'हिंदू समाज विश्व का गुरु बनेगा, इसमें कोई दो राय नहीं', केरल में बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत

मोहन भागवत ने कहा कि शक्तिमान होने से बाकी विश्व को भी खतरा भी हो सकता है, क्योंकि शक्ति तो शक्ति है ,उसको दिशा देने वाला मनुष्य होता है, उसकी बुद्धि कैसी है, उस पर निर्भर है।

Feb 6, 2025 - 08:33
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'हिंदू समाज विश्व का गुरु बनेगा, इसमें कोई दो राय नहीं', केरल में बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत
'हिंदू समाज विश्व का गुरु बनेगा, इसमें कोई दो राय नहीं', केरल में बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत

‘हिंदू समाज विश्व का गुरु बनेगा, इसमें कोई दो राय नहीं’, केरल में बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत

AVP Ganga, लेखिका: नीतू शर्मा, टीम नेटानागरी

परिचय

हाल ही में केरल में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान RSS प्रमुख मोहन भागवत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि 'हिंदू समाज विश्व का गुरु बनेगा, इसमें कोई दो राय नहीं।' उनके इस बयान ने पूरे देश में चर्चाओं का केंद्र बना दिया है। आइए, जानते हैं उनके इस भाषण के प्रमुख बिंदुओं और इसके पीछे के संदर्भ को।

समाज और संस्कृति की बात

मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू संस्कृति हमेशा से मानवता के उत्थान के लिए काम करती रही है। उन्होंने उल्लेख किया कि हिंदू समाज की शिक्षाएं न केवल भारत में बल्कि दुनिया के हर कोने में महत्व रखती हैं। उनका मानना है कि यदि हिंदू समाज अपनी जड़ों को समझे और अपनी सही पहचान को पहचाने, तो वह एक बार फिर से विश्व में ज्ञान और संस्कृति का स्रोत बन सकता है।

बातचीत में ऐतिहासिक संदर्भ

भागवत ने भारतीय संस्कृति की समृद्धि और विविधता की चर्चा करते हुए कहा कि हमारी परंपराएं और मूल्य हमें विशिष्ट बनाते हैं। उन्होंने कहा, "हमारी संस्कृति में समावेशिता है, यह सभी को गले लगाती है।" उनके अनुसार, हिंदू समाज को इस विविधता का सम्मान करना चाहिए और इसे विश्व स्तर पर फैलाना चाहिए।

सीखने की आवश्यकता

उन्होंने यह भी कहा कि हमें अपने ज्ञान और संस्कृति को दूसरों के साथ साझा करने में झिझक नहीं करनी चाहिए। भागवत का यह संदेश समाज को जागरूक करने का प्रयास है कि कैसे वे अपनी धरोहर को और मजबूत कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “हमें अन्य संस्कृतियों से भी सीखने की जरूरत है।”

मासिक संवाद और जमीनी कार्य

मोहन भागवत ने यह भी स्पष्ट किया कि RSS ने हमेशा समाज के उत्थान के लिए काम किया है। संगठन की गतिविधियों में समाजिक जागरूकता के कई कार्यक्रम शामिल हैं, जो कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने का कार्य कर रहे हैं। इसके साथ ही, उन्होंने अपील की कि हर व्यक्ति को समाज के विकास में योगदान देना चाहिए।

निष्कर्ष

मोहन भागवत का यह बयान न केवल हिंदू समाज के लिए गर्व की बात है बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो समाज में सकारात्मक बदलाव चाहते हैं। एकत्रित होकर, यदि हम अपनी संस्कृति और मूल्य का सम्मान करते हैं, तो निश्चित रूप से हम विश्व स्तर पर एक गुरु के रूप में उभर सकते हैं। यह बयान हमें यह भी याद दिलाता है कि सुधार की आवश्यकता हमेशा रहती है और विकास का सफर कभी समाप्त नहीं होता।

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