चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई ने गुरुवार को एक फेयरवेल प्रोग्राम में कहा- मैं बौद्ध धर्म को मानने वाला हूं, लेकिन वास्तव में एक सेक्युलर (धर्मनिरपेक्ष) व्यक्ति हूं। हिंदू, सिख, इस्लाम समेत सभी धर्मों में विश्वास रखता हूं। जस्टिस गवई ने आगे कहा कि मैंने धर्मनिरपेक्षता अपने पिता से सीखी है। मेरे पिता भी पूरी तरह से सेक्युलर थे और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के अनुयायी थे। ये सभी बातें CJI ने एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) की ओर से आयोजित उनके विदाई समारोह में कही। CJI बीआर गवई का आज शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में आखिरी वर्किंग डे है। वे 23 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। जस्टिस सूर्यकांत देश के अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे। वे 24 नवंबर को पदभार संभालेंगे। जस्टिस कांत 53वें CJI के तौर पर 14 महीने का कार्यकाल पूरा करेंगे। वे 9 फरवरी, 2027 को रिटायर होंगे। जस्टिस गवई बोले- बचपन से ही सभी धर्मों का सम्मान करना सीखा CJI गवई ने बताया कि जब मैं छोटा था। उस समय पिताजी राजनीतिक कार्यक्रमों के लिए अलग-अलग जगहों पर जाते थे। तब उनके (पिता के) दोस्त कहते थे- सर चलिए, यहां की दरगाह मशहूर है या गुरुद्वारा बहुत अच्छा है तो मैं उनके साथ जाता था। इस तरह सभी धर्मों का सम्मान करने के माहौल में बड़ा हुआ। CJI गवई के पिछले 3 चर्चित बयान... 4 नवंबर- संविधान में न्याय और समानता के सिद्धांत CJI बीआर गवई ने 4 नवंबर को कहा था कि लोकतंत्र के तीनों अंग कार्यपालिका, अदालत और संसद ये तीनों मिलकर जनता के कल्याण के लिए काम करते हैं, कोई भी अकेले काम नहीं कर सकता। स्वतंत्रता, न्याय और समानता के सिद्धांत भारतीय संविधान में हैं, जो हर संस्था की कार्यप्रणाली का आधार हैं। उन्होंने कहा- न्यायपालिका के पास न तो तलवार की ताकत है और न ही शब्दों की। ऐसे में जनता का विश्वास ही उसकी सबसे बड़ी ताकत है। कार्यपालिका की भागीदारी के बिना न्यायपालिका और कानूनी शिक्षा को पर्याप्त बुनियादी ढांचा देना कठिन है। पूरी खबर लिखें... 11 अक्टूबर: डिजिटल युग में लड़कियां सबसे ज्यादा असुरक्षित, टेक्नॉलॉजी शोषण का जरिया बनी मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने कहा था कि डिजिटल दौर में लड़कियां नई तरह की परेशानियों और खतरों का सामना कर रही हैं। टेक्नॉलॉजी सशक्तिकरण नहीं, शोषण का जरिया बन गई है। लड़कियों के लिए आज ऑनलाइन हैरेसमेंट, साइबर बुलिंग, डिजिटल स्टॉकिंग, निजी डेटा के दुरुपयोग और डीपफेक तस्वीरें बड़ी चिंता बन गई हैं। पूरी खबर पढ़ें... 4 अक्टूबरः बुलडोजर एक्शन का मतलब कानून तोड़ना चीफ जस्टिस (CJI) बीआर गवई ने कहा था कि भारतीय न्याय व्यवस्था रूल ऑफ लॉ यानी (कानून के शासन) से चलती है, इसमें बुलडोजर एक्शन की जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल के फैसले में अदालत ने स्पष्ट किया था कि किसी आरोपी के खिलाफ बुलडोजर चलाना कानून की प्रक्रिया को तोड़ना है। पूरी खबर पढ़ें... देश के 53वें चीफ जस्टिस बनेंगे जस्टिस सूर्यकांत सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज जस्टिस सूर्यकांत को देश के 53वां चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) होंगे। वे 24 नवंबर को शपथ लेंगे। कानून मंत्रालय ने गुरुवार, 30 अक्टूबर को ये जानकारी दी। वे मौजूदा CJI भूषण रामकृष्ण गवई की जगह लेंगे। CJI बनने वाले हरियाणा के पहले शख्स होंगे जस्टिस सूर्यकांत जस्टिस सूर्यकांत इंडियन ज्यूडीशियरी की टॉप पोस्ट पर पहुंचने वाले हरियाणा से पहले शख्स होंगे। उनके नाम की सिफारिश करते हुए CJI गवई ने कहा कि जस्टिस सूर्यकांत सुप्रीम कोर्ट की कमान संभालने के लिए उपयुक्त और सक्षम हैं। 10वीं की परीक्षा देने गए तब पहली बार शहर देखा था जस्टिस सूर्यकांत की हरियाणा की यात्रा हिसार के एक गुमनाम से गांव पेटवाड़ से शुरू हुई। वे सत्ता के गलियारों से जुड़े विशेषाधिकारों से दूर पले-बढ़े। उनके पिता एक शिक्षक थे। 8वीं तक उन्होंने गांव के स्कूल में ही पढ़ाई की, जहां बैठने के लिए बेंच नहीं थी। दूसरे गांव वालों की तरह जस्टिस सूर्यकांत ने अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए खाली समय में खेतों में काम किया। पहली बार शहर तब देखा जब वे 10वीं की बोर्ड परीक्षा देने हिसार के एक छोटे से कस्बे हांसी गए थे। ------------------------------ ये खबर भी पढ़ें... CJI बोले-न्याय की सक्रियता जरूरी लेकिन यह आतंक न बने, नागरिकों की रक्षा करने कोर्ट को आगे आना पड़ता है चीफ जस्टिस बीआर गवई ने 17 नवंबर को कहा कि देश में न्यायिक सक्रियता (ज्यूडिशियल एक्टिविज्म) जरूरी है, लेकिन इसकी एक सीमा होनी चाहिए। यह सक्रियता कभी भी न्यायिक आतंकवाद (ज्यूडिशियल टेररिज्म) में नहीं बदलनी चाहिए। पूरी खबर पढ़ें...