बड़ी गिरावट! 85.91 रुपए का हुआ 1 डॉलर, अब तक के सबसे निचले स्तर पर क्यों पहुंचा रुपया?

फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा ​कि यह गिरावट अमेरिकी डॉलर की मजबूती के कारण है।

Jan 9, 2025 - 00:03
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बड़ी गिरावट! 85.91 रुपए का हुआ 1 डॉलर, अब तक के सबसे निचले स्तर पर क्यों पहुंचा रुपया?
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के ट्रेजरी प्रमुख और कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा ​कि यह गिरावट अमेरिकी डॉलर की मजबूती के कारण है।

बड़ी गिरावट! 85.91 रुपए का हुआ 1 डॉलर, अब तक के सबसे निचले स्तर पर क्यों पहुंचा रुपया?

AVP Ganga

लेखिका: सृष्टि शर्मा, टीम नेटानागरी

हाल ही में भारतीय रुपया अपने सारे रिकॉर्ड तोड़ता हुआ 85.91 रुपए प्रति डॉलर के स्तर पर पहुँच गया है। यह गिरावट न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका है, बल्कि इसके दूरगामी प्रभाव भी हो सकते हैं। जब विदेशी मुद्रा के बाजार में वित्तीय स्थिरता की बात आती है, तो यह गिरावट प्रश्नचिन्ह उठाती है। तो, आखिरकार इस गिरावट के पीछे के कारण क्या हैं?

इस गिरावट के मुख्य कारण

1. **वैश्विक आर्थिक स्थिति**: अमेरिका और यूरोप की अर्थव्यवस्था में ताजगी का अभाव है, जिसे विदेशी निवेशकों ने चिंता का कारण माना है। उनके निवेश को सुरक्षित रखने के लिए वे भारतीय बाजार से निकल रहे हैं, जिससे रुपया कमजोर हो रहा है।

2. **महंगाई**: भारत में खुदरा महंगाई दर लगातार बढ़ रही है। समय-समय पर महंगाई दर में बढ़ोतरी से भारतीय रिजर्व बैंक को ब्याज दरें बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जिससे निवेशकों की रुचि में कमी आ रही है।

3. **अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतें**: कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि होने से भारत के आयात का बिल बढ़ता है, जिससे व्यापार संतुलन पर प्रतिकूल असर पड़ता है। बढ़ती कीमतें देश के मौद्रिक नीतियों को प्रभावित करती हैं, और इससे रुपया और कमजोर होता है।

क्या इसका कोई समाधान है?

विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार और रिजर्व बैंक को मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना होगा। उन्हें विदेशी निवेशकों का विश्वास जीतने के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे। इसके अलावा, किसी भी प्रकार का स्ट्रक्चरल सुधार भी बाजार में स्थिरता लाने में मदद कर सकता है।

रुपये के भविष्य पर नजर

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यदि स्थिति यही रही, तो रुपया और भी कमजोर हो सकता है। हालाँकि, अगर सरकार और रिजर्व बैंक सही नीतियों को लागू करते हैं, तो रुपये में सुधार भी संभव है। इसलिए, निवेशकों को काफी सतर्क रहने की जरूरत है।

निष्कर्ष

निर्णय लेना आवश्यक है कि हमें इस गिरावट के पीछे की वजहों को ध्यान से समझना होगा। भारतीय रुपया अपने इतिहास में सबसे निचले स्तर पर पहुँच गया है, और यह केवल एक शुरुआत है। हम सभी को उम्मीद करनी चाहिए कि सरकार और आर्थिक नीति बनाते वक्त ऐसे कदम उठाएगी जो भारतीय ग्राहकों और बाजार को बेहतर भविष्य की ओर ले जाए।

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