Mahakumbh 2025: प्रयागराज में महाकुंभ का आज तीसरा दिन, लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने पहुंचे
प्रयागराज में महाकुंभ का तीसरा दिन है, जहां लाखों श्रद्धालु माघ महीने में कल्पवास कर रहे हैं। बता दें कि मकर संक्रांति पर 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने गंगा और संगम में स्नान किया था, जबकि पौष पूर्णिमा पर 1.65 करोड़ लोग स्नान करने पहुंचे थे।
Mahakumbh 2025: प्रयागराज में महाकुंभ का आज तीसरा दिन, लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने पहुंचे
News by AVPGANGA.com
महाकुंभ: संस्कृति और श्रद्धा का महापर्व
महाकुंभ का पर्व भारत की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहां लाखों श्रद्धालु संगम के पवित्र जल में स्नान करने के लिए जुटते हैं। प्रयागराज का ये आयोजन हर 12 वर्ष में आयोजित होता है और यह सचमुच अपने आप में अद्भुत है। तीसरे दिन का स्वागत करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ संकुल हो गई है, सभी अलग-अलग स्थानों से यहां पहुंचे हैं।
श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार वृद्धि
महाकुंभ के दौरान संगम पर श्रद्धालुओं की संख्या में आश्चर्यजनक वृद्धि देखी जा रही है। पवित्र संगम, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती की धाराएं मिलती हैं, आज पर्यटकों और श्रद्धालुओं से भरा हुआ है। इस दिन लोग विशेष रूप से अमावस्या स्नान के लिए एकत्र होते हैं, जिसे धार्मिक दृष्टि से बहुत auspicious माना जाता है।
संगम का महत्व और धार्मिक मान्यता
संगम का महत्व केवल स्नान करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक अवसर है, जहां लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। यहां पर विशेष अनुष्ठान और यज्ञ भी आयोजित होते हैं, जो धार्मिक मान्यता के अनुसार पुण्य दिलाते हैं।
सुविधाओं का ध्यान
प्रयागराज प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कई अस्थायी सुविधाएं बनाई हैं, जैसे चिकित्सा सहायता, शौचालय, और सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं। इसके साथ ही, विभिन्न धर्म गुरुओं द्वारा प्रवचन और भव्य मंडपों की व्यवस्था भी की गई है।
महाकुंभ का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
महाकुंभ का महत्व धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अतुलनीय है। यह न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि एक विशाल मानवता का मेला भी है। महाकुंभ का आयोजन भारतीय संस्कृति की समृद्धि और प्रगति को दर्शाता है।
अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
महाकुंभ 2025 का यह आयोजन केवल एक विशेष पूजा-पाठ नहीं, बल्कि यह लोगों को एकजुट करने, विश्व का ध्यान आकर्षित करने और सभी संस्कृतियों का सम्मान करने का भी अवसर है। यह पर्व आने वाले समय के लिए एक प्रेरणा स्रोत बना रहेगा।
अवलोकन
इस महाकुंभ के दौरान संगीतमय भक्तिमय वातावरण में श्रद्धालुओं का उत्साह और आस्था साफ नजर आ रही है। आशा है कि सभी श्रद्धालु अपने यात्रा को सुखद और ज्ञानवर्धक अनुभव के साथ समापन करें।
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