DeepSeek के जरिए चीन कर रहा है जासूसी, रिसर्चर्स ने खोल दी पोल-पट्टी, कई देशों में लगा बैन
DeepSeek AI को लेकर नया खुलासा हुआ है। इस एआई टूल के चाइना टेलीकॉम से लिंक होने की जानकारी सामने आई है। सिक्योरिटी रिसर्चर्स का दावा है कि यूजर की लॉग-इन जानकारी चीन भेजी जा रही है।
DeepSeek के जरिए चीन कर रहा है जासूसी, रिसर्चर्स ने खोल दी पोल-पट्टी, कई देशों में लगा बैन
AVP Ganga
लेखिका: अंजलि शर्मा और साक्षी वर्मा, टीम नेटानागरी
परिचय
चीन की एक होशियारी अब दुनिया के सामने आ गई है। रिसर्चर्स ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें दावा किया गया है कि चीन ने "DeepSeek" नामक एक उन्नत तकनीक का इस्तेमाल करते हुए जासूसी गतिविधियों को अंजाम दिया है। इस खुलासे के बाद कई देशों ने इससे प्रभावित होकर इस तकनीक के उपयोग पर गंभीरता से बैन लगाने पर विचार किया है।
DeepSeek का महत्व
DeepSeek एक विशेष सॉफ्टवेयर है, जिसे डेटा खगालने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसके जरिए चीन ने विभिन्न देशों के गोपनीय डेटा, व्यापारिक जानकारी, और सुरक्षा तंत्र को लक्षित किया। रिसर्चर्स का मानना है कि यह तकनीक विशेष रूप से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और ऑनलाइन डेटा को स्कैन करने में सक्षम है।
जासूसी गतिविधियों का खुलासा
रिसर्चर्स ने बताया है कि DeepSeek का उपयोग करके चीन ने न केवल व्यक्तिगत डेटा इकट्ठा किया बल्कि विभिन्न देशों की निजी कंपनियों और सरकारी संस्थाओं के बीच हो रहे संवेदनशील संवादों को भी एक्सेस किया। इसके परिणामस्वरूप, कई देशों ने इसे एक गंभीर खतरा मानते हुए इससे संबंधित नेटवर्क पर बैन लगाने का मन बना लिया है।
कौन-से देश कर रहे हैं बैन?
सूत्रों के अनुसार, अमेरिका, भारत, और कई यूरोपीय देशों ने पहले ही DeepSeek के उपयोग को प्रतिबंधित करने के कदम उठाए हैं। इन देशों का मानना है कि इस टूल से डेटा की सुरक्षा को भारी खतरा हो सकता है और इसकी वजह से राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी सवाल खड़े होते हैं।
निष्कर्ष
DeepSeek द्वारा जासूसी के इस खुलासे ने वैश्विक स्तर पर न केवल चीन की मंशाओं को बेनकाब किया है, बल्कि सुरक्षा नियामकों को भी अपनी तकनीकों और नीतियों पर पुनर्विचार करने पर मजबूर कर दिया है। यह घटना यह दर्शाती है कि तकनीक के इस युग में, डेटा और गोपनीयता की सुरक्षा कितनी महत्वपूर्ण हो गई है। भविष्य में ऐसे विवादों से बचने के लिए देशों को एकजुट होकर कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है।
फिलहाल, रिसर्चर्स का यह सुझाव है कि जनता को जागरूक रहना चाहिए और अपनी व्यक्तिगत जानकारी को सुरक्षित रखने के लिए उचित उपाय करने चाहिए।
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