'क्या गंगा नहाने से खत्म हो जाएगी गरीबी', महाकुंभ को लेकर खरगे का बयान, BJP ने पूछा- हिंदुओं से नफरत क्यों?

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने महाकुंभ में स्नान को लेकर कहा कि बीजेपी के लोग कैमरा देख कर ही डुबकी लगाते हैं। बीजेपी के नेता तब तक डुबकी लगाते रहते हैं, जब तक फोटो सही नहीं आ जाती है। खरगे के बयान पर बीजेपी ने पलटवार किया है।

Jan 27, 2025 - 18:33
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'क्या गंगा नहाने से खत्म हो जाएगी गरीबी', महाकुंभ को लेकर खरगे का बयान, BJP ने पूछा- हिंदुओं से नफरत क्यों?
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क्या गंगा नहाने से खत्म हो जाएगी गरीबी, महाकुंभ को लेकर खरगे का बयान, BJP ने पूछा- हिंदुओं से नफरत क्यों?

AVP Ganga, लेखिका: प्रिया शर्मा, टीम नटानागरी

हाल ही में, भारतीय राजनीति में एक विवादास्पद बयान ने हलचल मचा दी है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने महाकुंभ के अवसर पर एक ऐसा बयान दिया है, जिसमें उन्होंने गंगा नदी में स्नान को गरीबी खत्म करने का एक साधन बताया है। इस बयान पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

खरगे का विवादास्पद बयान

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, "गंगा में स्नान करने से न केवल पाप मिटते हैं, बल्कि यह हमारे जीवन में समृद्धि भी लाता है।" उनके इस बयान को लेकर भाजपा ने आरोप लगाया है कि यह केवल धार्मिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश है। भाजपा के नेताओं ने सवाल उठाया कि क्या गंगा में स्नान करने से आर्थिक समस्या का समाधान हो सकता है?

भाजपा की प्रतिक्रिया

भाजपा के प्रवक्ता ने कहा, "क्या कांग्रेस के नेताओं को पूरी तरह से समझ नहीं आता कि गरीबी से मुक्ति केवल सांस्कृतिक गतिविधियों से नहीं हो सकती?" उन्होंने इस बयान को हिंदुओं से नफरत के रूप में देखा, जिसमें धार्मिक आस्था का गलत उपयोग किया जा रहा है। इस संदर्भ में, भाजपा ने खरगे के बयान को अशोभनीय और अनधिकृत बताया।

महाकुंभ का महत्व

महाकुंभ, जो कि भारत में हर 12 साल में आयोजित होता है, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का प्रतीक है। इसमें लाखों श्रद्धालु गंगा नदी में स्नान करने एकत्रित होते हैं। यह एक ऐसा पर्व है, जिसमें लोग अपनी आस्था के अनुसार पवित्रता की भावना से भाग लेते हैं। इससे समाज में एकता और सामंजस्य का संदेश भी दिया जाता है।

हालांकि, महाकुंभ के इस ऐतिहासिक महत्व को राजनीतिक बयानों के जरिए विवादों में घसीटने से बचना चाहिए। देश की समृद्धि और गरीबी मिटाने के लिए नीति निर्धारण, योजना बनाना और क्रियान्वयन जरूरी है। केवल गंगा में स्नान करना एक समाधान नहीं हो सकता।

क्या गंगा से खत्म होगी गरीबी?

गंगा नदी में स्नान को गरीबों की आर्थिक स्थिति सुधारने का साधन बताना यथार्थता से परे है। गरीबी उन्मूलन के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार उपलब्ध कराना आवश्यक है। गंगा नदी का जल केवल शारीरिक पवित्रता के लिए नहीं, बल्कि पर्यावरण और जीवन के लिए भी महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

इस विषय पर चर्चा होने की आवश्यकता है ताकि सभी पक्ष अपनी बात रख सकें। गंगा में स्नान करना हमारी संस्कृति का हिस्सा है, लेकिन इसे आपदा या आर्थिक समस्याओं का समाधान समझना सही नहीं है। हमें एक ऐसे समाज की ओर बढ़ना चाहिए, जो धार्मिक आस्था के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित करे।

अंत में, यह स्पष्ट है कि केवल धार्मिक क्रियाकलापों से समाज का विकास नहीं होता। हमें ठोस नीतियों और कार्यों की आवश्यकता है, ताकि हम सभी वर्गों के लिए बेहतर भविष्य बना सकें।

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