'भारत के लोग देश नहीं, दिल जीतना चाहते हैं', जानें पुर्तगाल में राष्ट्रपति मुर्मू ने क्यों कहा ऐसा

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लिस्बन में भारतीय रिसर्चर्स से संवाद करते हुए कहा कि भारतीय दिलों को जीतने की कोशिश करते हैं, न कि देशों को। उन्होंने महिलाओं की प्रगति पर गर्व व्यक्त किया और पुर्तगाल को भारत का अच्छा मित्र बताया।

Apr 9, 2025 - 01:33
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'भारत के लोग देश नहीं, दिल जीतना चाहते हैं', जानें पुर्तगाल में राष्ट्रपति मुर्मू ने क्यों कहा ऐसा
'भारत के लोग देश नहीं, दिल जीतना चाहते हैं', जानें पुर्तगाल में राष्ट्रपति मुर्मू ने क्यों कहा ऐसा

भारत के लोग देश नहीं, दिल जीतना चाहते हैं', जानें पुर्तगाल में राष्ट्रपति मुर्मू ने क्यों कहा ऐसा

अवधारणा

हाल ही में पुर्तगाल में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम के दौरान भारत के राष्ट्रपति, द्रौपदी मुर्मू ने एक ऐसा बयान दिया जिसने सभी का ध्यान आकर्षित किया। उनका कहना था, "भारत के लोग देश नहीं, दिल जीतना चाहते हैं।" राष्ट्रपति के इस वक्तव्य का राजनीतिक और सामाजिक दोनों स्तर पर व्यापक अर्थ है। इस लेख में हम इस बयान की गहराई में जाएंगे और जानेंगे कि इसका क्या मतलब है।

बयान का संदर्भ

द्रौपदी मुर्मू ने यह बयान पुर्तगाल की यात्रा के दौरान दिया, जहां उन्होंने भारतीय समुदाय के लोगों से मुलाकात की। उनके इस बयान को सुनकर ऐसा प्रतीत हुआ कि वह भारतीय संस्कृति के गहनों को उजागर करना चाहती थीं, जिसमें विविधता, एकता और सहिष्णुता शामिल हैं।

पारंपरिक संवेदनाएँ

राष्ट्रपति मुर्मू के इस बयान में भारत की पारंपरिक संवेदनाओं को भी देखा जा सकता है। भारतीय संस्कृति में मानवीय संबंधों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। इस नाते, भारतीय लोग हमेशा अच्छा बर्ताव अपनाते हैं और विश्व में दिल जीतने का प्रयास करते हैं। उन्होंने यह दिखाने की कोशिश की कि भारत केवल एक देश नहीं, बल्कि एक भावना भी है।

सामाजिक एकता का संदेश

राष्ट्रपति का यह संदेश सामाजिक एकता को भी उजागर करता है। भारत में विभिन्न जातियों, धर्मों और भाषाओं के लोग रहते हैं, और उनके बीच मेल-जोल और प्रेम का भाव सदियों से चलता आ रहा है। मुर्मू ने यह जताया कि आने वाली पीढ़ियों के लिए इस संवाद और दिल जीतने की प्रक्रिया को जारी रखना आवश्यक है।

निष्कर्ष

द्रौपदी मुर्मू का यह बयान न केवल भारत की संस्कृति को दिखाता है, बल्कि यह विश्व को भी एक संदेश देता है कि समझदारी और भाइचारे का भाव क्या होता है। उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि भारत का असली ताकत इसके लोगों की एकता और उनकी मनोकामनाओं में है। उनके इस संवाद का उद्देश्य एक सकारात्मक बदलाव की ओर इशारा करना है।

इस प्रकार, हमें राष्ट्रपति मुर्मू के शब्दों से प्रेरित होकर अपने देश और इसकी संस्कृति को समझना और संजोना चाहिए। उनके संदेश को पूरी दुनिया में फैलाने का प्रयास करना भी हमारी जिम्मेदारी है।

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