उत्तरकाशी धराली आपदा: MI-17 और चिनूक से होगा रेस्क्यू, सेंसर से खोजे जाएंगे मलबे में दबे लोग
उत्तरकाशी: गंगोत्री क्षेत्र के धराली में भीषण आपदा आई है. आपदा ग्रस्त इलाका मां गंगा के मायका मुखबा के बेहद करीब है. उत्तरकाशी और गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित धराली गांव, उत्तरकाशी मुख्यालय से लगभग 80 किलोमीटर दूर है. आपदा के बाद जिस तरह की तस्वीरें सामने आई हैं, उसके बाद रेस्क्यू ऑपरेशन में आपदा […] The post उत्तरकाशी धराली आपदा: MI-17 और चिनूक से होगा रेस्क्यू, सेंसर से खोजे जाएंगे मलबे में दबे लोग appeared first on Dainik Uttarakhand.

उत्तरकाशी धराली आपदा: MI-17 और चिनूक से होगा रेस्क्यू, सेंसर से खोजे जाएंगे मलबे में दबे लोग
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उत्तरकाशी: गंगोत्री क्षेत्र के धराली में भीषण आपदा आई है. आपदा ग्रस्त इलाका मां गंगा के मायका मुखबा के बेहद करीब है. उत्तरकाशी और गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित धराली गांव, उत्तरकाशी मुख्यालय से लगभग 80 किलोमीटर दूर है. आपदा के बाद जिस तरह की तस्वीरें सामने आई हैं, उसके बाद रेस्क्यू ऑपरेशन में आपदा प्रबंधन विभाग और अन्य एजेंसियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. लिहाजा दलदल हो चुकी इस पूरी भूमि को सेंसर से भी चेक किया जाएगा. फिलहाल 4 लोगों के मारे जाने की खबर सामने आई है.
MI-17 और चिनूक से होगा रेस्क्यू
धराली-हर्षिल में अतिवृष्टि और बादल फटने से उत्पन्न आपदा की स्थिति में राहत एवं बचाव कार्य युद्ध स्तर संचालित किया जा रहा है. जिला प्रशासन, सेना, SDRF, NDRF एवं अन्य संबंधित टीमें मौके पर राहत एवं बचाव कार्य में जुटी हैं. आपदा कंट्रोल रूम से भी स्थिति की निरंतर निगरानी की जा रही है. आपदा प्रबंधन विभाग ने एयर रेस्क्यू के लिए भारतीय वायु सेना को भेजा पत्र. 2 MI 17 और 1 चिनूक हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू किया जाएगा. भारतीय सेना की आईबेक्स ब्रिगेड भी राहत बचाव का काम करेगी.
परिस्थितियाँ और सरकारी सहयोग
उत्तरकाशी के धराली में आई आपदा पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आपदा सचिव और जिलाधिकारी से बात की है. आपको बता दें कि आपदा इतनी भयानक है कि मलबे की चपेट में जो आया, सब तबाह हो गया. ऊपर से आया मलबा पूरे क्षेत्र में फैल चुका है. आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन का कहना है कि मौके पर आर्मी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीम को भेजा गया है. रेस्क्यू ऑपरेशन करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. लिहाजा मलबे के नीचे कोई इंसान फंसा है या नहीं, इसको पता लगाने के लिए सेंसर डिवाइस का भी इस्तेमाल किया जाएगा. फिलहाल हमारी कोशिश यही है कि मौके पर जल्दी से जल्दी पहुंचा जाए.
स्थानीय राहत प्रयास
राहत की बात यह है कि जिस जगह यह हादसा हुआ, उसके करीब ही हर्षिल में आर्मी की पूरी टुकड़ी का बेस कैंप है. लिहाजा, आपदा के बाद तुरंत आर्मी के जवानों को भी राहत और बचाव कार्य के लिए भेजा गया है. जिस वक्त अचानक बादल फटने से मलबा आया है, उस वक्त होटल, घर और अन्य इलाकों में कितने लोग मौजूद थे? इसका आकलन नहीं किया जा सका है. लेकिन जिस तरह से तस्वीरें सामने आए हैं, उसमें साफ देखा जा सकता है कि कई लोग भागते हुए दिखाई दे रहे हैं. आपदा वाले इलाके में जाने के लिए जो मार्ग उपयोग किए जाते हैं, वह भी जगह-जगह से बंद हैं. फिलहाल स्थानीय लोगों के द्वारा ही राहत और बचाव कार्य किया जा रहा है.
निष्कर्ष
यह आपदा उत्तरकाशी क्षेत्र के निवासियों के लिए एक कठिन समय है, लेकिन राहत और बचाव कार्य में स्थानीय प्रशासन एवं भारतीय सेना की सक्रियता से कुछ हद तक मदद मिल रही है. हालांकि, राहत कार्य में बाधाएँ आ रही हैं, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में स्थिति में सुधार होगा. नागरिकों की सुरक्षा के लिए राहत प्रयासों को तीव्र गति से जारी रखा जाएगा.
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