PHOTOS: नागा साधुओं का क्या है इतिहास, कुंभ मेले में ही क्यों आते हैं नजर? जानें रोचक तथ्य

महाकुंभ 2025, 13 जनवरी से शुरू हो रहा है जो 26 फरवरी तक चलेगा। इस बार भी काफी संख्या में नागा साधु कुंभ मेले में आएंगे। जानिए नागा साधुओं से जुड़ी कुछ खास बातें...

Jan 6, 2025 - 01:03
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PHOTOS: नागा साधुओं का क्या है इतिहास, कुंभ मेले में ही क्यों आते हैं नजर? जानें रोचक तथ्य
महाकुंभ 2025, 13 जनवरी से शुरू हो रहा है जो 26 फरवरी तक चलेगा। इस बार भी काफी संख्या में नागा साधु कुंभ मेले में आएंगे। जानिए नागा साधुओं से जुड़ी कुछ खास बातें...

PHOTOS: नागा साधुओं का क्या है इतिहास, कुंभ मेले में ही क्यों आते हैं नजर? जानें रोचक तथ्य

AVP Ganga

लेखिका: राधा शर्मा, टीम netaanagari

नागा साधुओं का परिचय

भारत के धार्मिक और आध्यात्मिक परिदृश्य में नागा साधुओं की एक अनूठी स्थिति है। ये साधु अपने अनूठे पहनावे, जीवनशैली और साधना के तरीकों के लिए जाने जाते हैं। विशेष रूप से कुंभ मेले के दौरान, यह साधु दर्शकों का ध्यान आकर्षित करते हैं। लेकिन क्या आपने सोचा है कि इनका इतिहास क्या है और ये कुंभ में ही क्यों आते हैं?

नागा साधुओं का इतिहास

नागा साधुओं की परंपरा की शुरुआत सदियों पहले हुई थी। ये साधु आमतौर पर भगवान शिव के भक्त होते हैं और अपने आप को तामसिक इच्छाओं से मुक्त करना अपना उद्देश्य मानते हैं। ये साधु तप और साधना के माध्यम से आत्मा की खोज करते हैं। इतिहासकारों के अनुसार, नागा साधुओं का जिक्र प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है, जिनमें ये अदृश्य शक्तियों के धारणकर्ता माने जाते हैं।

कुंभ मेले में नागा साधुओं की उपस्थिति

कुंभ मेला भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण आयोजन है। हर 12 वर्ष में यह मेला चार अलग-अलग स्थानों - हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन में आयोजित किया जाता है। नागा साधु इस मेले में इसलिए आते हैं क्योंकि यह उनके लिए मोक्ष प्राप्ति का एक बड़ा अवसर होता है। यहां, वे गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान कर अपने पापों को धोते हैं।

रोचक तथ्य

नागा साधुओं से जुड़े कई रोचक तथ्य हैं। इन साधुओं का शरीर पर कोई वस्त्र नहीं होता, लेकिन वे अपनी धार्मिकता को दर्शाने के लिए शरीर पर भस्म लगाते हैं। इसके अलावा, नागा साधु आमतौर पर किसी भी सामाजिक संबंध से दूर रहने का प्रयास करते हैं। यह उनकी तपस्या और साधना की गहराई को दर्शाता है।

क्या आप जानते हैं कि कुंभ मेला केवल साधुओं के लिए नहीं है? ये मेला आम भक्तों के लिए भी खुला है, जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं।

निष्कर्ष

नागा साधु भारतीय संस्कृति का एक अनुपम हिस्सा हैं और कुंभ मेला उनका अद्भुत महोत्सव होता है। उनका इतिहास और साधना के तरीकों ने उन्हें एक महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया है। यदि आप भी इस आयोजन का हिस्सा बनना चाहते हैं और इन साधुओं के जीवन के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो अगली बार कुंभ मेले में अवश्य जाएं।

अधिक जानकारी के लिए, कृपया avpganga.com पर जाएं।

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