दादा की मौत के 27 साल बाद पोते को मिले बैंक में जमा छह लाख, खाते की नहीं थी भनक

RBI Campaign:एक युवक को दादा की मौत के 27 साल बाद  बैंक ने उनके खाते में पड़े छह लाख रुपये लौटाए हैं। आप की पूंजी, आप का अधिकार’ स्लोगन से सरकार की निष्क्रिय खातों के वारिसों को रकम लौटाने की मुहिम जरूरतमंदों के लिए बड़ी राहत साबित हो रही है। शुक्रवार को आईआरडीटी सभागार में नथुवावाला देहरादून निवासी देवेंद्र कुमार को उनके दादा की मौत के 27 साल बाद छह लाख रुपये दिए गए। बड़ी बात ये है कि देवेंद्र को इस बैंक खाते के बारे में जानकारी ही नहीं थी। देवेंद्र के मुताबिक दादा का निधन 1998 हो गया था। मौत से पहले उनका एसबीआई में खाता था, परिजनों को इसकी जानकारी नहीं थी। कुछ दिन पहले उनके घर पर बैंक कर्मचारी आए थे, उन्होंने सत्यापन के बाद संबंधित बैंक खाते का जिक्र किया। उनसे दादा की मृत्यु प्रमाण पत्र सहित अन्य दस्तावेज मांगे। शुक्रवार को बैंक ने उन्हें छह लाख का चेक दे दिया। देवेंद्र ने बताया कि यह उनके दादा का आशीर्वाद है। इस रकम को वो बच्चों की पढ़ाई में लगाएंगे। देवेंद्र ने बताया कि वह एक निजी कंपनी में काम करते हैं। अब दादा की पूंजी से वह अपने बच्चों का भविष्य बेहतर बनाएंगे।

Nov 15, 2025 - 09:33
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दादा की मौत के 27 साल बाद पोते को मिले बैंक में जमा छह लाख, खाते की नहीं थी भनक
RBI Campaign:एक युवक को दादा की मौत के 27 साल बाद  बैंक ने उनके खाते में पड़े छह लाख रुपये लौटाए हैं। आप की पूंजी, आप का अधिकार’ स्लोगन से सरकार की निष्क्रिय खातों के वारिसों को रकम लौटाने की मुहिम जरूरतमंदों के लिए बड़ी राहत साबित हो रही है। शुक्रवार को आईआरडीटी सभागार में नथुवावाला देहरादून निवासी देवेंद्र कुमार को उनके दादा की मौत के 27 साल बाद छह लाख रुपये दिए गए। बड़ी बात ये है कि देवेंद्र को इस बैंक खाते के बारे में जानकारी ही नहीं थी। देवेंद्र के मुताबिक दादा का निधन 1998 हो गया था। मौत से पहले उनका एसबीआई में खाता था, परिजनों को इसकी जानकारी नहीं थी। कुछ दिन पहले उनके घर पर बैंक कर्मचारी आए थे, उन्होंने सत्यापन के बाद संबंधित बैंक खाते का जिक्र किया। उनसे दादा की मृत्यु प्रमाण पत्र सहित अन्य दस्तावेज मांगे। शुक्रवार को बैंक ने उन्हें छह लाख का चेक दे दिया। देवेंद्र ने बताया कि यह उनके दादा का आशीर्वाद है। इस रकम को वो बच्चों की पढ़ाई में लगाएंगे। देवेंद्र ने बताया कि वह एक निजी कंपनी में काम करते हैं। अब दादा की पूंजी से वह अपने बच्चों का भविष्य बेहतर बनाएंगे।

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