Shigemi Fukahori: नागासाकी परमाणु बम हमले में बाल-बाल बचे शिगेमी फुकाहोरी का निधन, 93 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

अमेरिका ने जब 9 अगस्त, 1945 को नागासाकी पर बम गिराया था तब शिगेमी फुकाहोरी की उम्र केवल 14 साल थी। फुकाहोरी बम गिराए जाने के स्थान से लगभग तीन किलोमीटर दूर एक शिपयार्ड में काम करते थे।

Jan 6, 2025 - 00:03
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Shigemi Fukahori: नागासाकी परमाणु बम हमले में बाल-बाल बचे शिगेमी फुकाहोरी का निधन, 93 साल की उम्र में ली अंतिम सांस
अमेरिका ने जब 9 अगस्त, 1945 को नागासाकी पर बम गिराया था तब शिगेमी फुकाहोरी की उम्र केवल 14 साल थी। फुकाहोरी बम गिराए जाने के स्थान से लगभग तीन किलोमीटर दूर एक शिपयार्ड में काम करते थे।

शिगेमी फुकाहोरी: नागासाकी परमाणु बम हमले में बाल-बाल बचे शिगेमी फुकाहोरी का निधन, 93 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

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लेखक: सिम्मी तोमर, टीम नितानागारी

परिचय

जापान के नागासाकी शहर में हुए परमाणु बम हमले से बचे शिगेमी फुकाहोरी का 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके जीवन ने एक ऐसी कहानी को जन्म दिया, जो न केवल युद्ध के horrors को दर्शाती है, बल्कि जीवन और जीवित रहने की इच्छा की भी गवाही देती है। फुकाहोरी न केवल एक जीवित गवाह थे, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति भी थे जिन्होंने अपने अनुभवों को जनता के सामने लाने का प्रयास किया।

फुकाहोरी का जीवन

शिगेमी फुकाहोरी का जन्म 6 मार्च 1930 को हुआ था। 9 अगस्त 1945 को नागासाकी पर अमेरिकी सेना द्वारा परमाणु बम गिराने के समय, वह केवल 15 वर्ष के थे। बम विस्फोट के समय फुकाहोरी ने अपने जीवन में सबसे भयावह क्षणों का सामना किया, लेकिन वह इस त्रासदी से बाल-बाल बचे रहे। उनकी कहानी ने उन्हें केवल एक बचे हुए व्यक्ति के रूप में नहीं, बल्कि एक जीवनदाता की तरह देखा।

नागासाकी परमाणु बम हमला

परमाणु बम के हमले ने नागासाकी की धरती पर तबाही मचा दी थी। यहां तक कि कई जीवित बचे लोग भी इस घटना को सहन नहीं कर पाए थे। इस समय के बाद, फुकाहोरी ने अपने अनुभवों को साझा करने का निर्णय लिया और विश्व के सामने परमाणु बम के दुष्परिणामों के प्रति जागरूकता फैलाने का काम किया। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्थायी शांति के लिए कई कार्यक्रमों में भाग लिया।

समाज में योगदान

फुकाहोरी ने जीवन के अंतिम वर्षों में कई किताबें लिखीं, जिसमें उन्होंने अपनी यादों को साझा किया। उनके लेखन ने न केवल जापान में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लोगों को प्रभावित किया। वे स्कूलों और विश्वविद्यालयों में जाकर अपने अनुभव साझा करते थे, जिससे नई पीढ़ी को शांति और सहिष्णुता का महत्व समझाया जा सके।

समापन

शिगेमी फुकाहोरी का निधन एक युग का अंत है। उनके साथी जीवित बचे लोग और उनके जो लोग उनके कार्यों से प्रेरित हुए हैं, उन्हें सदैव याद रखेंगे। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि किस तरह एक व्यक्ति अपनी आवाज़ से पूरे विश्व को बदल सकता है। उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी, और वे शांति के प्रतिक के रूप में सदैव स्मरण किए जाएंगे।

फुकाहोरी की कहानी संदेश देती है कि हमें युद्ध और उसके परिणामों से बचने का प्रयास करना चाहिए। अपने कार्यों और विचारों के माध्यम से, वे हमारे सामने एक उदाहरण रख गए हैं कि कैसे हर व्यक्ति, चाहे वह कितने भी विपरीत परिस्थितियों का सामना कर रहा हो, वह अपने आसपास की दुनिया को बेहतर बना सकता है।

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