महोदया, आपकी सहमति के लिए धन्यवाद, लेकिन…रामलीला में पूनम पांडे नहीं बनेंगी रावण की पत्नी

Delhi Ramlila: दिल्ली के लालकिला मैदान में हर साल भव्य रूप से आयोजित होने वाली लव कुश रामलीला इस बार एक बड़े विवाद की वजह से सुर्खियों में आ गई है। सोशल मीडिया पर मशहूर सेलिब्रिटी और अभिनेत्री पूनम पांडे अब इस रामलीला का हिस्सा नहीं होंगी। समिति ने उन्हें मंदोदरी की भूमिका के लिए चुना था, लेकिन समाज के विभिन्न वर्गों और धार्मिक संगठनों की कड़ी आपत्तियों के बाद उनका नाम वापस ले लिया गया। यह फैसला लव कुश रामलीला कमेटी की स्क्रीनिंग कमेटी ने सर्वसम्मति से लिया। पूनम पांडे का नाम हटाए जाने से जहां धार्मिक संगठनों ने राहत की सांस ली है, वहीं सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर बहस छिड़ गई है। एक वर्ग इसे सही कदम बता रहा है तो वहीं दूसरा वर्ग इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हस्तक्षेप मान रहा है।

Sep 23, 2025 - 18:33
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महोदया, आपकी सहमति के लिए धन्यवाद, लेकिन…रामलीला में पूनम पांडे नहीं बनेंगी रावण की पत्नी
महोदया, आपकी सहमति के लिए धन्यवाद, लेकिन…रामलीला में पूनम पांडे नहीं बनेंगी रावण की पत्नी

महोदया, आपकी सहमति के लिए धन्यवाद, लेकिन…रामलीला में पूनम पांडे नहीं बनेंगी रावण की पत्नी

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दिल्ली की लालकिला मैदान में हर साल आयोजित होने वाली लव कुश रामलीला इस बार विवाद के कारण सुर्खियों में है। मशहूर सेलिब्रिटी और अभिनेत्री पूनम पांडे को मंदोदरी की भूमिका के लिए चुना गया था, लेकिन उनकी नियुक्ति पर उठे विवाद ने उन्हें इस भूमिका से हटा दिया। इस खबर ने न केवल धार्मिक संगठनों में हलचल मचाई, बल्कि सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं।

पूनम पांडे का नाम वापस लेना

लव कुश रामलीला कमेटी की स्क्रीनिंग कमेटी ने सर्वसम्मति से यह फैसला लिया। समिति ने पूनम पांडे के अभिनय को नकारते हुए कहा कि अदाकारा की छवि और व्यक्तिगत जीवन उनके चयन के लिए उपयुक्त नहीं हैं। कई धार्मिक संगठनों ने इसके खिलाफ कड़ा विरोध किया, यह कहते हुए कि इस प्रकार का चयन रामलीला के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को कम कर सकता है।

समाजिक प्रतिक्रिया

पूनम पांडे का नाम हटाए जाने से धार्मिक संगठनों में राहत की सांस ली गई है। सोशल मीडिया पर एक वर्ग इस फैसले को सही बताते हुए चिंताओं को सही ठहरा रहा है, जबकि दूसरे वर्ग का मानना है कि यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हस्तक्षेप है।

इस स्थिति ने न केवल धार्मिक आस्थाओं को प्रभावित किया है, बल्कि यह भी सवाल उठाता है कि क्या हमें कलाकारों की निजी जिंदगी में दखल देने का अधिकार है। क्या हम केवल उनकी कला को देखकर उन्हें आंक सकते हैं या हमें उनके व्यक्तिगत जीवन को भी ध्यान में रखना चाहिए?

क्यों जरूरी है यह निर्णय?

रामलीला एक सांस्कृतिक परंपरा है, जिसमें धार्मिक मूल्यों और नैतिकता को बढ़ावा दिया जाता है। इसके अंतर्गत सही कलाकारों का चयन महत्वपूर्ण है। लव कुश रामलीला कमेटी का यह निर्णय इस सिद्धांत को सही ठहराना और धार्मिक आस्थाओं की रक्षा करने का प्रयास है।

निष्कर्ष

पूनम पांडे का नाम वापस लेना निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण निर्णय था, जो समाज में विभिन्न दृष्टिकोणों को उजागर करता है। यह देखने की बात होगी कि इस विषय पर आगे क्या होता है, लेकिन एक बात स्पष्ट है कि कला और धर्म के बीच का संतुलन बनाए रखना हमेशा जरूरी रहेगा।

इस घटनाक्रम ने न केवल रामलीला को बल्कि पूरे समाज को सोचने पर मजबूर किया है कि कलाकार और उनके कार्यों पर हमारी विचारधारा कैसी होनी चाहिए।

फिर से इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए, हम आपको यहाँ जाने की सलाह देते हैं।

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