भारत में अंग न मिलने से हर साल करीब 5 लाख लोग दम तोड़ रहे हैं। यही स्थिति पूरी दुनिया में है। पूरी खबर पढ़ें...

Oct 31, 2025 - 00:33
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बेंगलुरु मेट्रो बनी लाइफसेवर,ऑर्गन ट्रांसपोर्ट कर मरीजों की जान बचाई:41 मिनट में दिल और 68 मिनट में फेफड़े हॉस्पिटल पहुंचाए
बेंगलुरु के स्पर्श हॉस्पिटल की मेडिकल टीम और मेट्रो रेल (BMRCL) ने मिलकर एक ऐसा ऑपरेशन किया, जो किसी फिल्मी सीन से कम नहीं था। शहर की लाइफलाइन कही जाने वाली मेट्रो ने गुरुवार को ट्रांसप्लांट के लिए ले जाए जा रहे इंसानी दिल (हार्ट) और फेफड़े तेजी से ट्रांसपोर्ट किए। BMRCL ने बयान जारी कर कहा कि डॉक्टर्स की टीम हार्ट को सुबह 9:34 बजे गोरगुंटेपल्या मेट्रो स्टेशन लाई और जिसे 10:15 बजे बनशनकरी स्टेशन पहुंचा दिया गया। इस दौरान हार्ट ने 17 स्टेशन सिर्फ 41 मिनट में पार किए। वहीं, फेफड़े सुबह 10:05 बजे गोरगुंटेपल्या स्टेशन लाए गए और 11:13 बजे बोम्मसंद्रा स्टेशन पहुंचाए गए। इसमें RV रोड स्टेशन पर इंटरचेंज हुआ और 31 स्टेशन सिर्फ 1 घंटे 8 मिनट (68 मिनट) में पार किए गए। इसके बाद दोनों अंगों को मरीजों में ट्रांसप्लांट किए जा सके। हार्ट को किसी इंसान की मौत के 6 घंटे के भीतर ट्रांसप्लांट करना होता है। हार्ट और फेंफड़े हॉस्पिटल पहुंचाने से जुड़ी 3 तस्वीरें... बेंगलुरु मेट्रो ने कहा- आगे भी ऐसे मिशन करेंगे BMRCL ने बयान में कहा कि मेट्रो के सुरक्षा अधिकारी, स्टेशन स्टाफ और मेडिकल टीम ने बिना किसी रुकावट और कम समय में दोनों ऑर्गन एस्टर RV हॉस्पिटल और नारायण हेल्थ सिटी तक पहुंचाए। BMRCL ने कहा कि वह आगे भी ऐसे जीवन-रक्षक मिशनों में सहयोग देती रहेगी। नारायण हेल्थ सिटी ने कहा कि बेंगलुरु मेट्रो के कारण शहर भर में तेज, बिना भीड़-भाड़ के ट्रांसपोर्ट मुमकिन हुआ, जिससे ऑर्गन से मरीजों की जान बचाई जा सकी। हर अंग का एक निश्चित समय होता है, जिसके भीतर उसे ट्रांसप्लांट किया जाना जरूरी होता है। आइए समझते हैं कि कौन-सा अंग कितने समय में ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। ऑर्गन डोनेशन के बारे में जानें जब हमारे शरीर का कोई अंग खराब हो जाता है और वो काम करना बंद कर देता है, तब उस अंग की जगह किसी दूसरे व्यक्ति का स्वस्थ अंग लगाया जाता है। इसे ऑर्गन ट्रांसप्लांट कहते हैं। अगर कोई व्यक्ति अपने शरीर का अंग किसी जरूरतमंद को देता है तो उसे अंगदान (ऑर्गन डोनेशन) कहते हैं। भारत में हर साल लाखों लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें लिवर, किडनी, हार्ट या आंखों जैसे अंगों की सख्त जरूरत होती है, लेकिन समय पर डोनर न मिलने के कारण उनकी जान चली जाती है। जबकि एक ब्रेन डेड व्यक्ति के अंग करीब 8 लोगों की जान बचा सकते हैं। भारत में मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 जैसे कानून बनाए गए हैं। सरकार की ओर से समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं, ताकि इस नेक काम को लेकर फैली भ्रांतियों को दूर किया जा सके। ऑर्गन और टिश्यू डोनेशन में अंतर आम तौर पर शरीर के ऑर्गन और टिश्यूस दोनों को डोनेट किया जा सकता है। ऑर्गन यानी शरीर का बड़ा और पूरा अंग, जिसके सही तरीके से काम करने पर हमारी जिंदगी टिकी होती है। इनमें खराबी आ जाए तो इंसान की जान खतरे में पड़ सकती है और इन्हें बदलने के लिए ऑर्गन ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है। डोनेट करने वाले ऑर्गन - लंग्स, हार्ट, लिवर, किडनी, छोटी आंत, पेंक्रियाज होते हैं। टिश्यू यानी ऊतक, जो किसी अंग का छोटा-सा हिस्सा या परत होते हैं। ये कई कोशिकाओं से मिलकर बने होते हैं और शरीर को खास काम करने में मदद करते हैं। वहीं डोनेट करने वाले टिश्यू- आंख, हड्डी, स्किन, नसें, हार्ट वॉल्व होते हैं। ऑर्गन डोनेट करने के लिए जरूरी शर्तें ऑर्गन डोनेशन एक सेंसिटिव और कानूनी प्रक्रिया है। इसे करते समय न सिर्फ मेडिकल जांच जरूरी होती है, बल्कि कानूनी और नैतिक शर्तों का भी पालन करना होता है। ताकि डोनेशन पारदर्शिता और सुरक्षा के साथ हो सके। --------------------------------- ये खबर भी पढ़ें... गर्लफ्रेंड को मारा, अंग निकालकर बेचे, बॉडी पार्ट्स की सबसे ज्यादा कीमत ब्लैक मार्केट में, हार्ट-लिवर 16 करोड़, तो हड्डी 40 हजार की अंगदान महादान कहा जाता है। मगर इस दान से लोग कतराते हैं। वहीं, हडि्डयों के दान में तो लोग और भी पीछे हट जाते हैं क्योंकि लोग सामाजिक-धार्मिक वजहों से यह मानते हैं कि इससे मरने वाले व्यक्ति का शरीर खराब हो जाता है। भारत में अंग न मिलने से हर साल करीब 5 लाख लोग दम तोड़ रहे हैं। यही स्थिति पूरी दुनिया में है। पूरी खबर पढ़ें...

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