PHOTOS: माघी पूर्णिमा पर प्रयागराज में दिखे शानदार नजारे, अब शुरू होगी कल्पवासियों की वापसी
प्रयागराज में माघी पूर्णिमा पर महाकुंभ के स्नान पर्व पर करीब 2 करोड़ श्रद्धालुओं ने गंगा और संगम में डुबकी लगाई है। पूरे कुंभ क्षेत्र में सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं।
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PHOTOS: माघी पूर्णिमा पर प्रयागराज में दिखे शानदार नजारे, अब शुरू होगी कल्पवासियों की वापसी
लेखिका: सुमित्रा शर्मा, टीम नीतानागरी
ब्रेकिंग न्यूज: आज माघी पूर्णिमा के दिन प्रयागराज में अद्भुत नज़राने देखने को मिले हैं। यह दिन न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि आस्था और श्रद्धा का भी प्रतीक है। इस अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान कर पुण्य की प्राप्ति की।
प्रयागराज में माघी पूर्णिमा का महत्व
माघी पूर्णिमा का पर्व हर साल माघ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन संगम के तट पर स्नान करने से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्रयागराज में इस दिन विशेष मेले का आयोजन होता है जिसमें भक्तजन दूर-दूर से आते हैं। इस वर्ष भी सर्दी और धुंध के बावजूद श्रद्धालुओं की संख्या अभूतपूर्व रही।
भव्य स्नान और श्रद्धालुओं का उत्साह
सुबह-सुबह संगम की ओर निकलने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ ने पूरा वातावरण भक्तिमय बना दिया। संगम तट पर मौजूद सभी घाटों पर लोग जमा थे, जहां उन्होंने पवित्र जल में स्नान किया और अपने-अपने इष्ट देव को याद कर पूजा-अर्चना की। इसके साथ ही अखाड़ों के संत और महामंडलेश्वर भी इस अवसर पर समारोह में शामिल हुए।
कल्पवासियों की वापसी
माघी पूर्णिमा के बाद अब कल्पवासियों की वापसी का समय आ गया है। जो श्रद्धालु माघ के पूरे महीने संगम पर ध्यान और तप कर रहे थे, वे अब अपने घरों की ओर लौटेंगे। कल्पवास आमतौर पर उन लोगों द्वारा किया जाता है जो इस अवधि में विशेष धार्मिक अनुष्ठान करते हैं और साधना करते हैं। इन साधकों की तपस्या इस मेले का एक अनिवार्य हिस्सा है।
प्रयागराज की संस्कृति और धरोहर
प्रयागराज न केवल धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और धरोहर का प्रतीक भी है। यहाँ की गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का संगम धार्मिक महत्व के साथ-साथ पर्यटकों और यात्री का भी एक महत्वपूर्ण केंद्र बनता जा रहा है। माघी पूर्णिमा जैसे अवसरों पर यहाँ की छवि और भी भव्य हो जाती है।
निष्कर्ष
माघी पूर्णिमा पर प्रयागराज का यह नज़ारा न केवल धार्मिक अनुष्ठान का हिस्सा है बल्कि यह हमारी समृद्ध संस्कृति को भी प्रदर्शित करता है। श्रद्धालुओं की सच्ची आस्था और विश्वास हमारे समाज की एक महत्वपूर्ण पहचान है। अब जब कल्पवासियों की वापसी का समय आ गया है, हमें उनकी यात्रा की सलामती की कामना करनी चाहिए।
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