डिजिटल अरेस्ट स्कैम के आरोपी को दिल्ली कोर्ट से जमानत:91 साल के कार्डियोलॉजिस्ट से 3.42 करोड़ ठगे; जज बोले- पैसा वापस दे दिया, नुकसान कम हुआ

डिजिटल अरेस्ट के जरिए दिल्ली के 91 साल के कार्डियोलॉजिस्ट से 3.42 करोड़ रुपए ठगने वाले आरोपी को अदालत से जमानत मिल गई। मामले की सुनवाई पटियाला हाउस कोर्ट के एडीशनल सेशन जज सौरभ प्रताप सिंह लालर ने की। उन्होंने चार्जशीट दाखिल होने और सह-आरोपी हरी स्वर्गियारी की जमानत बढ़ाए जाने के बाद आरोपी अमित शर्मा को जमानत दे दी। आरोपी 17 अप्रैल से हिरासत में था। जबकि हरि को 10 जुलाई 2025 को जमानत मिल चुकी है। अदालत ने यह भी कहा कि ठगी गई एक करोड़ रुपए की रकम शिकायतकर्ता को वापस कर दी गई है। हालांकि मामले की FIR में 3.42 करोड़ रुपए की रकम का जिक्र है। दिल्ली पुलिस ने विरोध किया, कहा- आरोपी फरार हो जाएगा दिल्ली पुलिस ने आरोपी की जमानत याचिका का विरोध किया। अतिरिक्त लोक अभियोजक (एपीपी) ने तर्क दिया कि आरोपी ने कमीशन के लिए सह-आरोपी को बैंक खाते की जानकारी उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे शिकायतकर्ता के खिलाफ 3.42 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी को अंजाम दिया गया। अभियोजन पक्ष ने आवेदक के बदले हुए पते को देखते हुए फरार होने के जोखिम और मास्टरमाइंड तथा साथियों का पता लगाने की जरूरत भी बताई।

Jul 23, 2025 - 00:33
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डिजिटल अरेस्ट स्कैम के आरोपी को दिल्ली कोर्ट से जमानत:91 साल के कार्डियोलॉजिस्ट से 3.42 करोड़ ठगे; जज बोले- पैसा वापस दे दिया, नुकसान कम हुआ
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डिजिटल अरेस्ट स्कैम के आरोपी को दिल्ली कोर्ट से जमानत: 91 साल के कार्डियोलॉजिस्ट से 3.42 करोड़ ठगे

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दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में डिजिटल अरेस्ट स्कैम के आरोपी अमित शर्मा को जमानत दे दी है। यह मामला 91 वर्षीय कार्डियोलॉजिस्ट के साथ हुए 3.42 करोड़ रुपये के ठगी से संबंधित है। अदालत ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला, जिनमें से एक यह था कि ठगी की गई एक करोड़ रुपये की राशि بالفعل शिकायतकर्ता को वापस कर दी गई है।

फैसले की पृष्ठभूमि

इस मामले में आरोपी अमित शर्मा को 17 अप्रैल 2023 को हिरासत में लिया गया था और पुलिस ने सख्त तरीके से जमानत याचिका का विरोध किया। अतिरिक्त लोक अभियोजक (एपीपी) ने तर्क दिया कि आरोपी ने सह-आरोपी, हरि स्वर्गियारी, को बैंक खाते की जानकारी प्रदान की थी, जिससे शिकायतकर्ता के खिलाफ ठगी को अंजाम देने में मदद मिली।

जमानत का आधार

एडीशनल सेशन जज सौरभ प्रताप सिंह लालर ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि चार्जशीट दाखिल हो चुकी है और सह-आरोपी की जमानत को बढ़ाए जाने के बाद आरोपी को जमानत दी जा रही है। अदालत ने यह भी कहा कि मुद्दा केवल वित्तीय घोटाले का नहीं है, बल्कि यह भी है कि आरोपी द्वारा शिकायतकर्ता को वापस किए गए पैसे ने नुकसान को कम किया है।

पुलिस की चिंताएं

दिल्ली पुलिस ने आरोपी की जमानत याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया कि वह फरार हो सकता है। पुलिस ने प्रस्तुत किया कि आरोपी के पास बदले हुए पते की जानकारी है जिससे उसके फरार होने का जोखिम बढ़ गया है। इसके अलावा, अभियोजन पक्ष ने मास्टरमाइंड और अन्य साथियों का पता लगाने की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया।

घोटाले का आरोप

इस मामले में, FIR में उल्लेख किया गया है कि आरोपी और उसके साथियों ने मिलकर 3.42 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की। हालांकि, अब तक केवल एक करोड़ रुपये की राशि शिकायतकर्ता को वापस की गई है। यह सवाल उठता है कि क्या ये धन की वापसी केवल एक संयोग है या फिर अधिक गंभीर मुद्दों को छिपाने का प्रयास है।

निष्कर्ष

इस फैसले ने न केवल इस मामले को और अधिक जटिल बना दिया है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि न्याय प्रणाली में कैसे विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखा जाता है। जमानत मिलना आरोपी की स्थिति को और मजबूत बना सकता है, लेकिन इससे कानूनी प्रक्रिया की चुनौती भी बढ़ती है। हालांकि, इस मामले का पूरा सच अभी सामने नहीं आया है और अभी जांच जारी है।

अंत में, यह कहना उचित होगा कि इस प्रकार के घोटाले हमारी समाजिक व्यवस्था के लिए खतरनाक हैं। हमें जागरूक रहने और ऐसे मामलों में सतर्कता बरतने की आवश्यकता है ताकि इस तरह के अपराधों को रोका जा सके।

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