महाराष्ट्र: 400 से ज्यादा उर्दू स्कूलों में अनियमितता, क्लीनिक चलाने वाला टीचर कभी स्कूल नहीं गया पर मिल रही सैलरी

महाराष्ट्र के 400 से ज्यादा उर्दू स्कूलों में अनियमितता सामने आई है। इन स्कूलों में एक परिवार के लोग फर्जी डिग्री लेकर शिक्षक बन गए हैं और स्कूल भी नहीं आते हैं। कई स्कूलों में महिला शिक्षकों का शोषण हो रहा है।

Mar 7, 2025 - 16:33
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महाराष्ट्र: 400 से ज्यादा उर्दू स्कूलों में अनियमितता, क्लीनिक चलाने वाला टीचर कभी स्कूल नहीं गया पर मिल रही सैलरी
महाराष्ट्र: 400 से ज्यादा उर्दू स्कूलों में अनियमितता, क्लीनिक चलाने वाला टीचर कभी स्कूल नहीं गया प

महाराष्ट्र: 400 से ज्यादा उर्दू स्कूलों में अनियमितता, क्लीनिक चलाने वाला टीचर कभी स्कूल नहीं गया पर मिल रही सैलरी

AVP Ganga

हाल ही में महाराष्ट्र के कई उर्दू स्कूलों के प्रशासनिक ढांचे में गड़बड़ी का एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 400 से ज्यादा स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति में अनियमितताएँ पाई गई हैं। यहाँ तक कि कई शिक्षक ऐसे हैं, जो किसी अन्य व्यवसाय जैसे क्लीनिक चला रहे हैं, और कभी स्कूल नहीं गए, फिर भी उन्हें नियमित वेतन प्राप्त हो रहा है। यह स्थिति शिक्षण प्रणाली की गुणवत्ता और बच्चों के भविष्य पर गंभीर प्रश्न उठाती है।

अनियमितताओं का खुलासा

शहर के शिक्षा विभाग द्वारा की गई जांच में ये तथ्य उजागर हुए हैं कि कई उर्दू स्कूलों में शिक्षक नियुक्ति से जुड़े नियमों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया जा रहा है। आरोप है कि कुछ शिक्षक भ्रष्टाचार के माध्यम से सैलरी प्राप्त कर रहे हैं, जबकि उनकी उपस्थिति स्कूल में नहीं होती। यह एक गंभीर मुद्दा है जो न केवल शिक्षकों की सत्यता को चुनौती देता है, बल्कि बच्चों के भविष्य को भी प्रभावित करता है।

शिक्षा का स्तर और सरकारी हस्तक्षेप

जब शिक्षा का स्तर इतना गिरता है, तो इसके असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ता है। शिक्षा विभाग इस स्थिति से अवगत है और कार्रवाई करने की योजना बना रहा है। हालांकि, अभी तक इस मामले में ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। राज्य सरकार को इसे गंभीरता से लेना होगा ताकि जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान किया जा सके।

विश्वास और भूमिका

शिक्षक सिर्फ एक पेशेवर नहीं होते बल्कि वे बच्चों के जीवन के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए, शिक्षकों की नियुक्ति में पारदर्शिता आवश्यक है। क्या कभी-कभी इस तरह की गड़बड़ी उजागर होने पर सरकारें सुधारात्मक उपाय करती हैं? यह देखना होगा कि क्या यह मामला सरकार को कार्रवाई के लिए प्रेरित करेगा या नहीं।

निष्कर्ष

महाराष्ट्र में उर्दू स्कूलों में भ्रष्टाचार का यह मामला न केवल शिक्षा के स्तर को कम करता है, बल्कि समाज पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। युवा पीढ़ी को सही शिक्षा देने के लिए इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है। हमें उम्मीद है कि सरकारी अधिकारियों की ओर से जल्द ही उचित कार्रवाई की जाएगी।

लेखिका: अनामिका शर्मा
टीम: नेटानगरी

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