राहुल बोले- मेक इन इंडिया असलियत में असेंबल इन इंडिया:हर पुर्जा विदेश से आ रहा, जब तक आत्मनिर्भर नहीं होते ये बातें सिर्फ भाषण रहेंगी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को सरकार की मेक इन इंडिया पहल पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ असेंबलिंग है, प्रोडक्शन नहीं। जब तक भारत उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं बन जाता, रोजगार, विकास और मेक इन इंडिया की बातें सिर्फ भाषण ही रहेंगी। राहुल ने X पर हिंदी में एक पोस्ट में लिखा- ग्राउंड लेवल पर बदलाव और असेंबली लाइन से आगे बढ़कर ही भारत मैन्यूफैक्चरिंग पावर बन सके और चीन के साथ बराबरी का मुकाबला कर सके। राहुल ने ग्रेटर नोएडा में टीवी असेंबल करने वाली एक लोकल यूनिट का दौरा किया। उन्होंने 7 मिनट का एक वीडियो भी शेयर किया है। पढ़ें राहुल गांधी की पोस्ट... क्या आप जानते हैं कि भारत में बने ज़्यादातर TVs का 80% हिस्सा चीन से आता है? ‘मेक इन इंडिया’ के नाम पर हम सिर्फ असेंबली कर रहे हैं- असली मैन्युफैक्चरिंग नहीं। आईफोन से लेकर TV तक- पुर्जे विदेश से आते हैं, हम बस जोड़ते हैं। छोटे उद्यमी निर्माण करना चाहते हैं, लेकिन न नीति है, न सपोर्ट। उल्टा, भारी टैक्स और चुने हुए कॉरपोरेट्स का एकाधिकार- जिसने देश के उद्योग को जकड़ रखा है। जब तक भारत उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं बनता, रोजगार, विकास और मेक इन इंडिया की बातें सिर्फ भाषण रहेंगी। जमीनी बदलाव चाहिए ताकि भारत असेंबली लाइन से निकलकर असली मैन्युफैक्चरिंग पावर बने और चीन को बराबरी की टक्कर दे सके।

राहुल बोले- मेक इन इंडिया असलियत में असेंबल इन इंडिया:हर पुर्जा विदेश से आ रहा, जब तक आत्मनिर्भर नहीं होते ये बातें सिर्फ भाषण रहेंगी
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को सरकार की मेक इन इंडिया पहल पर कड़े सवाल उठाए। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यह योजना केवल असेंबलिंग का काम कर रही है, न कि सच्चे अर्थ में उत्पादन का। उनके अनुसार, जब तक भारत उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं बन जाता, तब तक रोजगार, विकास और मेक इन इंडिया के दावे केवल भाषण ही रह जाएंगे। दीगर बात यह है कि राहुल ने ग्रेटर नोएडा में स्थित एक स्थानीय यूनिट का दौरा किया, जहां टीवी की असेंबलिंग की जाती है। इस दौरे के बाद उन्होंने एक पोस्ट साझा किया जिसमें उन्होंने मुद्दे पर गहरी चिंतन किया।
असेंबलिंग बनाम प्रोडक्शन
राहुल ने कहा, "क्या आप जानते हैं कि भारत में बने ज़्यादातर TVs का 80% हिस्सा चीन से आता है? ‘मेक इन इंडिया’ के नाम पर हम केवल असेंबली कर रहे हैं, जबकि वास्तविक मैन्युफैक्चरिंग नहीं हो रही।" उन्होंने स्पष्ट किया कि विभिन्न उपकरण जैसे आईफोन से लेकर टीवी तक, हर पुर्जा विदेश से आता है, और हम केवल उन्हें जोड़ने का कार्य कर रहे हैं।
छोटे उद्यमियों के लिए चुनौतियाँ
राहुल का कहना है कि छोटे उद्यमी निर्माण में आगे बढ़ना चाहते हैं, लेकिन उनके सामने न तो उचित नीतियां हैं और न ही समर्थन। इसके बजाय, भारी टैक्स और कुछ चुने हुए कॉरपोरेट का एकाधिकार देश के उद्योग को प्रभावित कर रहा है। उन्होंने चेताते हुए कहा, "जब तक भारत उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं बनता, रोजगार, विकास और मेक इन इंडिया जैसी बातें केवल सामूहिक दृश्यों तक ही सीमित रहेंगी।" यह विचार देश की आर्थिक सोच और विकास की दिशा में महत्वपूर्ण है।
भविष्य की दिशा
राहुल ने जमीनी स्तर पर बदलाव की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि भारत असेंबली लाइन से पार हो सके और असली मैन्युफैक्चरिंग पावर बन सके। उनका मानना है कि यह कदम हमें चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करने में भी मदद करेगा। उन्होंने समर्थकों और देशवासियों से अपील की कि हमें इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
राहुल गांधी का यह बयान केवल एक राजनीतिक बयान नहीं है, बल्कि भारत के उद्योग क्षेत्र की वास्तविकताओं को दर्शाता है। जब तक भारत आत्मनिर्भरता की ओर कदम नहीं बढ़ाता, तब तक मेक इन इंडिया जैसी योजनाएँ केवल कागज पर रह जाएंगी। हमें चाहिए कि हम अपने उत्पादन की क्षमता को बढ़ाने और निर्यात को बढ़ावा देने की दिशा में प्रयास करें।
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