किराना की पारंपरिक दुकानें होने लगीं हैं बंद! ऑनलाइन मार्केट के बाद अब क्विक कॉमर्स बन रही वजह

मौजूदा समय में हालांकि सबसे ज्यादा असर अभी बड़े शहरों पर देखा जा रहा है। रोजमर्रा की वस्तुओं के वितरकों का प्रतिनिधित्व करने वाले ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन (एआईसीपीडीएफ) के मुताबिक, पिछले साल लगभग 2,00,000 किराना स्टोर बंद हो गए हैं।

Jan 9, 2025 - 10:03
 159  501.8k
किराना की पारंपरिक दुकानें होने लगीं हैं बंद! ऑनलाइन मार्केट के बाद अब क्विक कॉमर्स बन रही वजह
मौजूदा समय में हालांकि सबसे ज्यादा असर अभी बड़े शहरों पर देखा जा रहा है। रोजमर्रा की वस्तुओं के वितरकों का प्रतिनिधित्व करने वाले ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन (एआईसीपीडीएफ) के मुताबिक, पिछले साल लगभग 2,00,000 किराना स्टोर बंद हो गए हैं।

किराना की पारंपरिक दुकानें होने लगीं हैं बंद! ऑनलाइन मार्केट के बाद अब क्विक कॉमर्स बन रही वजह

AVP Ganga

लेखिका: सुष्मिता शर्मा, टीम नेतानगरी

परिचय

किराने की पारंपरिक दुकानों का अस्तित्व भारतीय बाजार के लिए एक महत्वपूर्ण पहचान रहा है। लेकिन आजकल हम देख रहे हैं कि ये दुकानें धीरे-धीरे बंद होती जा रही हैं। ऑनलाइन मार्केट के बढ़ते प्रभाव के साथ-साथ क्विक कॉमर्स (त्वरित वाणिज्य) ने भी इस परिवर्तन में अपनी भूमिका निभाई है। यह लेख इन बदलावों के पीछे के कारणों और उनके प्रभाव की चर्चा करेगा।

क्विक कॉमर्स का प्रभाव

क्विक कॉमर्स, जो कुछ ही घंटों में उत्पादों की डिलीवरी करने का वादा करता है, ने कई बच्चों और युवाओं को अपनी ओर आकर्षित किया है। ग्रॉसरी के सामानों की खरीदारी अब मोबाइल ऐप के माध्यम से केवल एक क्लिप में हो रही है। ऐसे में पारंपरिक दुकानों का कारोबार कम होता जा रहा है। ग्राहक अब पहले से जानने के बजाय मोबाइल फोन के जरिए जानकारी प्राप्त कर रहे हैं।

ऑनलाइन मार्केट की वृद्धि

विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्म जैसे कि फ्लिपकार्ट, अमेज़न और बिगबास्केट ने भारतीय बाजार को नई दिशा दी है। यहां तक कि कई घरेलू व्यवसाय भी अब अपनी वस्तुओं को ऑनलाइन बेचने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। यह सब पारंपरिक दुकानों के लिए एक चुनौती बन गया है, जो कुछ नई सुविधाओं के अभाव में या अधिक मूल्य की वजह से अपना ग्राहक Потензियाली खो रहे हैं।

ग्राहकों के बदलते खरीदारी व्यवहार

ग्रहकों के बीच समय की कमी और मूल्य संवेदनशीलता ने भी इस बदलाव को बढ़ावा दिया है। अब लोग गुणवत्तापूर्ण सामानों को शीघ्र प्राप्त करना चाहते हैं। अध्ययन के अनुसार, 70% युवा अब पारंपरिक खरीदारी की बजाय ऑनलाइन खरीदारी को पहली प्राथमिकता दे रहे हैं।

आगे का रास्ता

पारंपरिक किराना दुकानों को अब अपने व्यवसाय को जीवित रखने के लिए नए तरीके अपनाने की आवश्यकता है। प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से ग्राहक सेवाओं को बढ़ाना, ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर अपनी उपस्थिति बढ़ाना और प्रतिस्पर्धी मूल्य प्रदान करना ज़रूरी है। यही नहीं, स्थानीय लोगों के लिए विशेष ऑफर्स और कार्यक्रम भी उन्हें आकर्षित कर सकते हैं।

निष्कर्ष

किराने की पारंपरिक दुकानों का बंद होना हम सभी के लिए एक चिंता का विषय है। लेकिन मार्केट की नई चालों के साथ तालमेल बनाकर, ये दुकानें अपनी भूमिका को बनाए रख सकती हैं। यद्यपि ऑनलाइन विपणन और क्विक कॉमर्स ने बाजार में क्रांति उत्पन्न की है, फिर भी स्थानीयता और स्नेह के साथ बनी रहने वाली दुकानों की अपनी एक पहचान है।

For more updates, visit avpganga.com.

Keywords

online grocery, quick commerce, traditional stores, Indian market, e-commerce growth, customer behavior, local grocery shops, challenges for small retailers, technology in retail, shopping trends in India

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow