पंचायत चुनाव आरक्षण रोटेशन प्रक्रिया को HC में चुनौती, लटक सकता है नोटिफिकेशन
नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए निर्धारित किये गए आरक्षण रोटेशन प्रक्रिया को चुनौती देती याचिकाओं की सुनवाई की. सरकार से निर्देश (जबाव) मांगते हुए सुनवाई की अगली तिथि सोमवार की तय की गई है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में हुई. […] The post पंचायत चुनाव आरक्षण रोटेशन प्रक्रिया को HC में चुनौती, लटक सकता है नोटिफिकेशन appeared first on Dainik Uttarakhand.

पंचायत चुनाव आरक्षण रोटेशन प्रक्रिया को HC में चुनौती, लटक सकता है नोटिफिकेशन
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नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए निर्धारित आरक्षण रोटेशन प्रक्रिया को चुनौती देती याचिकाओं की सुनवाई की। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षण का मामला और गहराता जा रहा है। इस मामले में अगली सुनवाई की तिथि सोमवार के लिए निर्धारित की गई है। यह सुनवाई मुख्य न्यायधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ द्वारा की गई है।
क्या है मामला?
इस मामले के अनुसार, बागेश्वर निवासी गणेश दत्त कांडपाल और अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि सरकार ने 9 जून 2025 को एक आदेश जारी किया था, जिसके तहत पंचायत चुनाव के लिए नई नियमावली बनाई गई। इसके अलावा, 11 जून को एक आदेश द्वारा वर्तमान आरक्षण रोटेशन को समाप्त कर दिया गया। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह कार्रवाई उनकी पंचायत चुनाव में भागीदारी को प्रभावित कर रही है।
याचिकाकर्ताओं की दलील
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि सरकार ने जिस प्रकार पिछले तीन कार्यकालों से आरक्षित सीटों को चौथी बार भी आरक्षित कर दिया है, इससे वे चुनाव में भाग नहीं ले पा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इन नए नियमों के कारण उनकी राजनीति के लिए दरवाजे बंद हो गए हैं। याचिकाकर्तों के वकील ने यह स्पष्ट किया है कि उन्होंने खंडपीठ में 9 जून को जारी नियमों को चुनौती दी है, और यह मामला एकलपीठ में भी दायर किया गया है।
सरकार का जवाब
सरकार ने अदालत को बताया कि इस संबंध में कुछ अन्य मामले भी एकलपीठ में लंबित हैं। अदालत ने अब इस मामले में सरकार से उत्तर माँगा है। इससे स्पष्ट होता है कि यह मामला कई कानूनी जटिलताओं में उलझा हुआ है और इसका प्रभाव पंचायत चुनावों के लिए आने वाले नोटिफिकेशन पर पड़ सकता है।
उपसंहार
इस तरह के मामलों में आमतौर पर सरकार की निर्णय प्रक्रिया पर प्रभाव डालता है, जिससे चुनावी प्रक्रिया में देरी हो सकती है। यदि सरकार का तर्क कोर्ट में सही सिद्ध होता है, तो नए आरक्षण के तहत चुनाव कराने का कार्य फिर से विचारित किया जा सकता है। इस पूरे मामले पर ध्यान रखते हुए यह कहा जा सकता है कि आने वाले कुछ दिन इस मामले के लिए महत्वपूर्ण होंगे।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह मामला लंबा खींचता है तो पंचायती राज के अधिकारों पर भी असर पड़ सकता है। नागरिकों की यह जिम्मेदारी है कि वे ऐसे मामलों पर नजर बनाए रखें और अपनी आवाज उठाएं। इसके संदर्भ में अधिक अपडेट के लिए, कृपया हमारी वेबसाइट avpganga पर जाएँ।
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