चुनाव आयोग पुलिसकर्मी की भूमिका नहीं निभा सकता:किसी का नाम हटाना नागरिकता पर सवाल उठाने जैसा, SIR के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई

स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि चुनाव आयोग (EC) वोटर्स को शक की निगाह से देखते हुए संदिग्ध पड़ोसी या पुलिसकर्मी की भूमिका नहीं निभा सकता। CJI सूर्य कांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने दलीलें सुनीं। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन ने दलीलें रखीं। वकील राजू रामचंद्रन ने कहा- SIR हर साल होने वाला काम नहीं इस पर जस्टिस बागची ने कहा, माइग्रेशन का अर्थ सिर्फ घरेलू नहीं है, लोग रोजगार की तलाश में जाते हैं। ब्रेन ड्रेन भी माइग्रेशन ही है। उन्होंने बताया कि कोलकाता के कई IT प्रोफेशनल्स दक्षिण भारत में काम के लिए जाते हैं।CJI ने भी श्रमिकों के बड़े पैमाने पर पलायन का उदाहरण देते हुए कहा, उत्तर भारत में ट्रेनें बिहार के किसानों से भरी रहती हैं। वे पंजाब पहुंचते-पहुंचते वो रोने लगते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे कई मजदूर बाद में पंजाब में बस भी गए हैं। CJI ने अपने हालिया हैवलॉक द्वीप दौरे का जिक्र करते हुए कहा कि वहां 25,000 की आबादी में लगभग 22,000 लोग प्रवासी हैं। कोर्ट ने कहा SIR प्रक्रिया 20 साल बाद हो रही है, इसलिए बहुत ज्यादा तकनीकी आपत्तियां नहीं देखी जा सकतीं। यह हर साल होने वाला काम नहीं है। जब याचिकाकर्ताओं ने प्रक्रिया को अनावश्यक पूछताछ वाला बताया, तो जस्टिस बागची ने स्पष्ट किया कि अदालत के सवाल केवल प्रतिक्रिया जानने के लिए थे, किसी निष्कर्ष के संकेत नहीं। 9 राज्यों और 3 केंद्रशासित प्रदेशों के चयन पर सवाल रामचंद्रन ने पूछा कि क्यों सिर्फ 9 राज्यों और 3 केंद्रशासित प्रदेशों- जैसे छत्तीसगढ़, केरल, राजस्थान और यूपी को चुना गया? उन्होंने कहा कि लक्षद्वीप और अंडमान-निकोबार में तेजी से शहरीकरण या पलायन होने का दावा आसान अनुमान और लापरवाही है। छत्तीसगढ़ में, जहां फिलहाल चुनाव नहीं हैं, वहां जल्दी-जल्दी SIR कराने पर उन्होंने कहा, “इतने संवेदनशील राज्य में जल्दबाजी न्यायिक समीक्षा की मांग करती है।” नए मामलों पर रोक सुनवाई की शुरुआत में CJI सूर्यकांत ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि इस मुद्दे पर अब कोई नई याचिका स्वीकार न करे।उन्होंने कहा, “कई लोग सिर्फ पब्लिसिटी के लिए आ रहे हैं। अब और याचिकाओं की जरूरत नहीं।” मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी। इससे पहले, अदालत ने पूछा था कि क्या EC संदेहास्पद नागरिक के मामले में जांच करने से रोका गया है, और क्या ऐसी पूछताछ उसकी संवैधानिक शक्तियों से बाहर है। ये खबर भी पढ़ें: 5 राज्य, 1 UT में SIR की समयसीमा बढ़ी:MP-छत्तीसगढ़ में 18, UP में 26 दिसंबर तक फॉर्म भर सकेंगे; पहले 11 दिसंबर लास्ट डेट थी चुनाव आयोग ने गुरुवार को 5 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश (UT) में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR यानी वोटर वेरिफिकेशन) की समयसीमा बढ़ा दी। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और अंडमान-निकोबार में 18 दिसंबर तक फॉर्म भर सकेंगे। पढ़ें पूरी खबर...

Dec 12, 2025 - 00:33
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चुनाव आयोग पुलिसकर्मी की भूमिका नहीं निभा सकता:किसी का नाम हटाना नागरिकता पर सवाल उठाने जैसा, SIR के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई
स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि चुनाव आयोग (EC) वोटर्स को शक की निगाह से देखते हुए संदिग्ध पड़ोसी या पुलिसकर्मी की भूमिका नहीं निभा सकता। CJI सूर्य कांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने दलीलें सुनीं। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन ने दलीलें रखीं। वकील राजू रामचंद्रन ने कहा- SIR हर साल होने वाला काम नहीं इस पर जस्टिस बागची ने कहा, माइग्रेशन का अर्थ सिर्फ घरेलू नहीं है, लोग रोजगार की तलाश में जाते हैं। ब्रेन ड्रेन भी माइग्रेशन ही है। उन्होंने बताया कि कोलकाता के कई IT प्रोफेशनल्स दक्षिण भारत में काम के लिए जाते हैं।CJI ने भी श्रमिकों के बड़े पैमाने पर पलायन का उदाहरण देते हुए कहा, उत्तर भारत में ट्रेनें बिहार के किसानों से भरी रहती हैं। वे पंजाब पहुंचते-पहुंचते वो रोने लगते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे कई मजदूर बाद में पंजाब में बस भी गए हैं। CJI ने अपने हालिया हैवलॉक द्वीप दौरे का जिक्र करते हुए कहा कि वहां 25,000 की आबादी में लगभग 22,000 लोग प्रवासी हैं। कोर्ट ने कहा SIR प्रक्रिया 20 साल बाद हो रही है, इसलिए बहुत ज्यादा तकनीकी आपत्तियां नहीं देखी जा सकतीं। यह हर साल होने वाला काम नहीं है। जब याचिकाकर्ताओं ने प्रक्रिया को अनावश्यक पूछताछ वाला बताया, तो जस्टिस बागची ने स्पष्ट किया कि अदालत के सवाल केवल प्रतिक्रिया जानने के लिए थे, किसी निष्कर्ष के संकेत नहीं। 9 राज्यों और 3 केंद्रशासित प्रदेशों के चयन पर सवाल रामचंद्रन ने पूछा कि क्यों सिर्फ 9 राज्यों और 3 केंद्रशासित प्रदेशों- जैसे छत्तीसगढ़, केरल, राजस्थान और यूपी को चुना गया? उन्होंने कहा कि लक्षद्वीप और अंडमान-निकोबार में तेजी से शहरीकरण या पलायन होने का दावा आसान अनुमान और लापरवाही है। छत्तीसगढ़ में, जहां फिलहाल चुनाव नहीं हैं, वहां जल्दी-जल्दी SIR कराने पर उन्होंने कहा, “इतने संवेदनशील राज्य में जल्दबाजी न्यायिक समीक्षा की मांग करती है।” नए मामलों पर रोक सुनवाई की शुरुआत में CJI सूर्यकांत ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि इस मुद्दे पर अब कोई नई याचिका स्वीकार न करे।उन्होंने कहा, “कई लोग सिर्फ पब्लिसिटी के लिए आ रहे हैं। अब और याचिकाओं की जरूरत नहीं।” मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी। इससे पहले, अदालत ने पूछा था कि क्या EC संदेहास्पद नागरिक के मामले में जांच करने से रोका गया है, और क्या ऐसी पूछताछ उसकी संवैधानिक शक्तियों से बाहर है। ये खबर भी पढ़ें: 5 राज्य, 1 UT में SIR की समयसीमा बढ़ी:MP-छत्तीसगढ़ में 18, UP में 26 दिसंबर तक फॉर्म भर सकेंगे; पहले 11 दिसंबर लास्ट डेट थी चुनाव आयोग ने गुरुवार को 5 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश (UT) में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR यानी वोटर वेरिफिकेशन) की समयसीमा बढ़ा दी। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और अंडमान-निकोबार में 18 दिसंबर तक फॉर्म भर सकेंगे। पढ़ें पूरी खबर...

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