शादी के सिर्फ एक साल बाद ही एक मामूली बात पर पति-पत्नी ऐसा भिड़े कि उनका रिश्ता ही धराशायी हो गया। बात इतना आगे बढ़ी कि वह 22 साल तक अलग-अलग अदालतों में एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे। जब कहीं से मामले का कोई हल नहीं निकला तो वह सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुंचे। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अहम फैसला सुनाया है। इसी के साथ यह इस मामले का यहीं पटाक्षेप हो गया। यह कहानी उस समय शुरू हुई थी, जब दोनों युवावस्था में थे। दोनों की बातें एक-दूसरे को इतना चुभीं कि अग्नि के समक्ष खाई सात कसमें भी फीकी पड़ गईं। अलगाव और उसके बाद लगातार चल रही कानूनी लड़ाई ने इस मामले पर कोर्ट के सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या सिर्फ कागजों पर चल रही शादी को जिंदा रखना किसी के हित में हो सकता है। लंबी सुनवाई, कई अदालतों के फैसले और सालों से लटके हुए फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि जब साथ रहने की कोई उम्मीद न बचे तो रिश्ते को जबरदस्ती खींचने का कोई मतलब नहीं है। इसी सोच के साथ अदालत ने इस मामले पर अंतिम फैसला दे दिया।