भागवत बोले- RSS किसी के खिलाफ नहीं:संघ न राजनीति करता है, न किसी संगठन को दूर से नियंत्रित करता है

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने शुक्रवार को मणिपुर की राजधानी इंफाल में कहा कि RSS किसी के खिलाफ नहीं है। इसे नष्ट करने के लिए नहीं, बल्कि समाज को पूर्ण बनाने के लिए गठित हुआ है।उन्होंने कहा कि संघ न राजनीति करता है, न किसी संगठन को दूर से नियंत्रित करता है। RSS केवल मित्रता, स्नेह और सामाजिक सौहार्द के माध्यम से कार्य करता है। संघ समाज को सशक्त करने के लिए समर्पित संस्था है। भागवत जनजातीय नेताओं के साथ बैठक कर रहे थे। भारत की सभ्यता आधारित निरंतरता पर जोर देते हुए भागवत ने कहा, हम साझा चेतना के कारण एक हैं। विविधता के बावजूद हम एक ही सभ्यता वाले परिवार से हैं। एकता हमेशा समानता की मांग नहीं करती। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना बाहरी कारणों से नहीं, बल्कि आंतरिक विघटन को दूर करने के उद्देश्य से हुई थी और डॉ. केबी हेडगेवार ने समाज को जोड़ने का प्रयास किया। समाज की भलाई के लिए काम करने वाला हर व्यक्ति अघोषित स्वयंसेवक भागवत ने कहा कि आरएसएस मनुष्य निर्माण और चरित्र निर्माण का आंदोलन है। उन्होंने सभी को संघ की शाखाओं में जाकर यह समझने की सलाह दी कि संघ जमीनी स्तर पर कैसे काम करता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की सभ्यता को लेकर प्रतिबद्धता के साथ समाज की भलाई के लिए काम करने वाला हर व्यक्ति अघोषित स्वयंसेवक है। जनजातीय नेताओं के सवालों के भी दिए जवाब जनजातीय नेताओं की ओर से उठाए गए मुद्दों पर मोहन भागवत ने कहा कि ये राष्ट्रीय चिंताएं हैं। उन्होंने आत्मनिर्भरता और संविधान के भीतर समाधान खोजने पर बल दिया। उन्होंने कहा, “परिवार के मुद्दे परिवार के अंदर ही सुलझाए जाने चाहिए। संवाद एकत्व पर आधारित होना चाहिए, न कि सौदेबाजी पर।” संघ प्रमुख ने यह भी कहा कि कई क्षेत्रीय मुद्दों और विभाजनों की जड़ें औपनिवेशिक नीतियों में रही हैं। भागवत ने जनजातीय नेताओं से अपनी स्वदेशी परंपराओं, भाषाओं और लिपियों पर गर्व करने और सांस्कृतिक पहचान से जुड़ी स्वदेशी जीवनशैली अपनाने का आग्रह किया। युवा नेताओं से अलग बातचीत में, उन्होंने युवाओं से कहा कि भारत कोई नया राष्ट्र नहीं, बल्कि एक प्राचीन और निरंतर सभ्यता है। राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि आरएसएस शाखाएं जिम्मेदार, सक्षम और निस्वार्थ नागरिकों को तैयार करने का काम करती हैं, जो अपनी प्रतिभा और क्षमता देश के लिए समर्पित करते हैं। ये खबर भी पढ़ें : भागवत बोले- मुस्लिम-ईसाई भारतीय संस्कृति अपनाएं तो वे भी हिंदू:हिंदुत्व सीमाओं में नहीं बंधा; मणिपुर में कहा- यहां सरकार होनी चाहिए, कोशिशें जारी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि हिंदुत्व सीमाओं में बंधा नहीं, बल्कि समावेशी है। यदि मुस्लिम और ईसाई इस देश की पूजा करें, भारतीय संस्कृति का पालन करें और अपनी परंपराएं व रीति-रिवाज कायम रखते हुए राष्ट्र के प्रति आस्था रखें, तो वे भी हिंदू हैं। पढ़ें पूरी खबर...

Nov 22, 2025 - 00:33
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भागवत बोले- RSS किसी के खिलाफ नहीं:संघ न राजनीति करता है, न किसी संगठन को दूर से नियंत्रित करता है
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने शुक्रवार को मणिपुर की राजधानी इंफाल में कहा कि RSS किसी के खिलाफ नहीं है। इसे नष्ट करने के लिए नहीं, बल्कि समाज को पूर्ण बनाने के लिए गठित हुआ है।उन्होंने कहा कि संघ न राजनीति करता है, न किसी संगठन को दूर से नियंत्रित करता है। RSS केवल मित्रता, स्नेह और सामाजिक सौहार्द के माध्यम से कार्य करता है। संघ समाज को सशक्त करने के लिए समर्पित संस्था है। भागवत जनजातीय नेताओं के साथ बैठक कर रहे थे। भारत की सभ्यता आधारित निरंतरता पर जोर देते हुए भागवत ने कहा, हम साझा चेतना के कारण एक हैं। विविधता के बावजूद हम एक ही सभ्यता वाले परिवार से हैं। एकता हमेशा समानता की मांग नहीं करती। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना बाहरी कारणों से नहीं, बल्कि आंतरिक विघटन को दूर करने के उद्देश्य से हुई थी और डॉ. केबी हेडगेवार ने समाज को जोड़ने का प्रयास किया। समाज की भलाई के लिए काम करने वाला हर व्यक्ति अघोषित स्वयंसेवक भागवत ने कहा कि आरएसएस मनुष्य निर्माण और चरित्र निर्माण का आंदोलन है। उन्होंने सभी को संघ की शाखाओं में जाकर यह समझने की सलाह दी कि संघ जमीनी स्तर पर कैसे काम करता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की सभ्यता को लेकर प्रतिबद्धता के साथ समाज की भलाई के लिए काम करने वाला हर व्यक्ति अघोषित स्वयंसेवक है। जनजातीय नेताओं के सवालों के भी दिए जवाब जनजातीय नेताओं की ओर से उठाए गए मुद्दों पर मोहन भागवत ने कहा कि ये राष्ट्रीय चिंताएं हैं। उन्होंने आत्मनिर्भरता और संविधान के भीतर समाधान खोजने पर बल दिया। उन्होंने कहा, “परिवार के मुद्दे परिवार के अंदर ही सुलझाए जाने चाहिए। संवाद एकत्व पर आधारित होना चाहिए, न कि सौदेबाजी पर।” संघ प्रमुख ने यह भी कहा कि कई क्षेत्रीय मुद्दों और विभाजनों की जड़ें औपनिवेशिक नीतियों में रही हैं। भागवत ने जनजातीय नेताओं से अपनी स्वदेशी परंपराओं, भाषाओं और लिपियों पर गर्व करने और सांस्कृतिक पहचान से जुड़ी स्वदेशी जीवनशैली अपनाने का आग्रह किया। युवा नेताओं से अलग बातचीत में, उन्होंने युवाओं से कहा कि भारत कोई नया राष्ट्र नहीं, बल्कि एक प्राचीन और निरंतर सभ्यता है। राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि आरएसएस शाखाएं जिम्मेदार, सक्षम और निस्वार्थ नागरिकों को तैयार करने का काम करती हैं, जो अपनी प्रतिभा और क्षमता देश के लिए समर्पित करते हैं। ये खबर भी पढ़ें : भागवत बोले- मुस्लिम-ईसाई भारतीय संस्कृति अपनाएं तो वे भी हिंदू:हिंदुत्व सीमाओं में नहीं बंधा; मणिपुर में कहा- यहां सरकार होनी चाहिए, कोशिशें जारी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि हिंदुत्व सीमाओं में बंधा नहीं, बल्कि समावेशी है। यदि मुस्लिम और ईसाई इस देश की पूजा करें, भारतीय संस्कृति का पालन करें और अपनी परंपराएं व रीति-रिवाज कायम रखते हुए राष्ट्र के प्रति आस्था रखें, तो वे भी हिंदू हैं। पढ़ें पूरी खबर...

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