4 जिलों के 5 अस्पतालों में बेटे के इलाज के लिए चक्कर काटता रहा फौजी पिता; अब CM धामी ने लिया बड़ा एक्शन
Uttarakhand News: उत्तराखंड में एक फौजी पिता दिनेश जोशी ने अपने बेटे के इलाज के लिए कई अस्पतालों के चक्कर काटे लेकिन उसके बेटे को इलाज नहीं मिल सका। इस वजह से फौजी के 1 साल के मासूम बेटे की मौत हो गई। मामला सामने आने के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जांच के आदेश दिए हैं।

4 जिलों के 5 अस्पतालों में बेटे के इलाज के लिए चक्कर काटता रहा फौजी पिता; अब CM धामी ने लिया बड़ा एक्शन
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उत्तराखंड में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक फौजी पिता दिनेश जोशी अपने 1 साल के बेटे के इलाज के लिए 4 जिलों के 5 अस्पतालों के चक्कर काटता रहा, लेकिन फिर भी उन्हें इलाज नहीं मिल सका। इस दुखद घटना के कारण मासूम बेटे की मौत हो गई, जो इस बात का प्रमाण है कि स्वास्थ्य व्यवस्था में गंभीर कमियां मौजूद हैं। इस मामले ने न केवल न केवल दिनेश जोशी का बल्कि पूरे प्रदेश के लोगों का ध्यान खींचा है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है और तत्काल जांच के आदेश दिए हैं।
क्या हुआ? पूरी कहानी
दिनेश जोशी, जो एक जिम्मेदार फौजी हैं, अपने बेटे को तेजी से बढ़ती बीमारी के कारण कई अस्पतालों में ले गए। पहले अस्पताल से दूसरे और फिर तीसरे में जाने के बावजूद, उन्हें सभी जगह असहायता का सामना करना पड़ा। कई बार तो उन्हें बिना इलाज के ही लौटना पड़ा, क्योंकि डॉक्टरों ने कहा कि उनके बेटे को भर्ती नहीं किया जा सकता। ऐसे में, निराश और त्रस्त दिनेश ने अधिकारियों से भी मदद मांगी, लेकिन उनका प्रयास भी व्यर्थ गया।
मुख्यमंत्री का एक्शन
इस मामले के सामने आने के बाद, सीएम धामी ने जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारियों से कहा है कि इस मामले की गहराई से जांच की जाए और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया है कि इस तरह की घटनाएं भविष्य में न हों, और स्वास्थ्य सेवाएं हर नागरिक के लिए सुलभ हों।
स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल
यह घटना केवल दिनेश जोशी के लिए ही नहीं, बल्कि उत्तराखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए एक गंभीर सवाल है। क्या हमारी स्वास्थ्य सेवाएं इतनी सक्षम हैं कि वे जरूरतमंदों की मदद कर सकें? क्या सरकारी अस्पतालों में सही प्रबंधन मौजूद है? लोगों का इस घटना के प्रति आक्रोश बढ़ रहा है, और ऐसे मामलों के समाधान की आवश्यकता है।
स्थानीय आवाज़ें
स्थानीय नागरिकों ने भी इस घटना पर अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं। उनका कहना है कि ऐसे मामलों में तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए, अन्यथा लोग अपने जीवन के सबसे कठिन समय में भी चिकित्सा के अभाव में दम तोड़ देंगे। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने के लिए कई लोग संगठित होकर सरकार से उचित मांग कर रहे हैं।
निष्कर्ष
इस घटना ने प्राथमिक चिकित्सा सेवाओं की गंभीरता और तात्कालिकता को उजागर किया है। सभी को एक साथ आकर जिम्मेदारी का निर्वहन करना होगा ताकि न केवल दिनेश जोशी जैसे फौजी पिता को बल्कि सभी को सही और समय पर चिकित्सा मिल सके। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक की भी है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार इस घटना से क्या सबक लेती है और आगे चलकर स्वास्थ्य सेवाओं में किस तरह का सुधार लाती है।
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