तसलीमा बोलीं- बंगाली मुस्लिम भी हिंदू:वे अरब कल्चर के नहीं; जावेद अख्तर बोले- गंगा-जमुनी-अवध संस्कृति महान,इसका अरब से लेना-देना नहीं

निर्वासित बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने कहा है कि बंगाली मुसलमान की संस्कृति हिंदू है अरब नहीं। इस पर प्रसिद्ध गीतकार-कवि जावेद अख्तर ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हमें गंगा-जमनी अवध संस्कृति की भी सराहना करना चाहिए, इसका अरब से लेना-देना नहीं है। तसलीमा ने मंगलवार को दुर्गा अष्टमी के मौके पर X पर अपनी पोस्ट में कहा, भारत के हिंदुओं, बौद्धों, ईसाइयों, मुसलमानों और यहां तक कि नास्तिकों के पूर्वज लगभग सभी भारतीय हिंदू थे। हम बंगाली, हमने चाहे जो भी धर्म या दर्शन अपनाया हो, अपनी राष्ट्रीय पहचान में भारत के हैं। बंगाली मुसलमान अरब की संस्कृति नहीं है। उसकी संस्कृति बंगाली संस्कृति है, और वह संस्कृति हिंदू परंपरा है। ढोल-नगाड़े, संगीत, नृत्य, ये बंगाली संस्कृति की अभिव्यक्तियां हैं। बंगाली होने का यही अर्थ है। इसे नकारना स्वयं को नकारना है। तसलीमा ने पोस्ट के साथ दुर्गा पांडाल के फोटो भी पोस्ट किए। तसलीमा नसरीन की पोस्ट: जावेद बोले- कई बंगाली उपनाम फारसी में जावेद अख्तर ने कहा, हम पारंपरिक अवध के लोग बंगाली संस्कृति, भाषा और साहित्य का बहुत सम्मान करते हैं। लेकिन अगर कोई महान गंगा जमुनी अवध संस्कृति और उसकी परिष्कृतता की सराहना और सम्मान नहीं कर पाता, तो यह पूरी तरह से उसकी हार है। इस संस्कृति का अरब से कोई लेना-देना नहीं है। हां, पारसी और मध्य एशियाई संस्कृतियां और भाषाएं पश्चिमी संस्कृति की तरह हमारी संस्कृति और भाषा में घुल-मिल गई हैं, लेकिन हमारी शर्तों पर। वैसे, कई बंगाली उपनाम फारसी में भी होते हैं। जावेद अख्तर का पोस्ट: 2011 से भारत में रह रही हैं नसरीन, 6 महीने पहले परमिट रिन्यू हुआ नसरीन 2011 से भारत में रह रही हैं और उनके पास स्वीडन की नागरिकता है। अक्टूबर 2024 में भारत सरकार ने तस्लीमा नसरीन का भारतीय रेजिडेंस परमिट बढ़ा दिया था। परमिट मिलने के बाद लेखिका ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर गृह मंत्री अमित शाह का आभार जताया था। दरअसल, रेजिडेंस परमिट एक आधिकारिक डॉक्यूमेंट होता है, जो किसी विदेशी नागरिक को 180 दिनों से ज्यादा समय तक भारत में रहने की अनुमति देता है। जो विदेशी नागरिक इससे ज्यादा समय तक भारत में रहने का प्लान बनाते हैं, उन्हें फॉरेन रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस से यह परमिट लेना होता है। तसलीमा के बांग्लादेश छोड़ने की वजह... ये खबर भी पढ़ें: पाकिस्तानी कहे जाने पर फैन पर भड़के जावेद अख्तर:कहा- औकात में रहो, तुम्हारे बाप-दादा अंग्रेजों के जूते चाटते थे, हमारे बुजुर्ग आजादी के लिए मर रहे थे अपने बेबाक अंदाज के लिए अलग पहचान रखने वाले लिरिसिस्ट जावेद अख्तर ने हाल ही में उस फैन को जमकर फटकार लगाई है, जिसने उन्हें पाकिस्तानी कहा था। दरअसल, स्वतंत्रता दिवस के खास मौके पर जावेद अख्तर ने एक भावुक पोस्ट शेयर की थी। जिस पर एक फैन ने ये कह दिया कि उनका स्वतंत्रता दिवस 14 अगस्त (पाकिस्तानियों का स्वतंत्रता दिवस) को होता है। इस पर जावेद अख्तर ने उन्हें करारा जवाब दिया है। पढ़ें पूरी खबर...

Sep 30, 2025 - 18:33
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तसलीमा बोलीं- बंगाली मुस्लिम भी हिंदू:वे अरब कल्चर के नहीं; जावेद अख्तर बोले- गंगा-जमुनी-अवध संस्कृति महान,इसका अरब से लेना-देना नहीं
तसलीमा बोलीं- बंगाली मुस्लिम भी हिंदू:वे अरब कल्चर के नहीं; जावेद अख्तर बोले- गंगा-जमुनी-अवध संस्क�

तसलीमा बोलीं- बंगाली मुस्लिम भी हिंदू: वे अरब कल्चर के नहीं; जावेद अख्तर बोले- गंगा-जमुनी-अवध संस्कृति महान, इसका अरब से लेना-देना नहीं

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निर्वासित बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने हाल ही में एक विवादास्पद बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि बंगाली मुसलमानों की संस्कृति हिंदू है और यह अरब संस्कृति से लिंक नहीं है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रसिद्ध गीतकार-कवि जावेद अख्तर ने भी अपनी राय साझा की।

तसलीमा नसरीन का बयान

मंगलवार को दुर्गा अष्टमी के मौके पर एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए तसलीमा ने यह कहा। उन्होंने कहा कि भारत के हिंदुओं, बौद्धों, ईसाइयों, मुसलमानों, और यहां तक कि नास्तिकों के पूर्वज लगभग सभी भारतीय हिंदू थे। उनका मानना है कि बंगाली मुसलमानों को अपनी पहचान को खुद से नकारने के बजाय गले लगाना चाहिए। उनके अनुसार, ढोल-नगाड़े, संगीत और नृत्य बंगाली संस्कृति के प्रमुख अंग हैं।

जावेद अख्तर की प्रतिक्रिया

इस विषय पर जावेद अख्तर ने कहा कि हमें गंगा-जमनी अवध संस्कृति की सराहना करनी चाहिए। उनके अनुसार, यह संस्कृति अरब से पूरी तरह से अप्रभावित है। जावेद ने कहा कि पारसी और मध्य एशियाई संस्कृतियां हमारी परंपरा में शामिल होकर उसे और समृद्ध बनाती हैं, लेकिन कोई भी विशेषताओं को एक लेंस के माध्यम से नहीं देख सकता है।

तसलीमा का भारतीय निवास परमिट

तसलीमा ने 2011 से भारत में निवास किया है और हाल ही में उनका रेजिडेंस परमिट रिन्यू किया गया था। यह परमिट किसी विदेशी नागरिक को 180 दिनों से अधिक समय तक भारत में रहने की अनुमति देता है। तसलीमा ने इसके लिए गृह मंत्री अमित शाह का आभार व्यक्त किया है।

संस्कृति की पहचान का महत्व

तसलीमा ने यह स्पष्ट किया कि बंगाली मुसलमानों की पहचान का आधार सिर्फ उनके धर्म से नहीं, बल्कि उनकी संस्कृति और परंपराओं से भी होना चाहिए। यह उनके लिए महत्वपूर्ण है कि वे अपने बंगाली होने की पहचान को स्वीकार करें। उनकी यह बात हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम हमेशा परंपरागत पहचान को ही प्राथमिकता देते हैं या उसके साथ नई पहचान को भी अपना सकते हैं।

संक्षेप में

तसलीमा नसरीन और जावेद अख्तर के बयान इस बात का संकेत देते हैं कि भारत की विविधता में न केवल धार्मिकता, बल्कि सांस्कृतिक पहचान का भी बड़ा महत्व है। यह विवाद ना केवल सामाजिक संवाद को जन्म देता है, बल्कि हमें अपनी जड़ों की पहचान के लिए भी प्रेरित करता है।

इस विषय पर आपकी क्या राय है? क्या आप तसलीमा की बात से सहमत हैं कि बंगाली मुसलमानों की संस्कृति हिंदू परंपरा पर आधारित है? हमें अपने विचार जरूर बताएं।

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