मोहन भागवत का बड़ा बयान, "अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन देश की सच्ची स्वतंत्रता प्रतिष्ठित हुई"
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को इंदौर में एक समारोह के दौरान कहा कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि 'प्रतिष्ठा द्वादशी' के रूप में मनाई जानी चाहिए।

मोहन भागवत का बड़ा बयान, "अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन देश की सच्ची स्वतंत्रता प्रतिष्ठित हुई"
AVP Ganga
रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए कहा कि "अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन देश की सच्ची स्वतंत्रता प्रतिष्ठित हुई।" उनकी यह टिप्पणी देश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को रेखांकित करती है और इस विषय पर व्यापक चर्चा का विषय बनी हुई है।
अयोध्या का महत्व
अयोध्या, जिसे भगवान श्रीराम का जन्मस्थान माना जाता है, भारतीय संस्कृति और धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है। यहाँ पहले से ही अनेक देवी-देवताओं के मंदिर विद्यमान हैं, लेकिन राम मंदिर निर्माण से इस धार्मिक स्थल का महत्व और भी बढ़ गया है। मोहन भागवत की दृष्टि में इस मंदिर का निर्माण केवल धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है।
स्वतंत्रता की सच्ची परिभाषा
भागवत ने कहा कि "हमारी स्वतंत्रता केवल भू-भाग के लिए नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, आस्था और पहचान के लिए है।" उनका यह विचार स्पष्ट करता है कि स्वतंत्रता का मतलब न केवल राजनैतिक आज़ादी है, बल्कि संस्कृति और धर्म की रक्षा भी इसकी अनिवार्य हिस्सा है। वह मानते हैं कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
समाज पर असर
गौतम बुद्ध, महावीर और अन्य संतों द्वारा आंदोलित समाज में राम मंदिर का निर्माण नए प्रेरणाओं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करेगा। भागवत ने समाज को यह अवसर दिया है कि वह अपने सांस्कृतिक धरोहर की ओर लौटें और इसे संजोएं। उनके बयान में यह भी कहा गया कि धर्म, देश और संस्कृति को एक साथ जोड़ने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
मोहन भागवत का यह बयान इस समय की आवश्यकता को दर्शाता है जब समाज में अनेक विचारधाराएँ और मतभेद विद्यमान हैं। राम मंदिर का निर्माण और उसकी प्राण प्रतिष्ठा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह देश की एकता, अखंडता और संस्कारों की सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है। स्वतंत्रता का सही अर्थ समझाना और उसे अपने दैनिक जीवन में उतारना हम सभी की जिम्मेदारी है।
इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए हमें अपने जड़ों को पहचानना होगा और अपने धर्म और संस्कृति का सम्मान करना होगा।
इसके अलावा, अधिक जानकारी और नवीनतम अपडेट के लिए, कृपया avpganga.com पर जाएं।
Keywords
mohan bhagwat, ayodhya ram mandir, prana pratishtha, true freedom, cultural heritage, national unity, rss chief, importance of ram temple, indian society, religious identityWhat's Your Reaction?






