पहाड़ में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी पर चौखुटिया में जन आंदोलन, पूर्व फौजी का जल सत्याग्रह शुरू
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पहाड़ में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी पर चौखुटिया में जन आंदोलन, पूर्व फौजी का जल सत्याग्रह शुरू
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रैबार डेस्क: पहाड़ में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली पर अल्मोड़ा के चौखुटिया में लोगों ने प्रदर्शन का अनोखा तरीका चुना है। जहाँ लोग रैली निकालकर सड़कों पर उतरकर आक्रोश जता रहे हैं, वहीं पूर्व फौजी भुवन कठायत 6 दिन से अनशन पर बैठे हैं। सूबेदार मेजर हीरा सिंह पटवाल ने जल सत्याग्रह शुरू कर दिया है। इस आंदोलन का नाम 'ऑपरेशन स्वास्थ्य' रखा गया है।
चौखुटिया में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति
दरअसल, अल्मोड़ा के चौखुटिया में स्वास्थ्य व्यवस्था का बुरा हाल है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की सुविधाएँ अत्यंत खराब हैं, जिससे परेशान होकर चौखुटिया के लोग व्यवस्था को सुधारने के लिए सड़कों पर आ गए हैं। पिछले 6 दिनों से विकासखंड की जनता इस आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग ले रही है। भुवन कठायत के नेतृत्व में लोग आरती घाट पर अनशन पर बैठे हैं। उनके अनशन का आज छठा दिन है।
जल सत्याग्रह का आरंभ
पूर्व सैनिक सूबेदार मेजर हीरा सिंह पटवाल ने भी आज से जल सत्याग्रह शुरू किया है। प्रशासन की टीम जबरन अनशन तुड़वाने पहुंची, लेकिन लोगों के आक्रोश का सामना प्रशासन को करना पड़ा। स्वास्थ्य सेवाओं की कमी की समस्या को लोग लंबे समय से उठाते आ रहे हैं, जिसमें स्वास्थ्य केंद्र के उच्चीकरण, विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति और अल्ट्रासाउंड जैसी सुविधाओं की मांग शामिल है।
आम जनता का आक्रोश
स्थानीय लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य केंद्र में संसाधनों की कमी के चलते पहाड़ के अधिकांश क्षेत्रों में स्थिति समान है। कई महीनों से लोगों ने अधिकारियों को इस अवस्था के बारे में सूचित किया, लेकिन समस्याओं का समाधान करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इस कारण, उन्हें इस तरह के प्रदर्शन के लिए मजबूर होना पड़ा है। लोगों ने इस आंदोलन को 'ऑपरेशन स्वास्थ्य' का नाम दिया है ताकि उनकी आवाज़ का व्यापक एहसास हो सके।
आंदोलन के भविष्य और सरकार की प्रतिक्रिया
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सरकार ने तत्काल इस मुद्दे की ओर ध्यान नहीं दिया तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। आंदोलन के नेताओं ने कहा है कि वे तब तक प्रदर्शन जारी रखेंगे जब तक कि उनकी मांगें नहीं मानी जातीं। स्वास्थ सुविधा के बिना लोगों की ज़िंदगी को खतरा हो सकता है और ऐसे में सरकार का कर्तव्य है कि वे तत्काल कार्रवाई करें।
इस चल रहे आंदोलन से साफ है कि पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं एक बड़ी समस्या बन चुकी हैं। सजग नागरिकों ने इस मुद्दे को उठाकर न केवल अपनी बात कहने का प्रयास किया है बल्कि उन्होंने अन्य क्षेत्रों में भी समान समस्याओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने का काम किया है।
हम उम्मीद करते हैं कि सरकार जल्द ही इस दिशा में ठोस कदम उठाएगी, जिससे पहाड़ के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें। अपनी समस्याओं को सुलझाने के लिए यह जन आंदोलन एक बड़ा उदाहरण है, जो यह दर्शाता है कि जब लोग मिलकर अपनी आवाज़ उठाते हैं, तो बदलाव संभव है।
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