मौलाना मदनी बोले-मरना मंजूर लेकिन वंदे मातरम् नहीं बोलेंगे:दूसरों के पढ़ने पर एतराज नहीं; कुछ लाइनों को इस्लाम के खिलाफ बताया

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मरना मंजूर है लेकिन वंदे मातरम् नहीं बोलेंगे। हमें किसी दूसरे के इस राष्ट्रगीत को पढ़ने या गाने पर आपत्ति नहीं है, लेकिन मुसलमान इसे स्वीकार नहीं कर सकते। मदनी का कहना है कि वंदे मातरम् गीत के कुछ हिस्से ऐसी मान्यताओं पर आधारित हैं, जो इस्लाम के खिलाफ हैं। ​उन्होंने दलील दी कि गीत के चार अंतरों में देश को देवतुल्य मानकर देवी से तुलना और पूजा जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया है। ये मुसलमानों की बुनियादी धार्मिक मान्यता के मुताबिक नहीं है। उन्होंने कहा कि वतन से मोहब्बत अलग बात है और उसकी पूजा अलग, मुसलमान सिर्फ अल्लाह की इबादत कर सकते हैं, इसलिए मर जाना मंजूर है लेकिन अल्लाह के बराबर किसी को रखना मंजूर नहीं।​ किसी को उसके धर्म के खिलाफ बोलने को मजबूर नहीं कर सकते- मदनी मदनी ने कहा कि वंदे मातरम् का अर्थ मां, मैं तेरी पूजा करता हूं मुसलमानों की आस्था से मेल नहीं खाता। इसीलिए किसी को उसके धर्म के खिलाफ कोई नारा या गीत बोलने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 19 (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) का हवाला दिया और कहा कि नागरिकों पर ऐसा दबाव डालना संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ होगा।​ मदनी ने यह भी कहा कि मुसलमानों को अपने देशप्रेम का कोई प्रमाण-पत्र लेने की ज़रूरत नहीं, आज़ादी की लड़ाई और देश के बंटवारे के खिलाफ जमीयत उलमा-ए-हिंद की भूमिका पहले से दर्ज है। 'टैगोर ने दो अंतरे ही मंजूर करने की सलाह दी थी' मदनी ने कहा कि 1937 में रवींद्रनाथ टैगोर ने जवाहरलाल नेहरू को सलाह दी थी कि वंदे मातरम् के सिर्फ पहले दो अंतरे ही राष्ट्रीय गीत के रूप में स्वीकार किए जाएं क्योंकि बाकी हिस्से पर अन्य धर्मों को आपत्ति हो सकती है इसी सिफारिश पर कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने पहले दो अंतरे मंजूर किए थे। उन्होंने कहा कि आज टैगोर के नाम पर पूरा गीत पढ़ने की मांग ऐतिहासिक तथ्यों के विरुद्ध है। ------------------------ ये खबर भी पढ़ें... शाह बोले-वंदे मातरम् का विरोध गांधी परिवार के खून में:नेहरू ने 1937 में 2 हिस्सों में बांटा; गीत न बंटता तो देश भी न बंटता राज्यसभा में राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ पर मंगलवार को चर्चा हुई। इस दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू ने 1937 में वंदे मातरम् के केवल दो अंतरों को मान्यता दी थी। यहीं से देश में तुष्टीकरण की राजनीति शुरू हुई। पूरी खबर पढ़ें... राहुल की 28 मिनट की स्पीच में 5 बार हंगामा:राज्यसभा में खड़गे ने वंदे मातरम् के नारे लगाए...VIDEOS में देखें मोमेंट्स संसद का शीतकालीन सत्र जारी है। आज इसका 7वां दिन है। लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने SIR-चुनाव सुधार पर अपने संबोधन में कहा- केंद्र सरकार और RSS देश के संस्थानों पर कब्जा करना चाहते हैं। राहुल की 28 मिनट की स्पीच के दौरान 5 बार हंगामा हुआ। स्पीकर ने विपक्ष को फटकार भी लगाई। राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने वंदे मातरम् के नारे लगाए। पूरी खबर पढ़ें...

Dec 10, 2025 - 00:33
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मौलाना मदनी बोले-मरना मंजूर लेकिन वंदे मातरम् नहीं बोलेंगे:दूसरों के पढ़ने पर एतराज नहीं; कुछ लाइनों को इस्लाम के खिलाफ बताया
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मरना मंजूर है लेकिन वंदे मातरम् नहीं बोलेंगे। हमें किसी दूसरे के इस राष्ट्रगीत को पढ़ने या गाने पर आपत्ति नहीं है, लेकिन मुसलमान इसे स्वीकार नहीं कर सकते। मदनी का कहना है कि वंदे मातरम् गीत के कुछ हिस्से ऐसी मान्यताओं पर आधारित हैं, जो इस्लाम के खिलाफ हैं। ​उन्होंने दलील दी कि गीत के चार अंतरों में देश को देवतुल्य मानकर देवी से तुलना और पूजा जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया है। ये मुसलमानों की बुनियादी धार्मिक मान्यता के मुताबिक नहीं है। उन्होंने कहा कि वतन से मोहब्बत अलग बात है और उसकी पूजा अलग, मुसलमान सिर्फ अल्लाह की इबादत कर सकते हैं, इसलिए मर जाना मंजूर है लेकिन अल्लाह के बराबर किसी को रखना मंजूर नहीं।​ किसी को उसके धर्म के खिलाफ बोलने को मजबूर नहीं कर सकते- मदनी मदनी ने कहा कि वंदे मातरम् का अर्थ मां, मैं तेरी पूजा करता हूं मुसलमानों की आस्था से मेल नहीं खाता। इसीलिए किसी को उसके धर्म के खिलाफ कोई नारा या गीत बोलने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 19 (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) का हवाला दिया और कहा कि नागरिकों पर ऐसा दबाव डालना संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ होगा।​ मदनी ने यह भी कहा कि मुसलमानों को अपने देशप्रेम का कोई प्रमाण-पत्र लेने की ज़रूरत नहीं, आज़ादी की लड़ाई और देश के बंटवारे के खिलाफ जमीयत उलमा-ए-हिंद की भूमिका पहले से दर्ज है। 'टैगोर ने दो अंतरे ही मंजूर करने की सलाह दी थी' मदनी ने कहा कि 1937 में रवींद्रनाथ टैगोर ने जवाहरलाल नेहरू को सलाह दी थी कि वंदे मातरम् के सिर्फ पहले दो अंतरे ही राष्ट्रीय गीत के रूप में स्वीकार किए जाएं क्योंकि बाकी हिस्से पर अन्य धर्मों को आपत्ति हो सकती है इसी सिफारिश पर कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने पहले दो अंतरे मंजूर किए थे। उन्होंने कहा कि आज टैगोर के नाम पर पूरा गीत पढ़ने की मांग ऐतिहासिक तथ्यों के विरुद्ध है। ------------------------ ये खबर भी पढ़ें... शाह बोले-वंदे मातरम् का विरोध गांधी परिवार के खून में:नेहरू ने 1937 में 2 हिस्सों में बांटा; गीत न बंटता तो देश भी न बंटता राज्यसभा में राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ पर मंगलवार को चर्चा हुई। इस दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू ने 1937 में वंदे मातरम् के केवल दो अंतरों को मान्यता दी थी। यहीं से देश में तुष्टीकरण की राजनीति शुरू हुई। पूरी खबर पढ़ें... राहुल की 28 मिनट की स्पीच में 5 बार हंगामा:राज्यसभा में खड़गे ने वंदे मातरम् के नारे लगाए...VIDEOS में देखें मोमेंट्स संसद का शीतकालीन सत्र जारी है। आज इसका 7वां दिन है। लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने SIR-चुनाव सुधार पर अपने संबोधन में कहा- केंद्र सरकार और RSS देश के संस्थानों पर कब्जा करना चाहते हैं। राहुल की 28 मिनट की स्पीच के दौरान 5 बार हंगामा हुआ। स्पीकर ने विपक्ष को फटकार भी लगाई। राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने वंदे मातरम् के नारे लगाए। पूरी खबर पढ़ें...

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