भारतीय रुपया पहली बार 87 प्रति डॉलर के लेवल से भी नीचे, आखिर और कितना गिरेगा? बस गिरता ही जा रहा

डोनाल्ड ट्रंप के कनाडा और मेक्सिको पर 25 प्रतिशत और चीन पर 10 प्रतिशत शुल्क लगाने से व्यापक व्यापार युद्ध की आशंका तेज हो गई है। इसका असर भारतीय मुद्रा पर देखा गया।

Feb 3, 2025 - 21:33
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भारतीय रुपया पहली बार 87 प्रति डॉलर के लेवल से भी नीचे, आखिर और कितना गिरेगा? बस गिरता ही जा रहा
भारतीय रुपया पहली बार 87 प्रति डॉलर के लेवल से भी नीचे, आखिर और कितना गिरेगा? बस गिरता ही जा रहा

भारतीय रुपया पहली बार 87 प्रति डॉलर के लेवल से भी नीचे, आखिर और कितना गिरेगा? बस गिरता ही जा रहा

AVP Ganga

लेखिका: साक्षी शर्मा, टीम नेटानागरी

परिचय

भारतीय रुपया हाल ही में अमेरिकी डॉलर के مقابل ऐतिहासिक स्तर को पार करते हुए 87 प्रति डॉलर के स्तर से नीचे चला गया है। यह घटना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय बन गई है। सवाल यह उठता है कि आखिर यह गिरावट कब थमेगी और क्या इसके पीछे के कारण हैं। इस लेख में हम इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

रुपये की गिरावट के कारण

रुपये की गिरावट के विभिन्न कारण हैं। वैश्विक स्थिरता का अभाव, अमेरिका में ब्याज दरों में वृद्धि और भारत में बढ़ती महंगाई इस गिरावट के मुख्य कारक हैं। विश्व स्तर पर ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि और व्यापार घाटा भी रुपये की स्थिति पर असर डाल रहे हैं। इन कारकों ने भारतीय निवेशकों के मन में अनिश्चितता पैदा की है, जिसके परिणामस्वरूप रुपये की मांग में कमी आई है।

गिरते रुपये से प्रभावित क्षेत्र

रुपये की गिरावट का प्रभाव कई क्षेत्रों में दिखाई दे रहा है। सबसे पहले, आयातित वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हुई है, जिससे उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है। विशेषकर, नीचे दिए गए क्षेत्रों में इसका प्रभाव स्पष्ट है:

  • पेट्रोलियम उत्पाद - रुपये की कमजोरी के कारण ईंधन की कीमतें बढ़ रही हैं।
  • सोना और चांदी - महंगे आयात के कारण आभूषण उद्योग प्रभावित हो रहा है।
  • इलेक्ट्रॉनिक उपकरण - घटते रुपये के कारण आयातित इलेक्ट्रॉनिक सामान महंगे हो गए हैं।

क्या आगे भी गिरेंगा रुपया?

विशेषज्ञों का मानना है कि रुपये की गिरावट जारी रह सकती है। अगर वैश्विक स्थिति में सुधार नहीं होता है तो रुपये के और गिरने की संभावना है। हालांकि, कुछ आर्थिक संकेतक जैसे जीडीपी वृद्धि, विदेशी निवेश और भारतीय रिजर्व बैंक की नीतियों के अनुसार रुपये को समर्थन मिल सकता है।

निष्कर्ष

भारतीय रुपये की गिरावट से न केवल अर्थव्यवस्था में बल्कि आम जनजीवन में भी प्रभाव पड़ रहा है। इसके विभिन्न कारण और प्रभावों को समझने के बाद, हमें सही नीतियों और उपायों की आवश्यकता है ताकि रुपये को स्थिर किया जा सके। यदि आप इस विषय पर अधिक अपडेट पाना चाहते हैं, तो अवश्य ही avpganga.com पर जाएं।

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