LIC को मिला ₹101.95 करोड़ का जीएसटी डिमांड नोटिस, जानें क्या है पूरा मामला

जीएसटी मांग नोटिस 2017-18 और 2021-22 के बीच पांच वित्तीय वर्षों से संबंधित है। मांग का वित्तीय प्रभाव जीएसटी, ब्याज और जुर्माने की सीमा तक है।

Feb 5, 2025 - 03:33
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LIC को मिला ₹101.95 करोड़ का जीएसटी डिमांड नोटिस, जानें क्या है पूरा मामला
LIC को मिला ₹101.95 करोड़ का जीएसटी डिमांड नोटिस, जानें क्या है पूरा मामला

LIC को मिला ₹101.95 करोड़ का जीएसटी डिमांड नोटिस, जानें क्या है पूरा मामला

AVP Ganga

लेखिका: नेहा शर्मा, टीम नेतानागरी

महानगर मुंबइ: भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) को केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBEC) द्वारा ₹101.95 करोड़ का जीएसटी डिमांड नोटिस मिला है। यह मामला उस समय का है, जब LIC ने कुछ सेवाओं पर जीएसटी का भुगतान नहीं किया था। आइए समझते हैं पूरी कहानी और इसके पीछे के कारणों को।

मामले की पृष्ठभूमि

LIC की स्थापना 1956 में हुई थी और यह भारत का सबसे बड़ा बीमा कंपनी है। इस संस्थान की सेवाएं विभिन्न प्रकार की बीमा योजनाओं तक सीमित नहीं हैं बल्कि यह निवेश और अन्य वित्तीय उत्पादों में भी शामिल है। हालांकि, जीएसटी लागू होने के बाद से कंपनी को कई बार कर दवाब का सामना करना पड़ा है। हाल ही में, जीएसटी इवेजन के मामले में उन्हें यह डिमांड नोटिस जारी किया गया है।

क्या है जीएसटी डिमांड नोटिस?

जीएसटी डिमांड नोटिस का अर्थ है कि कर प्राधिकरण ने किसी कंपनी से यह सुनिश्चित करने के लिए आरोप लगाया है कि उसने सही तरीके से जीएसटी का भुगतान नहीं किया है। LIC के मामले में, आरोप है कि इसने कुछ सेवाओं के लिए जीएसटी का सही भुगतान नहीं किया है। इस नोटिस में यह शर्त शामिल है कि यदि कंपनी ने सही ढंग से जीएसटी को जमा नहीं किया, तो उसे दंडित किया जा सकता है।

LIC की प्रतिक्रिया

LIC ने इस डिमांड नोटिस के खिलाफ अपील का निर्णय लिया है। कंपनी का कहना है कि वह सभी कानूनों का पालन करती है और उन्हें यह नोटिस संदिग्ध प्रतीत होता है। उनके प्रवक्ता ने कहा है कि वे इस मामले के सभी पहलुओं का गहन अध्ययन कर रहे हैं और सभी दस्तावेजों को न्यायालय के समक्ष पेश करेंगे।

जीएसटी में बदलाव और कंपनी का अस्तित्व

देश में जीएसटी लागू होने के बाद, कई कंपनियों को नई कर प्रणाली में अपनी स्थिति को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो गया है। विशेष रूप से बीमा कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होता है कि वे सभी सेवाओं का सही तरीके से कर का भुगतान कर रही हैं। नए नियमों और कानूनों के चलते कंपनियों को समय-समय पर अपने कर मामले को अपडेट रखना पड़ता है।

निष्कर्ष

LIC के लिए यह मामला गंभीर है, क्योंकि अगर कंपनी को दंडित किया जाता है तो इसका न केवल वित्तीय प्रभाव पड़ेगा, बल्कि इसकी विश्वसनीयता पर भी असर होगा। कंपनी को अपने वित्तीय मामलों को सही करने और न्यायालय में अपनी स्थिति स्पष्ट करने की आवश्यकता है। निवेशकों और विचारधारकों को इस मामले पर नजर बनाए रखनी चाहिए।

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